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ईजी नोट्स-2019 बी.एड. - I प्रश्नपत्र-4 वैकल्पिक पदार्थ विज्ञान शिक्षण

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2271
आईएसबीएन :0

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बी.एड.-I प्रश्नपत्र-4 (वैकल्पिक) पदार्थ विज्ञान शिक्षण के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।

प्रश्न 5. ब्लूम के भावात्मक पक्ष को समझाइये।

उत्तर-भावात्मक पक्ष
(Affective Domain)

इस पक्ष के अन्तर्गत विद्यार्थी के व्यवहार का भावात्मक पक्ष उसकी रुचियों, संवेगों तथा मनोवृत्तियों से सम्बन्धित होता है।

ब्लूम द्वारा प्रस्तुत वर्गीकरण में भावात्मक पक्ष के अन्तर्गत सम्मिलित उद्देश्यों को निम्नलिखित पाँच स्थूल वर्गों में विभाजित किया गया है-

(क) स्वीकरोक्ति या ध्यान देना (Receiving Attending)—यह भावात्मक क्षेत्र का प्रारम्भिक व निम्न स्तर है। इसमें सीखने वाला उद्दीपक के प्रति संवेदनशीलता प्रकट करता है। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित क्रियाओं को स्थान दिया गया है-
(i) चेतनता रूप अभिज्ञता (Awareness)
(ii) स्वीकार करने की इच्छा (Willingness to reciprive)
(iii) नियन्त्रित अथवा चयनित अवधान या ध्यान (Controlled or selected attention)

(ख) संवेदनशीलता या अनुक्रिया (Responding)—इसके अन्तर्गत अधिक उत्प्रेरणा तथाअवधान में अधिक नियमितता की अपेक्षा की जाती है। व्यावहारिक दृष्टि से इसे अभिरुचि कहा जा सकता है। इसमें निम्नलिखित क्रियाएँ सम्मिलित होती हैं-
(i) संवेदनशील होने की इच्छा या अनुक्रिया की सहमति (Acquiesence in responding)
(ii) संवेदनशीलता की सन्तुष्टि (Willingness in respond)

(ग) मूल्य निर्धारण (Valuing)—मूल्य निर्धारण के अन्तर्गत व्यवहार की उत्प्रेरणा आती है जो व्यक्ति की किसी मूल्य के प्रति प्रतिबद्धता पर आधारित होती है। इसे अविभूति (Attitude) कहा जा सकता है। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित क्रियाओं को सम्मिलित किया गया है-
(i) मूल्यों को स्वीकारना (Aceptance of a value)
(ii) मूल्य को वरीयता क्रम देना (Preference of a value)
(iii) प्रतिबद्धता (Commitment)

(घ) संगठन या व्यवस्था (Organization) संगठनात्मक व्यवस्था में व्यक्ति का व्यवहार सामान्यतया किसी एकाकी की अभिवृत्ति से उत्प्रेरित न होकर अभिवृत्ति समूह से होता है। ऐसे समूह के संगठित रूप को व्यवस्था या संगठन कहते हैं। संगठन या व्यवस्था के अन्तर्गत निम्नलिखित क्रियाओं को स्थान दिया जाता है-
(i) मूल्य का सम्बन्धीकरण या प्रत्ययीकरण (Conceptualization of a value)
(ii) मूल्य प्रणाली की व्यवस्था करना (Organization of a value system)

(च) मूल्य का लक्षण वर्णन (Characterization of a value)-मूल्यों को निरन्तर आत्मसात करने से कार्य प्रभावित होते हैं तब व्यक्ति इस प्रक्रिया से एक ऐसे स्तर पर पहुँच जाता है जिसे जीवन दर्शन कहने लगते हैं तो वह लक्षण वर्णन की स्थिति कहलाती है। लक्षण वर्णन के अन्तर्गत निम्नलिखित क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है-

(i) सामान्य समुच्चय (Generalized set)
(ii) लक्षण वर्णन (Characterization)

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