लोगों की राय

भूगोल >> ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2009
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।


वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प चुनिए।

1. पवन अपरदन का सक्रिय कारक निम्नांकित में से किन क्षेत्रों में होता है?
(a) अर्द्धशुष्क तथा शुष्क मरुस्थलीय भागों में
(b) अर्द्धशुष्क भागों में
(c) शुष्क भागों में
(d) इनमें से कोई नहीं

2. अर्द्धशुष्क रेगिस्तानी भाग वे होते हैं जहाँ कि वार्षिक वर्षा होती है?
(a) 25-50 सेमी0
(b) 50-75 सेमी0
(c) 75-100 सेमी0
(d) 100-125 सेमी0

3. पवन द्वारा अपरदन कार्य प्रमुख रूप से होता है-
(a) भौतिक या यांत्रिक
(b) रासायनिक
(c) भौतिक व रासायनिक दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं

4. पवन के अपरदन कार्य हेतु निम्नलिखित में से उपयुक्त है-

(a) अपवाहन
(b) अपघर्षण
(c) सन्निघर्षण
(d) उपरोक्त सभी

5. उष्ण शुष्क भागों में सिलिकीय (Siliceous) शैलों में रासायनिक अपक्षय द्वारा निर्मित कन्दरायुक्त स्थलरूप को क्या कहा जाता है?
(a) टैफोनी (b) मरु वार्निश (c) ड्यूरीक्रस्ट (d) पवन गर्त

6. निम्नलिखित में से कौन-सा स्थलरुप कुकुरमुत्ते की भाँति प्रतीत होता है-
(a) छत्रक शिला (b) वात गर्त (c) इन्सेलबर्ग (d) इनमें से कोई नहीं

7. छत्रक शिला को सहारा के रेगिस्तान में कहा जाता है-
(a) छत्रक शिला (b) गारा (c) वातर्गत (d) इन्सेलबर्ग

8. इन्सेलबर्ग का निर्माण किस प्रकार के चट्टानों से होता है-
(a) ग्रेनाइट या नीस (b)अवसादी (c) ज्वालामुखी (d) रुपांतरित

9. पृथ्वी का कितने प्रतिशत भाग शुष्क एवं अर्द्धशुष्क क्षेत्रों के अन्तर्गत आता है?
(a) 75 प्रतिशत (b)100 प्रतिशत (c) 33.33 प्रतिशत (d) 45 प्रतिशत

10. पवन की अपवाहन क्रिया के फलस्वरूप निर्मित मरुस्थलीय गड्ढों को कहा जाता है?
(a) वात गर्त (b) पवन गर्त (c) मरुस्थलीय गर्त (d) इनमें से कोई नहीं

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

लोगों की राय

No reviews for this book