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ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2271
आईएसबीएन :0

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बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।

प्रश्न 4. आगमनात्मक एवं निगमनात्मक शिक्षण विधियाँ एक दूसरे की पूरक हैं। समझाइए।

उत्तर-आगमनात्मक एवं निगमनात्मक विधि में सम्बन्ध
(Relation between Inductive and Deductive Method)

यथार्थ रूप से आगमन एवं निगमन विधि एक-दूसरे की पूरक हैं, इसलिए आरम्भ में आगमन विधि द्वारा उदाहरणों की सहायता से नियमों एवं सूत्रों का प्रतिपादन करना चाहिए तथा उसके बाद निगमन विधि द्वारा उनका उपयोग तथा अभ्यास करना चाहिए, क्योंकि नियमों एवं सूत्रों को याद करने तथा उनका उचित उपयोग करने से समस्याओं को शीघ्रता से हल करने के लिए निगमन विधि ही काम आती है।

गणित एवं विज्ञान शिक्षण में आगमन एवं निगमन दोनों विधियाँ उसी प्रकार आवश्यक हैं जिस प्रकार चलने के लिए हमें दोनों पैरों की आवश्यकता होती है। आगमन विधि का प्रमुख आधार ज्ञान की उत्पत्ति एवं विकास है जबकि निगमन विधि में ज्ञान की शाश्वत प्रस्तुति ही मुख्य आधार होती है। अत: आगमन विधि अग्रगामी है तथा निगमन विधि उसकी सहगामी। दोनों ही विधियाँ एक-दूसरे की कमियों को दूर करती हैं।

इस प्रकार आगमन विधि से सूत्रों तथा नियमों को प्रतिपादित करने, तत्पश्चात् निगमन विधि से आगे बढ़ने तथा अभ्यास कराने की प्रक्रिया को ही आगमन-निगमन विधि कहते हैं। अत: यथार्थ रूप में हम कह सकते हैं कि आगमनात्मक एवं निगमनात्मक शिक्षण विधियाँ एक-दूसरे की पूरक हैं।

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