प्रश्न 8. भौतिक विज्ञान-शिक्षण में सहायक सामग्री के रूप में प्रयुक्त
होने वाली वस्तुओं को बताइये।
अथवा
विभिन्न दृश्य-श्रव्य एवं दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्रियों के नाम लिखिए।
उत्तर - भौतिक विज्ञान-शिक्षण में सहायक सामग्री के रूप में प्रयुक्त होने वाली
वस्तुयें निम्नलिखित हैं -
1. श्यामपट्ट (Black-Board) - भौतिक विज्ञान में श्यामपट्ट का प्रयोग अनिवार्य
है। भौतिक विज्ञान अध्यापक को श्यामपट्ट के प्रयोग करने की विधि का पूरा-पूरा
ज्ञान होना चाहिये। श्यामपट्ट का ठीक प्रकार से प्रयोग करने के लिये अध्यापक को
उस पर अक्षर और अंक लिखने तथा रेखाचित्र एवं
आकृतियाँ बनाने में निपुणता प्राप्त होनी चाहिए। जब अध्यापक पढ़ाते समय पाठ की
मुख्य बातों को श्यामपट्ट पर लिखते हैं तो विद्यार्थी अपनी आँख व कान दोनों
ज्ञानेन्द्रियों का प्रयोग करके ज्ञान को सुगमता से ग्रहण कर लेते हैं। इससे
ज्ञान अधिक स्पष्ट, निश्चित तथा स्थायी होता है। रेखाचित्र पढ़ाने के लिए
वर्गांकित श्यामपट्ट का प्रयोग आवश्यक है। श्यामपट्ट में छेद या दरारें नहीं
होनी चाहिये। अध्यापक को भौतिक विज्ञान के प्रदर्शन कार्य में श्यामपट्ट से
बहुत सहायता मिलती है। अत: पाठ की सफलता के लिये अध्यापक को श्यामपट्ट का ठीक
प्रकार से अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिये।
2. बुलैटिन बोर्ड (Bulletin Board) - बुलैटिन बोर्ड एक थर्मोकोल या गत्ते आदि
की शीट द्वारा निर्मित बोर्ड होता है जिसका प्रयोग समाचार-पत्रों, मैगजीन,
रेखाचित्रों इत्यादि से भौतिक विज्ञान की मुख्य समस्याओं, भौतिक विज्ञान
सम्बन्धी समाचारों, रुचिपूर्ण चित्रों, ग्राफों, पोस्टरो, लेखों आदि को
प्रदर्शित करके विद्यार्थियों का ध्यान उनकी ओर आकर्षित करने में जा सकता है।
बुलैटिन बोर्ड पर भौतिक विज्ञान सम्बन्धी आकृतियाँ तथा चित्र इत्यादि को देखकर
उनकी जिज्ञासा बढ़ती है तथा इस विषय के अध्ययन में उनकी रुचि उत्पन्न होती है।
बुलैटिन बोर्ड भौतिक विज्ञान कक्ष के अन्दर या बाहर टाँगा जा सकता है। बुलैटिन
बोर्ड विद्यार्थियों द्वारा बनाये गये चित्र, रेखाचित्र, ग्राफ आदि भी इस पर
समय-समय पर टाँगें जा सकते हैं।
3. जादू की लालटेन (Magic Lantern) - यह एक प्रकार का यंत्र है जिसमें स्लाइड
का प्रयोग करके चित्रों को दिखाया जाता है। इसके द्वारा शिक्षण में सजीवता लाई
जा सकती है और प्रभावपूर्णता द्वारा विस्तार किया जाता है। अमूर्त तथा गूढ़
तथ्यों में बोधगम्य के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है।
4. टेलीविजन (Television)- टेलीविजन, शिक्षण का नवीनतम साधन है जिसमें रेडियो
तथा चलचित्र दोनों के गुण मौजूद हैं। थट तथा डोरबेरिच के अनुसार, यह सर्वाधिक
आशापूर्ण दृश्य-श्रव्य उपकरण है, क्योंकि सन्देशवाहक के इस एक यन्त्र में
रेडियो और चलचित्र के सभी गुण मिश्रित होते हैं। प्रशिक्षित शिक्षकों तथा
सुसज्जित प्रयोगशालाओं का अभाव टेलीविजन द्वारा पर्याप्त रूप से कम किया जा
सकता है। आजकल अनेकानेक प्रसारणों के माध्यम से दूरदर्शन भौतिक विज्ञान
सम्बन्धी जानकारियाँ प्रदान कर रहा है जिनके माध्यम से विद्यार्थी अपने ज्ञान
में वृद्धि कर सकते हैं।
5. रेडियो (Radio)- वर्तमान समय में रेडियो का प्रयोग शिक्षण कार्य में काफी
प्रचलित हो गया है। आकाशवाणी तथा बी.बी.सी. लन्दन अपने यहाँ से वैज्ञानिक महत्व
के व्याख्यान, वाद-विवाद तथा नाटकों के बारे में अग्रिम सूचना प्रसारित करते
रहते हैं। विद्यार्थियों की रुचि तथा आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम
से सम्बन्धित कार्यक्रमों का चयन किया जा सकता है। इसके आधार पर अध्यापक बड़ी
सरलता से दूर बैठे विद्याथियों को भी शिक्षण पाठ्य-वस्तु से अवगत करा सकता है।
6. चलचित्र (Films) - चलचित्र भौतिक विज्ञान शिक्षण का अमूल्य साधन है जिसके
माध्यम से विद्यार्थियों में निरीक्षण तथा कल्पना शीलता का विकास किया जा सकता
है। इसके द्वारा प्राप्त ज्ञान स्थायी होता है तथा विद्यार्थियों के ध्यान को
विषयवस्तु पर केन्द्रित करने में विशेष मदद मिलती है। भौतिक विज्ञान के समस्त
क्षेत्रों में चलचित्रों का निर्माण होता है और उसे एक सफल अभिकरण के रूप में
प्रस्तुत किया जा सकता है।
7. ओवरहेड प्रोजेक्टर (Overhead Projector) - कक्षा में जब अध्यापक श्यामपट पर
लिखते हैं अथवा शिक्षण को समय श्यामपट पर आरेख या डायग्राम बनाते हैं तो उनकी
पीठ कक्षा की तरफ हो जाती है। इस कारण शिक्षक छात्र सम्प्रेषण की प्रभावशीलता
कम हो जाती है। परिणामस्वरूप कई बार कक्षा में अनुशासनहीनता की समस्या उत्पन्न
हो जाती है, इस समस्या का निवारण ओवरहेड प्रोजेक्टर की सहायता से सहज ही हो
जाता है।
ओवरहेड प्रोजेक्टर अध्यापक की मेज पर रखा होता है तथा श्यामपट पर प्रदर्शित की
जाने वाली सामग्री इस प्रोजेक्टर की सहायता से अध्यापक अथवा सम्प्रेषणकर्ता के
पीछे करके ऊपर लगी स्क्रीन पर स्पष्ट दिखाई देती है।
संरचना
ओवरहेड प्रोजेक्टर की संरचना का मूलभूत सिद्धान्त किसी भी पारदर्शी सामग्री को
प्रकाश के संचरण द्वारा प्रदर्शित करना है। इसके द्वारा किसी भी ट्रांसपेरेंसी
पर बनाई गई रंगीन अथवा रंगहीन आकृति, लेखीय सामग्री, मैप, चार्ट अथवा छपी
सामग्री को स्क्रीन पर प्रदर्शित किया जाता है। इसके प्रमुख भाग निम्नलिखित
हैं-
(1) केबिनेट (Cabinet)- यह प्लास्टिक या स्टील का एक डिब्बा होता है जिसका आकार
प्रोजेक्टर की क्षमता पर निर्भर करता है। प्राय: 39 सेमी. x 32.5 सेमी. तथा
26-5 सेमी. आकार की केबीनेट सामान्य शिक्षण हेतु उपयोगी है। इस केबिनेट पर नीचे
के हिस्से में अन्दर एक पंखा, प्रोजेक्शन लैम्प तथा पावर एसेम्बली होती है।
(2) प्रोजेक्शन लेम्प (Projection Lamp) - प्रोजेक्शन बल्ब तथा बल्ब होल्डर को
मिलाकर प्राय: प्रोजेक्शन लेम्प कहते हैं। प्राय: 600 वाट 240 वोल्ड के हेलोजन
बल्ब को प्रकाश के लिए प्रयुक्त करते हैं। इस बल्ब के प्रकाश से 150 सेमी. x
150 सेमी. की आकृति संप्रेषणकर्ता के पीछे स्पष्ट दिखायी देती है।
(3) ठण्डा करने की व्यवस्था (Cooling System)- केबिनेट के ही हैलोजन लेम्प से
उत्पन्न ऊर्जा से बल्ब तथा केबिनेट पर ऊपरी लगी शीशे की प्लेट को टूटने से
बचाने के लिए ठण्डा करने के लिए एक पंखा लगा होता है जो बल्ब को ठण्डा रखता है
तथा अतिरिक्त ऊर्जा को शीघ्र ही बाहर फेंक देता है। कई बार थर्मोस्टेट भी लगा
होता है जो केबिनेट के अन्दर 35°C से अधिक ताप होने पर बल्ब को स्वतःजलने से
बन्द कर देता है।
(4) फोकस व्यवस्था (Focus Mechanism)- केबिनेट की शीशी की प्लेट से निकलने वाले
प्रकाश को स्क्रीन पर केन्द्रित (Focus) करने के लिए विशेष प्रकाश के लैंस को
प्रयुक्त करते हैं जो एक फ्रेम में स्टैण्ड पर लगा होता है। यह स्टैण्ड केबिनेट
पर एक कोने पर लगा होता है। इस फोकस व्यवस्था को एक नियन्त्रण नॉब (Controlling
knob) द्वारा ऊपर-नीचे कर आवश्यकतानुसार समंजित करते हैं।
ओवरहेड प्रोजेक्टर का उपयोग
इस प्रोजेक्टर को उपयोग के लिए सोफ्ट वेयर पतली ट्राई एसीडेट शीट पर तैयार किया
जाता है जिन्हें ट्रांसपेरेंसी भी कहते हैं। प्रदर्शित की जाने वाली सामग्री को
प्रोजेक्टर की शीशे की शीट पर रखकर प्रकाश व्यवस्था को चालू कर देते हैं तथा
स्क्रीन पर बनी प्रतिकृति को फोकस व्यवस्था द्वारा समायोजित कर लेते हैं।
ट्रासपेरेंसी बनी-बनाई अथवा छपी हुई मोहक रंगों में मुख्य विषयों;
जैसे—शरीर-रचना, विज्ञान, जीव-विज्ञान आदि के क्षेत्र में बहुलता से उपलब्ध है।
आवश्यकता पड़ने पर ट्राई एसीडेट या सेलूलाइड शीट पर चाइबाग्राफ पैंसिल अथवा
वैक्स पेंसिल से लेखन सामग्री, डायग्राम आदि प्रदर्शित करने पर स्वयं शिक्षण
करते समय कक्षा में ही अध्यापक या सम्प्रेषणकर्ता बना लेता है।
8. टेप-रिकॉर्डर (Tape-Recorder)- टेप-रिकॉर्डर एक आधुनिक विद्युत उपकरण है।
इसमें एक चुम्बकीय टेप होता है। जो आवाज को रिकॉर्ड करने के लिये प्रयोग किया
जाता है। यह आवाज गाने के रूप में, भाषण के रूप में, विचार-विमर्श के रूप में,
व्याख्यान के रूप में या किसी अन्य रूप में हो सकती है। एक बार रिकॉर्ड की गई
आवाज को भविष्य में कभी भी सुना जा सकता है, कितनी ही बार सुना जा सकता है कोई
भी सुन सकता है, जो इस उपकरण के बारे में थोड़ी-सी भी जानकारी रखता है। इसका
प्रयोग इतना सरल है कि इसे कोई भी व्यक्ति बिना किसी विशेष प्रशिक्षण के उपयोग
में ला सकता है।
9. विज्ञान-संग्रहालय (Science Museum) - विज्ञान शिक्षण को सजीव और रोचक बनाने
में संग्रहालयों का महत्वपूर्ण योगदान है। इसमें विज्ञान से सम्बन्धित मॉडल व
नमूनों को देखकर छात्र
विषय से सम्बन्धित ज्ञान स्वतः ही अर्जित कर लेते हैं। इनमें मॉडलों के
अतिरिक्त प्रसिद्ध वैज्ञानिकों आर्कीमिडीज, अरस्तू, न्यूटन, आइस्टीन आदि के
चित्रों को भी लगाया जाता है जिससे छात्रों की प्रेरणा शक्ति का विकास होता है।
विद्यालय में छात्रों और अध्यापकों द्वारा समन्वित रूप से विज्ञान संग्रहालयों
का निर्माण करना चाहिए जिससे विज्ञान शिक्षण को रोचक बनाया जा सके। विज्ञान
संग्रहालयों का निर्माण करना चाहिए जिससे विज्ञान शिक्षण को रोचक बनाया जा सके।
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