शिक्षाशास्त्र >> ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षणईजी नोट्स
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बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।
प्रश्न 1. भौतिक विज्ञान शिक्षण में शिक्षण अधिगम सामग्री से आप क्या
समझते हैं? इसकी आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डालिये।
अथवा
शिक्षण अधिगम सामग्री का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसके महत्व को बताइये।
अथवा
"अध्यापक का स्थान शिक्षण सामग्री नहीं हो सकती परन्तु यह अध्यापक के लिए
आवश्यक है।"इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
शिक्षण अधिगम सामग्री क्या है?
अथवा
शिक्षण-अधिगम सामग्री से क्या तात्पर्य है? .
2. शिक्षण अधिगम सामग्री की आवश्यकता को बताइये।
3. शिक्षण अधिगम सामग्री के महत्व को बताइये।
4. दृश्य-श्रव्य सामग्री की आवश्यकता तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
5. भौतिक विज्ञान शिक्षण में श्रव्य-दृश्य सामग्री किस प्रकार उपयोगी है?
उत्तर-शिक्षण अधिगम सामग्री का अर्थ (Meaning of Teaching Learning Materials)
अन्य विषयों की तरह ही भौतिक विज्ञान के अध्यापक के सामने भी यह समस्या रहती है
कि वह किस तरह से पढ़ाये जिससे वह विषय को अधिक-से-अधिक स्पष्ट, सरल, सजीव एवं
रोचक बनाकर उस विषय के शिक्षण सम्बन्धी उद्देश्यों को बिना व्यवहार में
पूरा-पूरा सहयोग दे सके। मौखिक रूप से वर्णन करने तथा तथ्यों को बिना व्यवहार
में लाये हुए एवं बिना अनुभव कराये हुए बता देने मात्र से भौतिक विज्ञान जैसे
व्यावहारिक एवं क्रियात्मक विषय में काम नहीं चल सकता। अत: भौतिक विज्ञान के
अध्यापक को अपने शिक्षण को अधिक स्पष्ट, स्थायी एवं प्रभावपूर्ण बनाने के लिए
कुछ साधनों जैसे वास्तविक वस्तु, चित्र, मॉडल, स्लाइड आदि का प्रयोग करना पड़ता
है जिन्हें शिक्षण सहायक साधन (teaching aids) या शिक्षण दृश्य-श्रव्य सहायक
साधनों का नाम दिया जाता है।
इस प्रकार प्रयुक्त होने वाली वस्तुयें ही भौतिक विज्ञान की सहायक सामग्री
कहलाती हैं। कभी-कभी शिक्षण-प्रक्रिया के दौरान अध्यापक इस बात को महसूस करता
है कि शायद उसने जो कुछ अपने विद्यार्थी . को स्पष्ट करना चाहा है वह उन्हें
ज्यादा स्पष्ट नहीं हो पाया है। ऐसी स्थिति में उसे इस प्रकार की सहायक सामग्री
की सहायता लेनी पड़ती है।
गणितज्ञ कॉमेनियस के अनुसार – "हमारा शिक्षण तभी महत्वपूर्ण हो सकता है जबकि हम
अपनी पुस्तकों में चित्रों को अधिक स्थान दें। उनके विचार से ज्ञान विभिन्न
ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। दृश्य-शृव्य सामग्री में
आँख और कान साथ-साथ कार्य करते हैं।"
आवश्यकता और महत्व
(Need and Importance)
अधिगम-सामग्री की आवश्यकता और महत्व इस प्रकार हैं -
1. ज्ञानेन्द्रियों का महत्व (Importance of Sense Organs) - विद्यार्थियों को
किसी ज्ञान की प्राप्ति केवल कल्पना या पुस्तकों को पढ़ लेने की अपेक्षा अपनी
ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से अधिक सरलता के साथ और अधिक स्थायी रूप में होती
है। ज्ञानेन्द्रियाँ ही वास्तव में ज्ञान के द्वार हैं। शिक्षण में सहायक
सामग्री द्वारा ज्ञान को ऐसा बनाने का प्रयास किया जाता है जिससे वह
विद्यार्थियों की पहुँच में आ सके।
2. प्रत्यक्ष और स्थूल प्रस्तुतीकरण का महत्व (Importance of Direct and
Concrete Presentation) - छोटी-से-छोटी बातों को स्थूल रूप देने और
विद्यार्थियों के प्रत्यक्षीकरण में आने देने योग्य बनाने के लिए शिक्षण में
सहायक सामग्री की आवश्यकता है। उदाहरण के रूप में विद्युत घंटी कक्षा में ले
जाना उसका स्थूल रूप प्रस्तुत करना है।
3. स्पष्ट और स्थायी धारणा या परिकल्पना (Clear Cut Concept) - जो भी ज्ञान
विद्यार्थियों को दिया जाये उसके प्रति विद्यार्थियों की परिकल्पना या धारणा
स्पष्ट और स्थायी तभी हो सकती है, जबकि उस ज्ञान को हम विद्यार्थियों के सम्मुख
स्थूल अथवा प्रत्यक्ष रूप में प्रस्तुत करें। जितना अधिक विद्यार्थियों को
प्रत्यक्षीकरण का अवसर दिया जायेगा उतनी ही स्पष्ट और स्थायी धारणा उनकी विषय
के प्रति गहन होगी। अत: इस दृष्टि से शिक्षण सामग्री का प्रयोग किया जाना
आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है।
4. रोचकता एवं मनोरंजन का महत्व (Importance from Recreation Point of view) -
शिक्षण में अधिगम सामग्री का उपयोग करने से विषय रोचक एवं मनोरंजक हो जाता है।
भौतिक विज्ञान जैसे नीरस और अप्रिय विषय के लिये तो वह और भी आवश्यक हो जाता है
कि उपयुक्त सहायक सामग्री के प्रयोग से पाठ को रोचक बनाया जाये जिससे
विद्यार्थियों में विषय के प्रति उकताहट और अरुचि उत्पन्न न हो।
5. ध्यान और एकाग्रता का महत्व (Importance fromConcentration Point of View) -
पाठ में विद्यार्थियों का ध्यान केन्द्रित कराने में अधिगम सामग्री का बहुत
महत्व है। किसी नमूने, चित्र अथवा आकृति को देखकर विद्यार्थियों का ध्यान उस ओर
आसानी से केन्द्रित हो जाता है। और यदि वह आकर्षक रूप से बनाई हुई हो तो उसके
प्रति एकाग्रता भी विद्यार्थियों में आ जाती है, जिससे उस पाठ का ज्ञान
विद्यार्थियों के लिये सरल एवं सुगम बन जाता है।
6. शिक्षक के लिये सरलता (Easy for Teacher) - शिक्षण-सामग्री का उपयोग जहाँ
विद्यार्थियों के लिये विषय को सरल और सुगम बनाता है वहीं शिक्षक को भी
शिक्षण-कार्य अधिक सरल और सफल बनाने में सहायता मिलती है। जिन बातों को शिक्षक
विद्यार्थियों को स्पष्ट करने में कठिनाई अनुभव करता है, वही बातें उपयुक्त
शिक्षण सहायक सामग्री के उपयोग से वह अधिक सरलता के साथ विद्यार्थियों को
स्पष्ट कर सकता है। इससे शिक्षक का श्रम कहीं अधिक कम हो जाता है।
7. बालक के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन (Desired Change in Pupil's
Behaviour) - विद्यार्थियों के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन करने के लिये यह
आवश्यक है कि कक्षा में अध्यापक की अपेक्षा विद्यार्थी अधिक क्रियाशील रहें।
अधिगम सामग्री के प्रयोग से विद्यार्थी शारीरिक एवं मानसिक रूप से अधिक
क्रियाशील एवं सक्रिय रहते हैं।
8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास (Development of Scientific Attitude)सहायक
सामग्री के प्रयोग से विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रति उचित
दृष्टिकोण उत्पन्न हो जाता है। साथ ही वे विभिन्न प्रकार के उपकरणों का प्रयोग
करके परीक्षण, निरीक्षण एवं स्मरण शक्ति का विकास करके उपयोगी निष्कर्ष निकाल
लेते हैं।
9. मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की पूर्ति (Fulfilment of PsychologicalNeeds) -
कक्षा में सभी विद्यार्थी एक समान नहीं होते। उदाहरण के लिए कोई विद्यार्थी
देखकर, सुनकर जान लेता है, तो कोई देखकर ही अथवा दूसरा सभी प्रकार से सीखता है,
जिसकी पूर्ति दृश्य-श्रव्य सामग्री के उपयोग से ही सम्भव है।
10. मानसिक शक्तियों का विकास (Development of Mental Faculties) - सहायक
सामग्री का प्रयोग करने के कारण सामाजिक अध्ययन का शिक्षार्थी किसी वस्तु,
स्थान या आँकड़े का निरीक्षण, तुलना या विश्लेषण करना सीख जाता है तथा साथ ही
उक्त तथ्यों के आधार पर किसी निष्कर्ष पर पहुँचने की क्षमता भी उसमें आ जाती
है।
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