| हिन्दी भाषा >> ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष हिन्दी भाषा प्रथम प्रश्नपत्र ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष हिन्दी भाषा प्रथम प्रश्नपत्रईजी नोट्स
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बी. ए. प्रथम वर्ष हिन्दी भाषा प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।
प्रश्न २ . अपभ्रंश का अर्थ बताते हुये उसका विकास बताइये।
      उत्तर - हिन्दी भाषा के प्रारम्भिक या शुरूआती रूप अपभ्रंश को ही 'गुलेरी जी
      पुरानी हिन्दी की संज्ञा से अभिहित करते हैं। इसे संक्रान्ति काल की भाषा
      होने के कारण सन्धा भाषा भी कहा जाता है। पुरानी हिन्दी या सन्धा भाषा में
      प्राचीन बंगला, 'शौरसेनी अपभ्रंश' का प्राचीन रूप, तथा बनिकान्त काकती के
      अनुसार असमी भाषा का प्राचीन रूप भी झलकता है। प्राचीन मगही या पुरानी हिन्दी
      का आदि रूप विद्वान जयकान्त मिश्र जी प्राचीन मैथिली को मानते थे। आठवीं से
      बारहवीं सदी तक की केन्द्रीय साहित्यिक भाषा होने के कारण अपभ्रंश या पुरानी
      हिन्दी के कलेवर में उड़िया, असमी, मैथिली एवं मगही की कुछ विशेषताएं उपलब्ध
      होती हैं। हिन्दी भाषा की पृष्ठभूमि एवं आधारशिला होने का गौरव पुरानी हिन्दी
      को ही प्राप्त है। पुरानी हिन्दी ही विकास को स्पर्श करती हुई आज की आधुनिक
      हिन्दी भाषा के स्वरूप में अवतरित हुई है। राजस्थान की वीरगाथात्मक रासो
      साहित्य एवं पूर्वी प्रदेश के संतो का उपदेशात्मक साहित्य हिन्दी में लिखा
      गया। अतएव पुरानी हिन्दी को आधुनिक हिन्दी एवं खड़ी बोली का आदि श्रोत कहना
      उपयुक्त होगा। इस भाषा का साहित्य चर्यापादों एवं दोहों में मिलता है। सिद्ध
      सम्प्रदाय एवं नाथ सम्प्रदाय के ग्रंथों में भी पुरानी हिन्दी का सहज एवं
      स्वाभाविक स्वरूप प्राप्त होता है। 
    
प्रश्न ३ . स्पष्ट कीजिए कि अपभ्रंश आधुनिक भारतीय भाषा के विकास की कड़ी है।
      उत्तर : अपभ्रंश का शाब्दिक अर्थ होता है बिगड़ा हुआ। संस्कृत के अतिरिक्त
      अन्य समस्त भाषाओं को अपभ्रंश कहा जाता है। डॉ. भोलानाथ तिवारी ने अपभ्रंश को
      प्राकृत का परिवर्तित रूप माना है। विद्वानों ने भारतीय आर्यभाषाओं के विकास
      की कड़ी के रूप में अपभ्रंश को स्वीकार किया है। अपभ्रंश को अवहट्ट भी कहा
      गया है। अपभ्रंश के बाद इसी का अवहट्ट रूप ही आधुनिक भारतीय भाषा के विकास का
      आधार है। हिन्दी तथा अन्य आधुनिक भाषाओं का विकास संस्कृत में हुआ तथा
      संस्कृत में परिवर्ती रूप अपभ्रंश के प्रत्येक पद से हिन्दी के विकास की कड़ी
      है। 
      			
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