लोगों की राय

भूगोल >> ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2009
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।



27.

पादप एवं प्राणियों का विसरण, वितरण व जैविक अनुक्रमण

अध्याय का संक्षिप्त परिचय

पौधों में पर्याप्त विषमता होती है। किसी भी प्रजाति के विभिन्न सदस्यों में भी (उनकी आकार, ऊंचाई, पत्तियों के आकार, फूलों की संख्या तथा उनके रंग आदि से सम्बंधित) पर्याप्त विषमता होती है। प्रत्येक पादप अपने जनक के गुणों को विरासत के रूप में प्राप्त करता है तथा इन गुणों का उस पादप की वृद्धि में पर्याप्त प्रभाव डालता है। वृद्धि के समय इन गुणों में पर्यावरण के प्रभाव के कारण कुछ परिमार्जन (Modification) हो जाता है। पौधों की स्वाभाविक या प्राकृतिक चयन (Natural Selection) तथा अप्राकृतिक या कृत्रिम चयन (Artificial Selection) की प्रवृत्ति उनकी वृद्धि तथा विकास को प्रभावित करती है। पादप जगत की विकासीय वृद्धि (Evolutionary Development)मुख्य रूप से गुण परिवर्तन (Mutation), जननिक पुनः संयोग (Genetci Recombination), प्राकृतिक चयन तथा पृथक्करण की प्रक्रियाओं द्वारा होती है। परन्तु पृथक्करण द्वारा जनन होने से नयी प्रजातियों की उत्पत्ति तथा विकास होता है। धरताल पर वनस्पतियों के वितरण में पर्याप्त असमानता पायी जाती है। भूमध्य रेखा से ध्रुवों तक तथा सागर तल से उच्च पर्वतों तक पादपों के वितरण में कटिबन्धीय या मण्डलीय प्रारूप (Zonal Pattern) पाया जाता है। पादपों के वितरण पर मृदा सम्बंधी कारक (मृदा में पोषक तत्वों की स्थिति, मृदा गठन, मृदा संरचना, उसकी अम्लता तथा क्षारीय गुण आदि) जैविक कारक (आवास विशेष में जीवित जीवों का खासकर प्राणी तथा मानव का पौधों पर प्रभाव तथा पादपों का परस्पर तथा पादपों एवं प्राणियों में अन्तर्सम्बंध यथा प्राकृतिक चयन, प्रतिस्पर्धा, परस्पर सहयोगवाद, सहभोजिता, परजीविता आदि), भौतिक कारक (उच्चावच, ढाल कोण तथा ढाल पहलू, धरातलीय सरंचना आदि), भूगतिक कारक, अग्निकारक, पादपों का विसरण तथा प्रकीर्णन एवं मानव हस्तक्षेप . आदि का महती प्रभाव होता है। पादपों में जन्तुओं के समान गतिशीलता नहीं होती वरन् में अपने स्थान पर स्थायी होते हैं। अतः पादपों का विसरण वाह्य कारकों द्वारा होता है। पादपों का विसरण मुख्य रूप से उनके बीजों के विसरण या प्रकीर्णन द्वारा होता है। बीजों के विसरण में बीजों के गुण भी सहायक होते हैं। बीजों के विसरण की दूरी तथा रफ्तार उनका परिवहन करने वाले विभिन्न साधनों (जैसे– हवा, जल तथा प्राणी) पर निर्भर करती है।

पृथ्वी पर प्राचीनतम जन्तुओं के उद्भव के प्रमाण प्राचीनतम शैलों में तिरोहित जीवावशेषों (Fossils) के आधार पर ही सुलभ होते हैं। अनुमान किया जाता है कि (शैलों में पाये जाने वाले जीवावशेषों के आधार पर) आरम्भिक बिना रीढ़ वाले सूक्ष्मदर्शी प्राणियों का विकास कैम्ब्रियन युग में सागरीय पर्यावरण में हुआ होगा। इनके जीवावशेष बहुत कम मिलते हैं। ये आदि जीव मलवा से आहार ग्रहण करते थे क्योंकि उस समय तक प्रकाशसंश्लेषी पादपों का विकास नहीं हो पाया था। इसी तरह इनका क्रमशः विकास कैम्ब्रियन युग से लेकर आ विसियन युग, सिलूरियन युग, डिवोनियम युग, कार्बोनिफरस युग, पर्मियन युग, ट्रियासिक युग, जुरैसिक युग, क्रीटैसियस युग, टर्शियरी कल्प तक होता रहा है और अपनी वर्तमान स्थिति में आये। जीवमण्डल में प्राणियों के वितरण का अध्ययन कई रूपों में किया जा सकता है; यथा- क्षेत्र विशेष में किसी खास प्रजाति के सभी सदस्यों के वितरण का प्रारूप। इस दृष्टिकोण से विश्व को प्राणि प्रजाति के आधिक्य या प्रभुत्व के आधार पर विभिन्न वितरण क्षेत्रों में विभक्त किया जाता है। प्राणियों की गतिशीलता के कारण किसी अमुक प्रजाति के प्राणियों के क्षेत्र का निर्धारण करना कठिन हो जाता है। प्राणियों के वितरण को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक इस प्रकार है- भौतिक कारक तथा जैविक कारक। प्राणियों का वितरण उनके प्रवास तथा विसरण से बड़े पैमाने पर प्रभावित होता है। प्राणियों का विसरण मुख्य रूप से निम्न प्रकार का होता है- क्रमशः वितरण (Gradual Disperal), त्वरित विसरण (Rapid Dispersal), मौसमी विसरण (Sea-: sonal Dispersal)। प्राणियों के विसरण को प्रभावित करने वाले कारकों को दो वर्गों में रखा जा सकता है— (1) भौतिक पर्यावरण तथा (2) प्राणियों में विकसित होने के गुण तथा सामर्थ्य विस्तार।

जैविक अनुक्रमण (Biotic Succession) से तात्पर्य किसी एक स्थान पर होने वाले दीर्घकालीन एकदिवशीय समुदाय के परिवर्तन से है। ओडम महोदय ने पारिस्थितिकीय अनुक्रमम में तीन तथ्यों को सम्मिलित किया है-

1. अनुक्रमण ‘समुदाय विकास' का एक क्रमबद्ध प्रक्रम है।
2. भौतिक पर्यावरण में परिवर्तन के फलस्वरूप समुदाय अनुक्रमण होता है।
3. अनुक्रमण के अन्त में स्थायी पारिस्थितिकीय तन्त्र का विकास होता है। इसको दो भागों में बाँटते हैं-
(i) पादप अनुक्रमण
(ii) जन्तु अनुक्रमण

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

लोगों की राय

No reviews for this book