शिक्षाशास्त्र >> ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षणईजी नोट्स
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बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।
प्रश्न 2. आधुनिक शिक्षण प्रतिमान से आप क्या समझते हैं? इसके परिवार के
प्रकारों को बताइये। जीन पियाजे द्वारा प्रतिपादित विकासात्मक शिक्षण
प्रतिमान को विस्तारपूर्वक बताइये।
अथवा
आधुनिक शिक्षण प्रतिमान का अर्थ बताते हुये विकासात्मक शिक्षण प्रतिमान को
बताइए।
1. आधुनिक शिक्षण प्रतिमान किसे कहते हैं?
2. शिक्षण प्रतिमान के परिवारों का वर्गीकरण दीजिए।
3. विकासात्मक शिक्षण प्रतिमान से क्या समझते हैं?
उत्तर-आधुनिक शिक्षण प्रतिमान
(Modern Models of Teaching)
जॉयस एवं वील ने सन् 1972 ई. में 20 से भी अधिक शिक्षण प्रतिमानों को बताया था।
इसी को उन्होंने शिक्षण प्रतिमान परिवार की संज्ञा दी थी।
शिक्षण प्रतिमान के परिवार
(Families of Models of Teaching)
शिक्षण प्रतिमान परिवार को मुख्य चार परिवारों में वर्गीकृत किया गया है -
1. सामाजिक परिवार
2. सूचना प्रक्रिया परिवार
3. व्यक्तिगत परिवार
4. व्यावहारिक व्यवस्था परिवार
उपरोक्त परिवारों के आधार पर ही जॉयस एवं वील ने शिक्षण प्रतिमानों को वर्गीकृत
किया है, जिन्हें आधुनिक शिक्षण प्रतिमान कहा जाता है। इनका विवरण निम्नलिखित
हैं -
1. सामाजिक अन्त:क्रिया शिक्षण प्रतिमान (Social Interaction Models of
Teaching) - सामाजिक अन्त:क्रिया शिक्षण प्रतिमान में मनुष्य के सामाजिक पक्ष
के दृष्टिगत सामाजिक विकास पर विशेष ध्यान दिया जाता है। मानव अपने सामाजिक
सम्बन्धों पर अधिक बल देता है।
इसलिए इसका अध्ययन उस शिक्षण प्रतिमान में किया जाता है। जिसमें सम्बन्धित
प्रजातांत्रिक व्यवहार को उत्पन्न करने, सामाजिक जीवन दोनों में वृद्धि करने
में नागरिकों को तैयार किया जा सके।
2. सूचना प्रक्रिया शिक्षण प्रतिमान (Information Processing Models of
Teaching) - सूचना प्रक्रिया शिक्षण प्रतिमान में मानव-प्राणियों के जन्मजात से
सम्बन्धित अभिवृद्धियों पर बल दिया जाता है। इसमें इसके आँकड़ों को प्राप्त
करने तथा व्यवस्थित करने, समस्याओं की भावना समझने और समाधान खोजने का प्रयास
किया जाता है। इसलिये प्रतिमान सृजनात्मक चिन्तन उत्पन्न करते है। इस शिक्षण
प्रतिमान के निम्नलिखित छ: प्रकार हैं -
1. वैज्ञानिक पूछताछ प्रशिक्षण प्रतिमान
2. संप्रत्यय उपलब्धि शिक्षण प्रतिमान
3. अग्रिम संगठक शिक्षण प्रतिमान
4. आगमन-शिक्षण प्रतिमान
5. जैविक विज्ञान पूछताछ शिक्षण प्रतिमान
6. विकासात्मक शिक्षण प्रतिमान
3. व्यक्तिगत शिक्षण प्रतिमान (Personal Models of Teaching) - व्यक्तिगत
शिक्षण प्रतिमान में व्यक्तिगत विकास को विशेष महत्व दिया जाता है जिससे वे
स्वयं के विषय में समझ सकें, अपनी शिक्षा के उत्तरदायित्व ले सकें और अपने
विकास से आगे बढ़ने के लिए सीख सकें और उच्च-स्तरीय जीवन-यापन के लिए अपनी खोज
में अधिक संवेदनशील और अधिक रचनात्मक हो सकें।
4. व्यवहार परिवर्तन शिक्षण प्रतिमान (Behaviour Modification Models of
Teaching) - व्यवहार परिवर्तन शिक्षण प्रतिमान किसी के व्यवहार में परिवर्तन
करने पर बल देते हैं जिसमें व्यवहारों, कार्यों एवं विधियों पर विशेष रूप से
ध्यान केन्द्रित किया जाता है।
विकासात्मक शिक्षण प्रतिमान
(Developmental Teaching Model)
इस प्रतिमान का प्रतिपादन जीन पियाजे (Jean Piaget) ने बालाकों के संज्ञात्मक
वृद्धि (cognitive growth) के लिए विकासक्रम के अध्ययन के आधार पर किया गया।
इसमें छात्रों की मानसिक क्षमता तथा तार्किक चिन्तन की क्षमताओं के विकास पर
महत्व दिया जाता है। इस कारण छात्रों में इस प्रतिमान से सामाजिक योग्यताओं व
ज्ञानात्मक वृद्धि का विकास होता है। इस विकास में शिक्षक इनकी सहायता करता है।
विकासात्मक शिक्षण प्रतिमान के प्रमुख तत्व - इस प्रतिमान के प्रमुख तत्व
निम्नलिखित हैं -
1. केन्द्र-बिन्दु (Focus) - इस प्रतिमान का मुख्य केन्द्र-बिन्दु छात्रों की
सामान्य मानसिक योग्यताओं का विकास करना होता है।
2. संरचना (Syntax) - इस प्रतिमान में दो अवस्थायें निम्नलिखित हैं -
(a) इसमें अध्यापक कक्षा में ऐसा वातावरण प्रस्तुत करते हैं, जिसमें तार्किक
चिन्तन की आवश्यकता नहीं होती।
(b) इसमें शिक्षक छात्रों को आवश्यक निर्देश तथा उनको सहायता प्रदान करता है
जिससे वे विषय को आत्मचिन्तन कर सकें।
3. सामाजिक व्यवस्था (Social System) - इसमें संरचना उच्च स्तर से साधारण स्तर
तक ही हो सकती है। इसमें छात्र एवं शिक्षक के मध्य अन्तःक्रिया होती है। इसमें
छात्रों के समक्ष ऐसा वातावरण प्रस्तुत होता है, जिससे छात्रों को प्रेरणा
मिलती है। यह वातावरण स्वतंत्र एवं खुले बौद्धिक विचारों वाला तथा सामाजिक होता
है, जिसमें शिक्षक विभिन्न प्रकार की सूचनाओं को एकत्रित करने हेतु रास्ता
दिखाता है।
4. सहायक व्यवस्था (Support System) - इस प्रतिमान में शिक्षक अधिगम के लिए एक
वातावरण प्रदान करता है। इसमें छात्रों के मानसिक स्तर के अनुरूप चुनौतिपूर्ण
समस्या प्रस्तुत करता है। समस्या के समाधान के लिए सहायक संसाधन उपलब्ध कराता
है। इस प्रकार शिक्षक मार्ग-प्रदर्शक एवं परामर्शदाता के रूप में कार्य करता
है।
5. उपयोग (Application) - यह तार्किक एवं बौद्धिक चिन्तन का विकास करने में
सहायक होता है। यह छात्रों में ज्ञानात्मक एवं सामाजिक योग्यताओं के विकास के
लिए प्रस्तुत किया जा सकता है जिनसे उसकी ज्ञानात्मक वृद्धि होती है। इनका
प्रयोग उन समस्त विषयों में किया जा सकता है जिनमें किसी प्रकार की समस्या
उत्पन्न हो सके।
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