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ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2011
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।


प्रश्न 4. धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।

उत्तर - धननंद नन्द वंश का अन्तिम राजा था जो सिकन्दर का समकालीन था। यूनानी लेखकों के अनुसार उसके पास असीम सेना तथा अतुल सम्पत्ति थी। उसका साम्राज्य बहुत विशाल था जो उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी तक तथा पश्चिम में सिन्धु नदी से लेकर पूर्व में मगध तक फैला हुआ था। धननंद एक लोभी शासक था जिसे धन-संग्रह करने का व्यसन था। टर्नर के अनुसार, "सबसे छोटा भाई (महापदमनन्द का) धननंद कहलाता था क्योंकि उसे धन बटोरने का व्यसन था। उसने 80 करोड़ धनराशि गंगा के भीतर एक गुफा में छिपाकर रखी थी। एक सुरंग बनवाकर उसने वह धन वहाँ गड़वा दिया था। पशुओं के अतिरिक्त उसने पशुओं के चमड़े, वृक्षों की गोंद तथा खानों की पत्थरों के ऊपर भी कर लगाकर अधिकाधिक धन संचित किया था।

धननंद अपनी असीम शक्ति तथा सम्पत्ति के बावजूद भी जनता का विश्वास प्राप्त नहीं कर सका। उसके राज्य की प्रजा उससे घृणा करती थी। उसने अपने समय के प्रतिष्ठित ब्राह्मण कौटिल्य को, जो वेदों तथा शास्त्रों का ज्ञाता था और तक्षशिला के शिक्षा केन्द्र का प्रमुख आचार्य था, अपनी यज्ञशाला में बहुत अधिक अपमानित किया जिससे क्रुद्ध होकर कौटिल्य ने नन्दों को समूल नष्ट कर देने की प्रतिज्ञा की। धननंद छोटी-छोटी वस्तुओं पर भारी-भारी कर लगाकर जनता से बलपूर्वक धन वसूल करता था। इस कारण जनता नन्दों के शासन के विरुद्ध हो गई। चारों ओर घृणा एवं असन्तोष का वातावरण व्याप्त हो गया। इस असन्तोष का लाभ उठाकर कौटिल्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य को अपना अस्त्र बनाया। सर्वप्रथम चन्द्रगुप्त ने नन्द साम्राज्य के केन्द्रीय भाग पर आक्रमण किया, परन्तु सफलता नहीं मिली। उसने दूसरी बार सीमान्त प्रदेशों की विजय करते हुए नन्दों की राजधानी पर धावा बोला। इस युद्ध में अन्ततः धननंद मारा गया और चन्द्रगुप्त का मगध साम्राज्य पर अधिकार हो गया। इस प्रकार कौटिल्य ने नन्दों को समूल नष्ट कर देने की अपनी प्रतिज्ञा पूरी की।

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