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ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2271
आईएसबीएन :0

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बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।

प्रश्न 3. विज्ञान शिक्षण में प्रयुक्त योजना विधि का वर्णन कीजिए।
अथवा
विज्ञान शिक्षण में प्रयुक्त योजना विधि के आधारभूत सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
अथवा
प्रोजेक्ट विधि के प्रमुख सोपानों एवं भौतिक विज्ञान शिक्षण में इसकी उपयोगिकता का उल्लेख कीजिए।

1. परियोजना विधि के चरण को संक्षेप में बताइए।
2. प्रोजेक्ट विधि के गुण एवं दोष बताइए।

3. परियोजना विधि में अध्यापक की भूमिका को समझााइए।
4. परियोजना विधि की विशेषतायें बताइए।
5. प्रोजेक्ट विधि के पदों, गुण-दोष की चर्चा कीजिए।

उत्तर-परियोजना विधि
(Project Method)

योजना विधि का आविष्कार सर्वप्रथम अमेरिकी शिक्षा शास्त्री सर विलियम किलपैट्रिक W.H. Kilpatrick द्वारा किया गया था यह विधि प्रयोजनवाद या Pragmatism की विचारधारा पर आधारित है। इसमें आँकड़ों का एकत्रीकरण किसी समस्या को केन्द्रित करते हुए सामुदायिक रूप से किया जाता है। इस विधि मे सबसे पहले समस्या का चुनाव किया जाता है फिर चरणाबद्ध तरीके से कई छात्र सामुदायिक रूप से तथ्यों की खोज करते हैं तथा उसके निष्कर्षों को एक प्रोजेक्ट के रूप प्रस्तुत करते हैं। यह विधि साहचर्य और सहयोग (Association and Cooperation) के सिद्धान्त पर कार्य करती है। इस प्रकार योजना स्वेच्छा पर आधारित रचनात्मक कार्य करने को प्रेरित करती है। यह विज्ञान के छात्रों के अतिरिक्त अन्य विषयों के छात्रों के लिए भी समान रूप से उपयोगी है। प्रमुख विद्वानों के द्वारा योजना विधि को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया गया है-

W.H. Kilpatrick के अनुसार-"प्रोजेक्ट वह उद्देश्यपूर्ण कार्य है जिसे लगन के साथ सामाजिक वातावरण में किया जाता है।"

बेलर्ड के अनुसार-"प्रोजेक्ट यथार्थ जीवन का वह भाग है जो विद्यालय में प्रदान किया जाता है।"

पारकर के अनुसार—यह क्रिया की एक इकाई है जिसमें विद्यार्थियों को योजना और उद्देश्य निर्धारित करने के लिए उत्तरदायी बनाया जाता है।"

परियोजना विधि के सिद्धान्त (Principles of Project Method) -

शिक्षण योजना की यह विधि निम्नलिखित मूलभूत सिद्धान्तों पर आधारित है-

(1) यथार्थता का सिद्धान्त (Principle of Reality)।
(2) अनुभव का सिद्धान्त (Principle of Experience)।
(3) स्वतन्त्रता का सिद्धान्त (Principle of Freedom)
(4) सहकारिता का सिद्धान्त (Principle of Co-operation)।
(5) उपयोगिता का सिद्धान्त (Principle of Utility)।
(6) उद्देश्य का सिद्धान्त (Principle of Object)।

प्रयोजना विधि के चरण
(Steps of Project Method)

किसी भी विषय से सम्बन्धित प्रोजेक्ट को बनाने के लिए क्रमानुसार निम्नलिखित सोपानों या विधियों का प्रयोग किया जाता है।

(1) परिस्थिति प्रदान करना (To Provide Situation)—किसी समस्या के समाधान को खोजने के लिए अनुकूल परिस्थितियों का होना अति आवश्यक है। इसी प्रकार योजना बनाते समय अध्यापक द्वारा छात्रों को अनुकूल परिस्थिति प्रदान की जाती है। अध्यापक छात्रों की योग्यता को ध्यान में रखते हुए समस्या के प्रति उनकी रुचि उत्पन्न करने में सहायक होता है।

(2) योजना के उद्देश्य एवं चयन (Selection and Objectives of Project) योजना के उपयुक्त विषय का चयन सफलता में काफी सहायक होता है। अध्यापक द्वारा छात्रों की रुचि, योग्यता एवं परिस्थिति के अनुरूप योजना के उद्देश्यों का चयन करना चाहिए।

(3) योजना बनाना (Planning)-अध्यापक द्वारा विषय के उद्देश्यों का चयन करने के उपरान्त सम्पूर्ण कार्य की एक योजना बना लेना चाहिए तथा इसको क्रियान्वयन के लिए छात्रों में सामूहिक और व्यक्तिगत रूप से वितरित कर देना चाहिए।

(4) क्रियान्वयन (Execution) अध्यापक को छात्रों का मार्गदर्शन करते हुए योजना के विभिन्न चरणों को पूर्ण करने के लिए छात्रों को उत्तरदायी बनाना चाहिए तथा समय से समस्या के विभिन्न पहलुओं का क्रियान्वयन होना चाहिए।

(5) मूल्यांकन (Evaluation)—प्रोजेक्ट का यह एक महत्त्वपूर्ण पद है। इसमें सम्पूर्ण कार्य पूर्ण हो जाने पर उसे विभिन्न तथ्यों का उद्देश्यों के अनुसार मूल्यांकन किया जाता है और इसके आधार पर समस्या के समाधान के रूप में निष्कर्ष को प्रस्तुत करते हैं। .

(6) रिकार्डिंग (Recording)—प्रत्येक छात्र को जो कार्य दिया जाता है उससे सम्बन्धित सम्पूर्ण तथ्यों को सुरक्षित रखने की विधि रिकार्डिंग कहलाती है। जब अध्यापक द्वारा निरीक्षण किया जाता है उस समय प्रोजेक्ट से सम्बन्धित लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जाता है। इसमें सम्पूर्ण योजना का एक पूरा विवरण सुरक्षित रखा जाता है।

परियोजना विधि में अध्यापक की भूमिका (Role of the Teacher in Project Method) - परियोजना विधि में विद्यार्थी को सक्रिय करना अति आवश्यक है, क्योंकि यह विधि विद्यार्थी-केन्द्रित होती है। परियोजना विधि में विद्यार्थी और अध्यापक दोनों की भूमिकाओं का अपना महत्व होता है। विद्यार्थियों को प्रेरित करने में अध्यापक की निम्नलिखित भूमिका हो सकती है -

1. अध्यापक स्वयं विद्यार्थियों के साथ अध्ययन करता है।
2. अध्यापक को सभी विद्यार्थियों के बारे में ज्ञान होना चाहिए और उन विद्यार्थियों के अनुसार ही उन्हें कार्य सौंपे जाने चाहिये।
3. अध्यापक को पर्याप्त अनुभव होना चाहिए।
4. इस विधि में अध्यापक एक मार्गदर्शक, मित्र तथा सहयोगी की भूमिका निभाता है न कि किसी तानाशाह की।
5. अध्यापक को विद्यार्थियों के चरित्र और व्यक्तित्व के विकास में सहायक हों ताकि विद्यार्थी अपने ऊपर कुछ उत्तरदायित्व ले सकें।
6. अध्यापक को चाहिए कि वह कक्षा में विद्यार्थियों की स्वतन्त्रता बनाये रखे तथा उनके डर को दूर करे।

परियोजना विधि की विशेषतायें (Characteristics of Project Method). परियोजना विधि की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -

1. यह विधि सीखने के विभिन्न नियमों जैसे- तैयारी का नियम, प्रभाव का नियम तथा अभ्यास का नियम पर आधारित है।
2. इस विधि में परिश्रम की मर्यादा का विकास होता है।
3. इस विधि में समस्या के समाधान की चुनौती का अवसर मिलता है।
4. इस विधि में रचनात्मक और सृजनात्मक क्रियाओं को बढ़ावा मिलता है।
5. परियोजना विधि में विभिन्न विषयों के साथ सह-सम्बन्ध ढूँढ़ा जा सकता है। 6. इस विधि में मानसिक परिधि का विस्तार होता है।
7. इस विधि में विषयों को विभिन्न शाखाओं में नहीं बाँटना पड़ता।
8. परियोजना विधि में विषयों का सहसम्बन्ध अधिकतम हो सकता है।

परियोजना विधि के गुण
(Merits of Project Method)

प्रोजेक्ट विधि के निम्नलिखित गुण या लाभ हैं-

(1) यह विधि मनोविज्ञान पर आधारित है।
(2) छात्रों में प्रोजेक्ट द्वारा सीखा ज्ञान अधिक समय तक बना रहता है।
(3) यह छात्रों के मानसिक विकास के लिए उपयुक्त है।
(4) यह आपस में मिल-जुलकर कार्य करने की भावना उत्पन्न करता है।
(5) विषयों का क्रमबद्ध अध्ययन करने में सहायक है।
(6) सामाजिकता और प्रजातांत्रिक भावना को बढ़ावा मिलता है।
(7) समाज के साथ व्यावहारिक तथा घनिष्ठ सम्बन्ध रहता है।
(8) व्यावहारिक उपयोगिता अधिक होती है।

परियोजना विधि के दोष
(Demerits of Project Method)

सामान्यत: प्रोजेक्ट विधि के जहाँ लाभ हैं वहीं इसकी कुछ हानियाँ भी हैं जो निम्नलिखित हैं-

(1) यह विधि अधिक महंगी होती है।
(2) शिक्षण कार्य व्यवस्थित नहीं हो पाता है।

(3) छात्रों का उचित मूल्यांकन करने में समस्या होती है।
(4) श्रम अधिक खर्च होता है।
(5) उच्च स्तर पर केवल प्रोजेक्ट से शिक्षण नहीं किया जा सकता।
(6) परियोजनाओं के लिए उपकरणों तथा प्रयोगशालाओं की आवश्यकता होती है।
(7) योजना के लिए उचित सन्दर्भ साहित्य का अभाव हो सकता है।
(8) यह प्रत्येक विद्यालय से सम्भव नहीं है।

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