भूगोल >> ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्रईजी नोट्स
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बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।
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पृथ्वी की आन्तरिक संरचना
अध्याय का संक्षिप्त परिचय
पृथ्वी की आन्तरिक संरचना के विषय में विद्वानों के बीच आज तक मतभेद बना हआ
है। पृथ्वी के धरातल का स्वरूप, पृथ्वी की आन्तरिक व्यवस्था और संरचना का
परिणाम है, अतः पृथ्वी की आन्तरिक संरचना के विषय में जानकारी उपलब्ध करना
अति आवश्यक है। पृथ्वी की आन्तरिक संरचना के अन्तर्गत सम्बन्धित तथ्यों के
निश्चित प्रमाण उपलब्ध नहीं है। वर्तमान में भूगर्भ सम्बन्धी जो जानकारी
उपलब्ध हैं, वह अनेक साधनों द्वारा प्राप्त की गई हैं, इन्हें हम तीन भागों
में बाँट सकते हैं-
1. अप्राकृतिक साधन (Artificial Sources)
(i) घनत्व (Density) (ii) दबाव (Pressure)
(iii) तापमान (Temperature)
2. पृथ्वी की उत्पत्ति से सम्बन्धित सिद्धान्तों के साक्ष्य
(Evidences from the Theories of the origin of the earth)
3. प्राकृतिक साधन (Natural Sources)
(i) ज्वालामुखी उद्गार (volcamic eruption)
(ii) भूकम्प विज्ञान (Seismology)
पृथ्वी का औसत घनत्व 5.52 ग्राम प्रति घनसेंट मीटर है। इसकी बाह्य परत का
घनत्व 3.0, मध्यपरत का 5.0 तथा अन्तरतम का घनत्व 11 से 13.5 ग्राम प्रति घन
सेंटीमीटर है। दबाव बढ़ने के साथ ही घनत्व भी बढ़ता है। प्रति 32 मीटर पर 1°C
तापमान की वृद्धि होती है। 100 किमी0 की गहराई में प्रत्येक किमी0 पर 12°C की
वृद्धि होती है। पृथ्वी के आन्तरिक भाग से ऊष्मा का बाहर की ओर प्रवाह तापीय
संवहन तरंगों के रूप में होता है। ग्रहाणु परिकल्पना के अनुसार पृथ्वी का
अन्तरतम भाग ठोस अवस्था में है। पृथ्वी की आन्तरिक संरचना की जानकारी प्राप्त
करने हेतु भूकम्पीय तरंगों को काफी उपयुक्त माना जाता है। पृथ्वी के अन्दर वह
स्थान जहाँ से भूकम्प की मूल उत्पत्ति होती है या कम्पन आरम्भ होता है,
भूकम्प केन्द्र कहलाता है तथा उसके ऊपर का धरातल जहाँ भूकम्पीय तरंगों का
अनुभव सबसे पहले किया जाता है, भूकम्प अधिकेन्द्र कहलाता है। भूकंपीय तरंगों
को तीन भागों में विभाजित किया जाता है-
1. प्राथमिक या अनुदैर्ध्य तरंगें (Primary or Longitudinal or
comperessional waves)
2. द्वितीयक या अनुप्रस्थ तरंगें (Secondary or transverse or distortional
waves)
3. धरातलीय तरंगें (Surface or long period waves)
भूकम्पीय क्रिया के दौरान उपरोक्त तरंगों के संचरण वेग द्वारा अपनाये गये
मार्गों से पृथ्वी की आन्तरिक संरचना पर पर्याप्त प्रकाश डाला जा सकता है। P
तरंगों का संचरण वेग सबसे अधिक 8 Km/Sec होता है। ये पृथ्वी के भीतर भूकंप
केन्द्र से आरम्भ होकर पृथ्वी के ठोस, तरल और गैसीय सभी प्रकार के क्षेत्रों
को पार करती हुई भू-पृष्ठ के ऊपर अन्य किसी तरंग से पहले पहुँचती है। ये
आगेपीछे धक्का देती हुई आगे बढ़ती है। S तरंगों का संचरण वेग अपेक्षाकृत कम
होता है। 5-6 Km/Sec ये सिर्फ ठोस माध्यम से ही गुजर सकती है और अपनी धीमी
गति से कारण भूपृष्ठ के ऊपर P तरंगों की अपेक्षा कुछ देर से पहुँचती है। ये
आगे-पीछे धक्का न देकर ऊपर-नीचे, आड़े-तिरछे धक्का देती हैं और यह अधिक
खतरनाक भी होती है। L तरंगों का संचरण वेग सबसे कम 1.5-3 Km/Sec होता है। ये
भूकम्प अधिकेन्द्र से उत्पन्न होकर पृथ्वी के ऊपरी भाग पर चलती हैं। ये अन्य
दो तरंगों की अपेक्षा अधिक विध्वंसकारी होती हैं।
स्वेस महोदय ने रासायनिक संरचना के आधार पर पृथ्वी के आन्तरिक भाग को तीन
भागों में विभाजित किया है-
1. सियाल (Sial) 2. सीमा (Sima) 3. निफे (Nife)
सियाल, परतदार शैलों के नीचे पायी जाती है। जिसकी रचना ग्रेनाइट चट्टान से
हुई है। इस परत में सिलिका (Silica-Si) तथा एल्यूमिनियम (Aluminium-Al) जैसे
पदार्थ की प्रधानता है। इस परत का औसत घनत्व 2.9 है। महाद्वीपों की रचना इसी
परत से मानी जाती है। सीमा, सियाल के नीचे वाली परत है। इसकी रचना बैसाल्ट
आग्नेय चट्टानों से हुई है। यहीं से ज्वालामुखी उद्गार के समय गर्म लावा बाहर
आता है। इसमें सिलिका और मैग्नेशियम की अधिकता होती है। इस परत का . औसत
घनत्व 2.9 से 4.7 है।
निफे, यह पृथ्वी की तीसरी व अन्तिम परत है। इसमें निकल तथा फेरियम तत्वों की
अधिकता पायी जाती है। इसका औसत घनत्व 11 है।
इस प्रकार से हम उपरोक्त तथ्यों के माध्यम से पृथ्वी की आन्तरिक संरचना की
जानकारी प्राप्त करते हैं।
स्मरण रखने योग्य महत्त्वपूर्ण तथ्य
* पृथ्वी का औसत घनत्व 5.52 ग्राम प्रति घन सेमी0 है।
* स्वेस महोदय ने पृथ्वी की संरचना में तीन परतों को बताया है।
* पृथ्वी की आन्तरिक संरचना को जानने के लिए प्राकृतिक स्रोत ज्वालामुखी
उद्गार व भूकम्प विज्ञान है।
* दबाव में वृद्धि के उपरान्त घनत्व में भी वृद्धि होती है।
* भूकम्पीय तरंगें, तीन प्रकार की होती हैं, P तरंगे, S तरंगे तथा L तरंगे।
* पृथ्वी का औसत घनत्व जल की तुलना में 5.48 गुना अधिक है।
* पृथ्वी के अन्तरतम का घनत्व सर्वाधिक है। कोर धातु का बना है।
* लोहा और निकल चुम्बकीय प्रधान पदार्थ हैं।
* पृथ्वी के आन्तरिक भाग में उष्मा का जनन मुख्य रूप से रेडियो सक्रिय
पदार्थों तथा गुरुत्वबल के तापीय ऊर्जा में परिवर्तन के कारण होता है।
* पृथ्वी के बाह्य मण्डल में प्रमुख चट्टानें ग्रेनाइट बेसाल्ट तथा
पेरिडोटाइट हैं।
* ज्वारीय संकल्पना जेम्स जीन्स ने दी है।
* यूरेनियम, थोरियम तथा पोटैशियम रेडियो सक्रिय पदार्थ हैं।
* भूकम्प द्वारा उत्पन्न 'S लहरें' तरल भाग में लुप्त हो जाती हैं।
* आयतन की दृष्टि से मौण्टिल समस्त पृथ्वी के 83 प्रतिशत भाग पर है।
* पाइरोस्फीयर करो मिश्रित मण्डल भी कहते हैं।
* पाइरोस्फीयर में बेसाल्ट की अधिकता होती है।
* पाइरोस्फीयर का घनत्व 5.6 है।
* वैरीस्फीयर की रचना लोहे तथा निकल जैसे भारी पदार्थों से हुई है।
* भूकम्प की तीव्रता सीस्मोग्राफ द्वारा मापा जाता है।
* सियाल, सीमा पर वैसे ही तैर रहा है जैसे पानी पर कोई जहाज।
* महासागरों में सियाल परत नहीं पायी जाती है।
* मोहो असम्बद्धता 200 किमी0 तक विस्तृत है।
* ऊपरी क्रस्ट तथा निचली क्रस्ट के बीच 'कोनार्ड असम्बद्धता' कहलाती है।
* मौण्टिल के ऊपरी भाग को एस्थनोस्फीयर कहा जाता है।
* जिस जगह से भूकम्प का कंपन शुरू होता है, उसे भूकम्प मूल कहते हैं।
* जिस स्थान पर भूकम्प की लहरों का अनुभव सबसे पहले किया जाता है, उसे
'भूकम्प केन्द्र' कहा जाता है।
* भूकम्पीय लहरें प्रायः ठोस भाग से होकर गुजरती है।
* पृथ्वी के कोर में 'S' लहरों का पूर्णतः अभाव है।
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