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ईजी नोट्स-2019 बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र

ईजी नोट्स

प्रकाशक : एपसाइलन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2009
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-पुस्तक।


स्मरण रखने योग्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

* विपरीत मौसम दशाओं वाली दो वायुराशियों के मध्य संक्रमण या आवान्तर मण्डल को दर्शाने वाली असम्बद्धता रेखा (Line of Discontinunity) को वाताग्र (Fronts) कहते हैं।
* सर्वप्रथम वाताग्र की संकल्पना का प्रतिपादन नार्वे के तीन ऋतु वैज्ञानियों ने सन् 1918 में किया।
* जब अभिसरण (Convergence) करने वाली हवाओं के बीच में विस्तृत संक्रमणीय प्रदेश (Transitional Zone) रह जाता है, तो उसे वाताग्र प्रदेश (Frontal Zone) कहते हैं।
* वातान न तो धरातलीय सतह के समान्तर होता है और न ही उसके ऊपर लम्बवत होता है, अपितु कुछ कोण पर झुका रहता है।
* वाताग्र का ढाल पृथ्वी की अक्षीय गति पर आधारित होता है जो कि ध्रुवों की ओर बढ़ता जाता है।
* वाताग्र के निर्माण की प्रक्रिया को चक्रवात जनन कहा जाता है।
* चक्रवात के केन्द्र बिन्दु में निम्न वायुदाब तथा उसके परिधि की ओर उच्च वायुदाब होता है।
* चक्रवात में हवाएँ परिधि से केन्द्र की ओर चलती हैं।
* चक्रवात में हवा की दिशा उ0 गोलार्द्ध में घड़ी की सूइयों के विपरीत तथा द0 गोलार्द्ध में अनुकूल होती है।
* चक्रवातों का आकार प्रायः गोलाकार, अण्डाकार या 'V' अक्षर के समान होता है।
* चक्रवातों को वायुमण्डलीय विक्षोभ भी कहते हैं।
* जब चक्रवातों की गति इतनी अधिक हो जाती है कि वे गेल शक्ति वाले हो जाते हैं तो उनको चक्रवातीय झंझावात या तूफान कहते हैं।
* शीतोष्ण कटिबंधी चक्रवातों को लहर चक्रवात (Wave cyclones) या विक्षोभ (Depression) भी कहते हैं।
* शीतोष्ण कटिबन्धी चक्रवातों का क्षेत्र 350-65° अक्षांशों के बीच दोनों गोलार्डों में पाया जाता है।
* शीतोष्ण कटिबन्धी चक्रवात का निर्माण दो विपरीत स्वभाववाली ठंडी तथ उष्णार्द्र हवाओं के मिलने के कारण होता है।
* शीतोष्ण कटिबन्धी चक्रवात मध्य अक्षांशों के मौसम को बड़े पैमाने पर प्रभावित करते हैं।
* शीतोष्ण कटिबन्धी चक्रवात के केन्द्र तथा बाहर की ओर स्थित दाब में 10mb से 20mb तथा कभी-कभी 35mb का अन्तर होता है।
* एक आदर्श शीतोष्ण चक्रवात की दीर्घ व्यास 1920 किमी0 तथा लघु व्यास 1040 किमी0 लम्बी होती है।
* शीतोष्ण चक्रवात की गर्मियों में औसत गति 32 किमी0 प्रति घण्टा होती है परन्तु सर्दियों में बढ़कर 48 किमी0 प्रति घण्टा हो जाती है।
* शीतोष्ण चक्रवातीय हवाएँ सीधे केन्द्र में न पहुंचकर कोरिआलिस बल (Coriolis Force) तथा घर्षण बल (Frintional Force) के कारण समदाब रेखाओं को 20 से 40° के कोण पर काटती है जिस कारण उत्तरी गोलार्द्ध में इनका परिसंचरण घड़ी के सुइयों के विपरीत दिशा में (Anti-clockwise) तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में अनुकूल दिशा में (Clockwise) होता है।
* उष्ण तथा शीत वातानों के सहारे हवा की दिशा में सहसा परिवर्तन हो जाता है, इसे वायु दिशा परिवर्तन रेखा (Wind Shift Line) कहते हैं।
* उत्तरी अमेरिका के पूर्वी कोलोरैडो के क्षेत्र में शीतोष्ण चक्रवातों को 'कोलोरैडो लो' तथा कनाडियन रॉकी पर्वतों के पूर्व वाला क्षेत्र में इसको 'अलबर्टा लो' कहा जाता है।
* आइसलैण्ड और बैरेन्ट सागर के मध्य उत्पन्न होने वाले शीतोष्ण चक्रवात पूर्वी मार्ग का अनुसरण करते हुए उत्तरी यूरोप के मौसम को प्रभावित करते हैं।
* शीत वाताग्र द्वारा उष्ण वाताग्र के अभिलंघन (overtaking) को चक्रवातीय वाताग्र का अधिधारण (Occhision) कहते हैं। अर्थात् जन शीत वाताग्र उष्ण वाताग्र को समाप्त कर देती है तो चक्रवात का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है।
* उष्ण कटिबन्धी चक्रवातों की उत्पत्ति के 'संवहन तरंग सिद्धान्त' (Convective Current Theory) के अस्वीकरण के बाद 'भवर सिद्धान्त' (Edd Theory) का प्रतिपादन किया गया। इस सिद्धान्त के अनुसार शीतोष्ण चक्रवातों की उत्पत्ति गतिशील वायुराशियों में अवरोध के कारण जनित भंवर के कारण होती है।
* नार्वे के दो ऋतुवैज्ञानिक वी0बर्कनीज तथा जे0बर्कनीज ने शीतोष्ण चक्रवातों की उत्पत्ति के 'ध्रुवीय वाताग्र सिद्धान्त' (Polar Front Theory) का सन् 1918 में प्रतिपादन किया। इस सिद्धान्त को 'लहर सिद्धान्त' भी कहा जाता है।
* प्रतिचक्रवात (Anticyclones) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम एफ0 गैफन ने सन् 1861 में किया था।
* प्रति चक्रवात उपोष्प कटिबन्धीय उच्च दाब क्षेत्रों में अधिक उत्पन्न होते हैं, परन्तु भूमध्यरेखीय भागों में इनका सर्वथा अभाव रहता है।
* प्रतिचक्रवात में केन्द्र में हवाएँ ऊपर से नीचे उतरती हैं जिस कारण केन्द्र का मौसम साफ होता है। वर्षा की संभावना नहीं होती है।
* शीतोष्ण कटिबन्धीय प्रतिचक्रवात इतने अधिक विस्तृत होते हैं कि आधे संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) पर विस्तृत हो जाते हैं।
* गर्मियों में गर्म प्रतिचक्रवातों के कारण तापमान इतना अधिक हो जाता है कि गर्म लहरें उत्पन्न हो जाती हैं।
* सामान्य रूप से प्रतिचक्रवात वर्षा रहित होते हैं तथा आकाश मेघरित होता है।
* संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा तथा उत्तरी यूरेशिया के मौसम प्रतिचक्रवातों से अधिक प्रभावित न होते है।
* आर्कटिक क्षेत्रों में उत्पन्न होकर शीतल प्रतिचक्रवात (Cold Anticyclone) पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व दिशा में आगे बढ़ते है।
* गर्म प्रतिचक्रवातों की उत्पत्ति उपोष्ण उच्च वायुदाब की पेटी में होती है। यहाँ पर हवाओं का अपसरण (Divergence) होता है।
* अयनवर्ती क्षेत्रों (30°N - 30°S अक्षांशों के मध्य) में उत्पन्न चक्रवातों को उष्ण कटिबंधी चक्रवात कहते हैं।
* उष्ण कटिबन्धी चक्रवात का औसत व्यास 640 किमी0 तक होती है।
* उष्ण कटिबन्धी चक्रवात इतने शक्तिशाली होते हैं कि इनकी ऊर्जा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान के नागासाकी पर गिराये गये परमाणु बम के समान 10,000 परमाणु बमों के बराबर होती है।
* उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों को उत्तरी अटलाण्टिक महासागर में 'हरिकेन' के नाम से तथा आस्ट्रेलिया में 'विली विली' के नाम से जाना जाता है।
* उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों को उत्तरी प्रशान्त महासागर खासकर चीन सागर, चीन के पूर्वी एवं दक्षिणी तटीय प्रदेशों, फिलीपाइन्स तथा द0पू0 एशिया में 'टाइफून' के नाम से जाना जाता है।

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