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भूगोल >> ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्रईजी नोट्स
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बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।
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महासागरीय जल का तापमान
अध्याय का संक्षिप्त परिचय
धरातलीय तापमान के समान ही महासागरीय जल का तापमान वनस्पति जगत तथा जीव जगत
दोनों के लिए महत्वपूर्ण होता है। महासागरीय जल का तापमान न केवल महासागरों
में रहने वाले जीवों तथा वनस्पतियों को प्रभावित करता है, अपितु तटवर्ती
स्थलीय भागों की जलवायु को भी प्रभावित करता है। इसी कारण सागरीय जल का
तापमान का अध्ययन महत्वपूर्ण हो जाता है। सागरीय जल को तापमान का महत्वपूर्ण
स्रोत सूर्य है। सूर्य से लघु तरंग के रूप में महासागरों को प्राप्त होने
वाली ऊर्जा . को सूर्यातप (insolation) कहते हैं। सूर्य के अलावा तापमान की
कुछ मात्रा सागर तली के नीचे पृथ्वी के आन्तरिक भाग तथा जल की दबाव प्रक्रिया
से प्राप्त होती है, परन्तु यह मात्रा नगन्य होती है। महासागरों की ऊपरी सतह
पर प्राप्त होने वाली सूर्यातप की मात्रा पर सूर्य की किरणों का सापेक्ष
तिरछापन, दिन की अवधि, सूर्य से पृथ्वी की दूरी, वायुमण्डल का स्वभाव आदि का
प्रभाव अधिक होता है। स्थल के विपरीत सागरीय जल के गर्म तथा शीतल होने की
क्रिया में कुछ अन्तर पाया जाता है, क्योंकि सागरीय जल में क्षैतिज (लहरें,
धारायें) तथा लम्वत गतियों (संवहन तरंग) के अलावा वाष्पीकरण की क्रियाएँ भी
सक्रिय होती हैं। स्थलीय भाग के समान सागरीय भाग में भी ऊष्मा संतुलन (heat
balance) की स्थिति पायी जाती है।
चौबीस घण्टे के अन्दर उच्चतम एवं न्यूनतम तापमान का अन्तर ही दैनिक तापान्तर
होता है। महासागरीय जल की सतह का औसत दैनिक तापान्तर नगण्य होता है। सामान्य
रुप से महासागरीय सतह के जल का उच्चतम तापमान 2 बजे सायंकाल तथा न्यूनतम
तापमान 5 बजे प्रातः अंकित किया जाता है। निम्न अक्षांशों पर दैनिक तापांतर
0.30° से0 तथा उच्च अक्षांशों पर 0.2° से0 -0.3° से0 तक रहता है। दैनिक
तापांतर पर आकाश की दशा, वायु की स्थिरता तथा सागरीय सतह की प्रकृति का
पर्याप्त प्रभाव होता है। सामान्य रुप में मेघरहित आकाश की स्थिति में सागरीय
जल का गर्म होना तथा शीतल होना तीव्र गति से सम्पादित होता है, जिस कारण
दैनिक तापांतर अधिक होता है इसके विपरीत तीव्र वायु संचार तथा मेघाच्छन्न
आकाश के कारण दैनिक तापांतर कम हो जाता है। जल का स्तरीकरण (Stratification)
भी दैनिक तापांतर को प्रभावित करता है। यदि सागरीय सतह के जल के नीचे अधिक
घनत्व वाली जलराशि है तो दैनिक तापान्तर कम होता है, क्योंकि संचालन कम होने
से ऊष्मा का नीचे की ओर स्थानान्तरण नहीं हो पायेगा।
सागरीय जल उच्चतम वार्षिक तापमान अगस्त में तथा न्यूनतम फरवरी के महीने में
अंकित किया जाता है। सामान्य रुप से औसत वार्षिक तापान्तर 10° फा0 तक होता
है। परन्तु प्रादेशिक स्तर पर इसमें भिन्नता पायी जाती है। इस भित्रता को
सूर्यातप से प्राप्त होने वाली मात्रा, सागर का स्वभाव, प्रचलित पवन, सागर की
स्थिति आदि को प्रभावित करती है। स्थल से घिरे छोटे सागरों में वार्षिक
तापांतर अधिक होता है। रुप सागर में 20° का0 तथा बाल्टिक सागर में 40° का0)।
सागर का आकार जितना बड़ा होता है, वार्षिक तापान्तर उतना ही घटता जाता है।
महासागरीय जल के तापमान के वितरण के साथ दो तथ्यों का विषेष अध्ययन करते
हैं-सतह के जल का तापमान तथा उसकी गहराई का तापमान। चूंकि महासागर का
त्रिविमीय आकार (three dimensional shape) होता है, अतः उसके तापमान के वितरण
में अक्षांशीय विस्तार के अलावा जल की गहराई को भी ध्यान में रखा जाता है। इस
आधार पर सागरीय तापमान के क्षैतिज तथा लम्बवत् दोनों प्रकार के वितरण का
अध्ययन करते हैं। महासागरीय जल के तापमान के वितरण को कई कारक प्रभावित करते
हैं, जिनमें निम्न प्रमुख हैं :
(i) अक्षांश
(ii) जल एवं स्थल के वितरण में असमानता
(iii) प्रचलित पवन
(iv) महासागरीय धारायें।
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