इतिहास >> ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्रईजी नोट्स
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बी. ए. प्रथम वर्ष प्राचीन इतिहास प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।
प्रश्न 1. प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर - इतिहास का विभाजन प्रागैतिहास, आद्य इतिहास तथा इतिहास तीन भागों में
लिया गया है।
प्रागैतिहास से तात्पर्य उस काल से है जब मनुष्य ने लिपि अथवा लेखन कला का
विकास नहीं किया था। मानव सभ्यता के आदि काल को पाषाण काल कहते हैं क्योंकि
इसमें मनुष्य का जीवन पाषाण निर्मित उपकरणों पर निर्भर करता था।
प्रागैतिहासिक काल की परिधि में सभी पाषाणयुगीन सभ्यताएँ आती हैं। लिपि के
स्पष्ट प्रमाण सिन्धु सभ्यता में मिल जाते हैं किन्तु उसका वाचन अभी तक सम्भव
नहीं हो पाया है। वैदिक काल में शिक्षा सभ्यता को सूचित करने के लिए
प्रागैतिहास के स्थान पर 'आद्य इतिहास' शब्द का प्रयोग किया जाता है। इसके
अन्तर्गत वे धातुकालीन सभ्यताएँ आती हैं जिनके विषय में लिखित प्रमाणों से
प्रकाश नहीं पड़ता। जिस काल का इतिहास लिखित साक्ष्यों से पता चलता है उसे
ऐतिहासिक काल कहते हैं। भारतीय सन्दर्भ में यह काल ईसा पूर्व छठी शताब्दी से
प्रारम्भ होता है।
प्रश्न 2 - भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
उत्तर - संस्कृत नाटककारों में भास का नाम सर्वप्रथम उल्लेखनीय है। वह
कालिदास के पूर्ववर्ती हैं। भास के समय के विषय में मतभेद हैं। विद्वानों ने
ईसा पूर्व चौथी शताब्दी से लेकर सातवीं शताब्दी ईस्वी तक की तिथियाँ भास के
लिए प्रस्तावित की हैं। सम्भवतः उनका आविर्भाव ईसा पूर्व पाँचवीं चौथी
शताब्दी में हुआ था।
भास संस्कृत साहित्य के प्रकाण्ड विद्वान थे। भास को भारतीय नाटकों का प्रथम
रचयिता माना जाता है। भास ने तेरह नाटकों की रचना की थी जिनमें
'स्वप्नवासवदत्तम' इनकी सर्वश्रेष्ठ रचना थी। 'स्वप्नवासवदत्तम' नाटक में
नाटक की नाटकीयता है तो एक ओर रस मज्जलू समावेश भी मिलता है। यह रचना महाकवि
भास की उच्च तकनीकी एवं उनके रचना कौशल का दर्पण है। इस रचना में नाटकीयता
ग्रन्थ के आगे बढ़ने के साथ-साथ आगे बढ़ जाती है। इस नाटक की कथावस्तु
ऐतिहासिक है। इस रचना की भाषा शैली मधुर तथा सुग्राह्य है।
प्रश्न 3 - 'फाह्यान' पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर - चीनी यात्री फाह्यान का जन्म 'वु-यांग' नामक स्थान पर हुआ था।
फाह्यान बचपन से ही प्रतिभाशाली बालक था। बचपन में ही वह भगवान बुद्ध की
शिक्षाओं की ओर आकृष्ट हुआ तथा बड़े होने पर भिक्षु जीवन व्यतीत करने लगा।
उसकी आस्था दिनोंदिन बुद्ध के उपदेशों तथा शिक्षाओं में दृढ़ हो गयी थी।
बौद्ध ग्रन्थों के गहन अध्ययन की लालसा से उसने अपने कुछ सहयोगियों के साथ
भारतवर्ष की यात्रा प्रारम्भ की तथा चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासन काल में
भारत आया। 399 ई. से 414 ई. तक उसने भारत के विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया।
उसके द्वारा लिखा गया भ्रमण-वृत्तान्त चन्द्रगुप्तकालीन भारत की सांस्कृतिक
दशा का सुन्दर निरूपण करता है।
प्रश्न 4 - दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
उत्तर - दारा प्रथम के समय से भारत के पारसीक आधिपत्य के विषय में हमारा
ज्ञान अपेक्षाकृत अधिक हो जाता है। दारा के शासन के तीन अभिलेख महत्वपूर्ण थे
- बेहिस्तून, पर्सिपोलिस तथा नक्श-ए-रुस्तम। बेहिस्तून अभिलेख (लगभग 520-518
ईसा पूर्व) में उसके साम्राज्य के तीन प्रान्तों का उल्लेख हुआ है। इसमें
शत्रु तथा गदर के नाम मिलते हैं लेकिन भारत का नहीं। पर्सिपोलिस (लगभग
518-515 ईसा पूर्व) तथा नक्श-ए-रुस्तम (लगभग 515 ईसा पूर्व) के लेखों में
हिन्दू का उल्लेख उसके साम्राज्य के प्रान्त के रूप में हुआ है।
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