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ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2271
आईएसबीएन :0

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बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।

प्रश्न 2. निष्पत्ति प्रत्यय प्रतिमान की व्याख्या कीजिए।

उत्तर-निष्पत्ति प्रत्यय प्रतिमान
(Concept Attainment Model)

इस प्रतिमान का विकास सन् 1956 में जे. एस. ब्रुनर (J.S. Bruner), जे. गुड्रो (J.Goodrow) तथा जॉर्ज ऑस्टिन ने किया तथा इस प्रतिमान के उद्भव एवं विकास का कारण मानव में चिन्तन प्रक्रिया पर हुई विभिन्न अनुसंधान एवं खोज है। इस प्रतिमान की मान्यता है कि प्रत्येक मानव में चिन्तन-शक्ति एवं सामर्थ्य होने के कारण वह अपने चारों ओर के वातावरण की जटिलता एवं दुरुहता को समझता है। उसमें उपस्थित विभिन्न तत्वों का वर्गीकरण करता है। उसमें उपस्थित विभिन्न तत्वों में समानता तथा असमानता व्याप्त करता है एवं इन विभिन्न प्रकार के कार्यों के माध्यम से वातावरण से तथ्यों का एकीकरण करते हुए सीखने की प्रक्रिया को पूर्ण करता है।

आसुबेलक तथा रॉबिन्सन के अनुसार-प्रत्यय किसी विशिष्ट क्षेत्रा में उन घटनाओं की ओर संकेत करता है जिन्हें विशिष्टताओं के आधार पर समूहबद्ध किया जाता है। ये विशेषतायें एक समूह के सदस्यों को दूसरे से विभेदित करती हैं।"

प्रत्यय निष्पत्ति - प्रतिमान की व्याख्या इसके विभिन्न तत्वों के आधार पर निम्न प्रकार की जा सकती है-

(1) उद्देश्य (Focus) - इस प्रतिमान द्वारा प्रमुख रूप से छात्रों में आगमन तर्क का विकास किया जाता है। छात्रा या शिक्षार्थी वातावरण के विभिन्न वस्तुओं, व्यक्तियों या घटनाओं के मध्य परस्पर
सहसम्बन्ध तथा विभिन्नता ज्ञात करने का प्रयास करते हैं जिससे उनमें आगमन तर्क का समुचित विकास होता है।

(2) संरचना (Syntax) - इस प्रत्यय निष्पत्ति प्रतिमान की संरचना निम्न चार सोपानों पर प्रमुख रूप से आधारित है.जिनका वर्णन निम्न प्रकार किया गया है-

1. सर्वप्रथम छात्रों के सम्मुख आँकड़ों को प्रस्तुत किया जाता है। ये आँकड़े चाहे किसी घटना से सम्बन्धित हो या किसी व्यक्ति से, छात्रा इन आँकड़ों की सहायता से प्राप्त ज्ञान की इकाइयों को विभिन्न प्रत्ययों का विकास करने के लिए, विभिन्न प्रकार के गुणी या इस प्रत्यय में परिसीमित करता है। इसके विकास में छात्र को पूर्ण पुनर्बलन प्रदान किया जाता है।

2. इस सोपान की शुरूआत प्रत्यय निष्पादन करने के लिए उपयुक्त-नीतियों के विश्लेषण से होती है कुछ छात्रा जटिल से प्रारम्भ करके सरलता की या सामान्य से प्रारम्भ करके विशिष्ट प्रत्यय का निर्माण करते हैं।

3. तृतीय सोपान के अन्तर्गत छात्र अपनी आयु एवं अनुभव के आधार पर विभिन्न प्रकार के प्रत्ययों एवं अनेक गुणों का विश्लेषण करता है। प्रत्ययों के विकसित करने की जटिलता छात्र की आयु के साथ-साथ बढ़ती जाती है। इस सोपान का मुख्य उद्देश्य प्रत्यय के स्वरूप और उसके उपयोग के विषय में रस की अभिवृद्धि करना है।

4. अन्तिम सोपान में छात्र उपर्युक्त प्रत्ययों को अपनाते हैं तथा दूसरे छात्रों को बताते हैं। इसके लिए प्रत्यय खेल का सहारा भी लिया जा सकता है। यह सोपान छात्रों को प्रबल निर्माण की प्रविधि से परिचित कराने में सहायक होता है।

(3) सामाजिक प्रणाली (Social System)- प्रत्यय निष्पत्ति प्रतिमान में शिक्षण एवं अधिगम का मुख्य आधार शिक्षक होता है। शिक्षक को छात्रों की अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त होता है क्योंकि वह तथ्य प्रस्तुत करता है, योजना बनाता है तथा छात्रों को निर्देशित करता है। इस सम्पूर्ण शिक्षक व्यवहार का प्रमुख उद्देश्य छात्रों को प्रत्यय निर्माण में सहायता प्रदान करना है। शिक्षक ही छात्रों के सम्मुख उपयुक्त वातावरण का निर्माण करता है।

(4) मूल्यांकन प्रणाली (Support System) - इस प्रतिमान के अन्तर्गत छात्रों के सम्मुख प्रत्यय निर्माण के लिए आवश्यक एवं उपयुक्त सामग्री का होना आवश्यक है। यह सामग्री छात्रों के सम्मुख सकारात्मक या नकारात्मक किसी भी रूप में हो सकती है जिसके आधार पर छात्र तथ्य एकत्रित करके प्रत्यय का निर्माण करते हैं। इसमें निबन्धात्मक तथा वस्तुनिष्ठ दो प्रकार से मूल्यांकन किया जाता है।

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