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ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2271
आईएसबीएन :0

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बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।

प्रश्न 3. छात्रों की कार्य-पुस्तिका और स्लाइड प्रदर्शन से आप क्या समझते हैं? इनकी उपयोगिताओं के बारे में बताइए।

अथवा
छात्रों की कार्य-पुस्तिका और स्लाइड प्रदर्शन का अर्थ बताते हुए इनकी उपयोगिताओं के बारे में उल्लेख कीजिए।
अथवा
विद्यार्थी अभ्यास पुस्तिका पर टिप्पणी लिखिए।

1. कार्य-पुस्तिका से क्या अभिप्राय है?
2. स्लाइड प्रदर्शन का क्या अर्थ है?।

3. भौतिक विज्ञान में कार्य-पुस्तिकाओं की उपयोगिता के बारे में बताइए।
4. स्लाइड प्रदर्शन की उपयोगिताओं के बारे में बताइए।
उत्तर-छात्रों की कार्य-पुस्तिकाएँ
(Students' Work Books)

भौतिक विज्ञान के विद्यार्थियों द्वारा रखी जाने वाली कार्य-पुस्तिकाओं से अभिप्राय उन पुस्तिकाओं या नोट बुकों से है जिन्हें विद्यार्थियों द्वारा व्यक्तिगत रूप से अपने स्वयं द्वारा किये जाने वाले उन कार्यों या क्रिया-कलापों के सम्पादन हेतु प्रयोग में लाया जाता है जिनके माध्यम से उन्हें भौतिक विज्ञानों से सम्बन्धित तथ्यों, सिद्धान्तों तथा प्रक्रियाओं को भली-भाँति समझने तथा प्रयोग में लाने में यथोचित मदद मिल सके। इन कार्य-पुस्तिकाओं के माध्यम से विद्यार्थियों को स्वतन्त्र रूप से उपयोगी क्रियाओं के सम्पादन करने, मौखिक तथा लिखित कार्य करने, सैद्धान्तिक तथा प्रायोगिक अधिन्यासों (assignments) तथा प्रोजेक्टों को पूरा करने सम्बन्धी उपयुक्त सुझाव एवं दिशा-निर्देशन प्राप्त होते हैं। इस तरह से एक अच्छी कार्य-पुस्तिका (Work-book) का उद्देश्य विद्यार्थियों द्वारा सम्पादित वैयक्तिक क्रिया-कलापों के लिए उचित मार्ग-दर्शन प्रदान करके अध्यापक को उसके उस उत्तरदायित्व को निभाने में मदद करना है जिससे उसे एक बड़ी कक्षा के बहुत सारे विद्यार्थियों को उनकी वैयक्तिक विभिन्नताओं को ध्यान में रखकर उचित मार्गदर्शन तथा शिक्षण अधिगम प्रदान करना होता है।

बाजार में कार्य-पुस्तिकायें (work-books) प्राय: पुस्तिकाओं (books) के रूप में उपलब्ध रहती हैं। कुछ की जिल्द बंधी रहती है और कुछ में पेपर्स अपने खुले रूप में बिना जिल्द के ही रहते हैं। ये कार्य-पुस्तिकाएँ अनुभवी लेखकों के परिश्रम का परिणाम होती हैं। अत: इनमें जिन क्रिया-कलापों, प्रश्न और उत्तर देने के प्रारूप, अधिन्यास तथा प्रोजेक्ट का समावेश होता है उनकी गुणवत्ता काफी अच्छे स्तर की होती है और खास कर उनका यह स्तर विषय विशेष के अध्यापक (जो प्रायः अपने कार्य और भार में अक्सर व्यस्त और दबा हुआ ही मिलता है) द्वारा सुझाई गई इस प्रकार के क्रिया-कलापों की योजना से सदैव बेहतर ही आँका जा सकता है।

बहुत से शिक्षाशास्त्रियों तथा विद्वानों द्वारा इन कार्य-पुस्तिकाओं के विद्यार्थियों द्वारा प्रयोग में लाये जाने के बारे में शंकायें तथा आपत्तियाँ उठाई जाती हैं। उनके इन आपत्तियों तथा शंकाओं के पीछे जो कारण सामने आते हैं वे अधिकतर इनके ठीक प्रकार प्रयोग में न लाये जाने से ही अपना सम्बन्ध रखते हैं इनमें निहित अपने दोषों या कमजोरियों से नहीं। अगर एक शिक्षक द्वारा इनका उचित ढंग से प्रयोग किया जाए तो ये विद्यार्थियों को स्वतंत्र ढंग से अपना-अपना कार्य करने और अपेक्षित अधिगम अनुभव अर्जित करने के कार्य में पूरी-पूरी सहायता और मार्गदर्शन प्राप्त करने में पूर्ण सक्षम सिद्ध हो सकती हैं।

कार्य पुस्तिका की उपयोगिता
(Utility of Work Book)

इस प्रयोजन में उचित सहायता प्रदान करने हेतु विषय विशेष के अध्यापक द्वारा कुछ निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना उपयोगी सिद्ध हो सकता है-

(1) अध्यापक को कार्य-पुस्तिकाओं को शिक्षण साधन के रूप में ही मान्यता देनी चाहिए, उन्हें अपने आप में साध्य (end) नहीं समझ बैठना चाहिए।
(2) अध्यापक को बड़ी ही सावधानी से चयन कर ऐसी कार्य-पुस्तिका की विद्यार्थियों के प्रयोग हेतु सिफारिश करनी चाहिए जो निर्विवाद रूप से उत्तम स्तर की हो, जिनमें स्वाध्याय सामग्री, परीक्षण प्रश्नों, आगे अध्ययन योग्य पुस्तकों तथा सन्दर्भ ग्रन्थों का उल्लेख तथा प्रयोगात्मक, क्रियात्मक और प्रोजेक्ट कार्यों (प्रत्येक प्रकरण/इकाई/उपइकाई के सन्दर्भ में) आदि उपयुक्त सामग्री दी हुई हो।
(3) उस कार्य-पुस्तिकाओं में जो कुछ भी दे रखा हो उस सामग्री को अपने अनुभव तथा कार्यक्षमता का उपयोग करते और अधिक उपयोगी बनाने के लिए वांछित परिश्रम करना चाहिए ताकि उसे कक्षा के विद्यार्थियों की वैयक्तिक योग्यताओं तथा आवश्यकताओं के अनुरूप ढालकर काम में लाया जा सके।
(4) उसे कभी भी कार्य-पुस्तिकाओं को अपने उत्तरदायित्वों से बचने का साधन मानने की भूल नहीं करनी चाहिए। विद्यार्थियों से कार्य-पुस्तिकाओं में वर्णित कार्य करने को कहकर अपने उत्तरदायित्व की इतिश्री नहीं करनी चाहिए। प्रायः अध्यापक ऐसा कहकर अपने व्यक्तिगत कार्यों को कक्षा या प्रयोगशाला में पूरा करने या झपकी लेने में व्यस्त हो जाते हैं। ऐसा करना कदापि ठीक नहीं है।
कार्य-पुस्तिकाओं में वर्णित कार्यों को विद्यार्थी तभी अच्छी तरह पूरा कर सकते हैं जबकि उनका कार्यों को करने के दौरान : भली-भाँति निरीक्षण और मार्गदर्शन किया जाये।

(5) किसी भी अवस्था में अध्यापक को अपने द्वारा पढ़ाये गये या प्रदर्शन किये गये प्रायोगिक कार्यों के द्वारा प्रदत्त अधिगम अनुभवों को विद्यार्थियों द्वारा भली-भाँति समझने और व्यवहार में लाने के प्रयत्नों में कार्य-पुस्तिकाओं के ऊपर जरूरत से अधिक निर्भरता नहीं दिखानी चाहिए। कार्य-पुस्तिकाओं के ऊपर इस प्रकार की अतिनिर्भरता विद्यार्थियों तथा अध्यापक दोनों को पंगु, निष्क्रिय एवं सृजनहीन बना सकती है। अत: विद्यार्थियों तथा अध्यापकों द्वारा किये गये अपने प्रयासों और प्रयत्नों के लिए भी छूट देने के प्रयत्न चलते रहने चाहिए।

(6) जहाँ तक सम्भव हो अध्यापक द्वारा विद्यार्थियों को कार्य-पुस्तिकाओं के आधार पर अधिगम अनुभव ग्रहण करने तथा विभिन्न प्रकार के क्रिया-कलापों के सम्पादन के सम्बन्ध में इस प्रकार सहायता की जानी चाहिए कि विद्यार्थी भौतिक विज्ञान के तथ्यों, सिद्धान्तों एवं प्रक्रियाओं को उचित ढंग से समझ सके, उन पर चिन्तन स्तर (reflective level) पर सोच-विचार कर सके तथा क्रियाओं के सम्पादन में सृजनात्मक एवं अन्वेषणात्मक दृष्टिकोण का परिचय दे सकें।

(7) कार्य-पुस्तिकाओं को प्रयोग में लाकर अध्ययन एवं कार्यरत विद्यार्थियों द्वारा जो कुछ भी व्यक्तिगत रूप से सम्पादित किया जाता है इसका विधिवत् रिकार्ड भी अध्यापक द्वारा रखा जाना चाहिए ताकि ये उनके ग्रेडिंग तथा मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु उचित आधार बन सकें।

(8) विद्यार्थियों से प्राय: कार्य-पुस्तिकाओं में ही कुछ लिखने तथा अपने विचार प्रकट करने के लिए कहा जाता है। यहाँ इस बात का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए कि कार्य-पुस्तिकाओं में पूछे गये प्रश्नों के विद्यार्थियों द्वारा प्रश्नों की माँग के अनुसार उचित प्रकार से उत्तर दिये जायें। किसी भी प्रकार की लापरवाही न की जाये तथा स्वच्छ एवं स्पष्ट रूप से कार्य-पुस्तिकाओं में लिखा या चित्रांकन वगैरह किया जाये।

(9) जहाँ जैसी आवश्यकता हो उसके अनुरूप विद्यार्थियों को व्यक्तिगत रूप से कार्य-पुस्तिकाओं में वर्णित एवं निर्देशित कार्यों को सम्पादित करने में विद्यार्थियों की सहायता या मार्गदर्शन अवश्य किया जाना चाहिए। वे अपने अधिन्यासों (assignments) प्रोजेक्ट कार्यों, प्रयोगशाला तथा अन्य क्रियात्मक कार्यों को किस प्रकार सुचारु ढंग से कर सकते हैं, प्रोजेक्ट रिपोर्ट कैसे तैयार कर सकते हैं, प्रयोगशाला तथा अन्य क्रियात्मक विवरणों के निरीक्षण तथा निष्कर्षों को किस ढंग से सही रूप दे सकते हैं, पुस्तकालय या अन्य स्रोतों से अध्ययन सामग्री कैसे प्राप्त कर सकते हैं, इत्यादि बातों के बारे में मार्गदर्शन प्रदान करने से विद्यार्थियों को अपनी कार्य-पुस्तिकाओं का सही उपयोग करने में यथेष्ट मदद मिल सकती है।

स्लाइड प्रदर्शन
(Display Slides)

स्लाइड प्रदर्शन एक विशिष्ट आकार वाला पारदर्शित तल का वह भाग है जिस पर रेखाचित्र, चित्र या तस्वीरें बनी होती हैं। इस प्रकार के स्लाइड को प्रोजेक्टर में प्रयोग किया जाता है जिन्हें प्रकाश के माध्यम से अच्छी प्रकार से देखा जा सकता है। ये विज्ञान शिक्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं क्योंकि इसमें सिद्धान्तों, नियमों एवं प्रक्रियाओं के स्पष्टीकरण का विश्लेषण कर उसको प्रदर्शन कार्य के लिये वरीयता प्रदान की जाती है। इससे छात्रों में रुचि, लगन, प्रतिभा आदि गुणों का विकास होता है और इन स्लाइड्स के निर्माण में समय, शक्ति और धन का एक सही उपयोग होता है। आजकल कम्प्यूटर युग का चलन है जिसमें विभिन्न विषयों से सम्बन्धित विषय-वस्तु पर आधारित स्लाइड्स व सॉफ्टवेयर प्रोग्राम आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। स्लाइड्स के माध्यम से पढ़ाने का उपयोग शिक्षकों को जरुर करना चाहिये। इसका प्रयोग सभी परिस्थितियों में प्रभावशाली ढंग से किया जा सकता है।

स्लाइड प्रदर्शन की उपयोगिता
(Utility of Display Slides)

स्लाइड प्रदर्शन की उपयोगिता निम्नलिखित हैं -

1. शिक्षण-अधिगम परिस्थितियों वं कक्षा वातावरण को सहज, प्रभावी एवं उपयोगी बनाने तथा शिक्षण में नवीनता एवं रोचकता लाने की दृष्टि से इन स्लाइड्स का महत्वपूर्ण योगदान रहता है।

2. स्लाइड्स का सबसे महत्वपूर्ण उपयोग यह है कि इनके माध्यम से शिक्षण सामग्री को किसी भी रुप में कक्षा परिस्थितियों के अनुसार विद्यार्थियों के सामने प्रस्तुत किया जा सकता है।

3. शिक्षण सम्बन्धी विभिन्न क्रियाओं एवं युक्तियों में इनका प्रयोग सफलतापूर्वक किया जा सकता है।
4. ये स्लाइड्स विद्यार्थियों का ध्यान आकर्षित करने में सहायक होती है।
5. स्लाइड प्रदर्शन शिक्षण-अधिगम परिणामों का मूल्यांकन करने में सहायक सिद्ध होता है।
6. विद्यार्थियों की रचनात्मक व सृजनात्मक प्रतिभा के विकास में स्लाइड्स प्रदर्शन का महत्वपूर्ण योगदान रहता है।
7. स्लाइड को कितनी ही बार व किसी भी तरह सफलतापूर्वक प्रयोग में लाया जा सकता है।

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