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बी ए - एम ए >> चित्रलेखा

चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- क्या शिक्षा के विविध उद्देश्यों का एक उद्देश्य में संश्लेषण किया जाना चाहिए? यदि हाँ तो वह उद्देश्य क्या होना चाहिए और क्यों?
उत्तर-
सब उद्देश्यों का एक उद्देश्य में समन्वय
(Synthesis of All aims into An Inclusive Aim)
कुछ शिक्षाशास्त्रियों ने इस बात पर बल देते हुए कहा है कि शिक्षा का एक सर्वव्यापक उद्देश्य होना चाहिए, जिसके अन्तर्गत शिक्षा के सभी उद्देश्य आ जायें, इस दृष्टिकोण से “पूर्ण जीवन के उद्देश्य" का अति दृढ़तापूर्वक समर्थन किया गया है।"
पूर्ण जीवन का उद्देश्य (Complete Living Aim) - इस उद्देश्य के प्रतिपादक स्पेन्सर के कहे अनुसार -
“शिक्षा को हमें जीवन के नियमों और ढंगों से परिचित कराना चाहिए। शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण कार्य हमे जीवन के लिए इस प्रकार तैयार करना है कि हम उचित प्रकार का व्यवहार कर सकें तथा शरीर, मस्तिष्क तथा आत्मा का सदुपयोग कर सकें।' इस प्रकार शिक्षा के उद्देश्यों को स्पष्ट किया और स्पष्ट करते हुए स्पेन्सर ने लिखा है, "शिक्षा को हमें बताना चाहिए कि हम अपने शरीर मस्तिष्क और आत्मा के साथ कैसा व्यवहार करें, अपने कार्यों का प्रबन्ध किस प्रकार करें, अपने परिवार का किस प्रकार पालन-पोषण करें, नागरिक के रूप में किस प्रकार व्यवहार करें और प्रकृति द्वारा दिये जाने वाले सुख के साधनों का किस प्रकार उपयोग करें, अपने और दूसरों के अधिकतम लाभ के लिए सब शक्तियों का प्रयोग किस प्रकार करें।'
इस प्रकार स्पेन्सर के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य है - "पूर्ण जीवन या जीवन को पूर्ण बनाने का उद्देश्य '
"Aims of complete living or making the life complete."
आधुनिक युग में जीवन की जटिलता को देखते हुए आवश्यक है शिक्षा का सिर्फ एक उद्देश्य हो, इसका कारण यह भी है कि हम ज्ञान, आत्मविकास, व्यावसायिक या सामाजिक प्रशिक्षण में से कोई भी हो उसे एक-दूसरे की सहायता के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता। वास्तविक रूप से शिक्षा इनमे से किसी की भी अवहेलना नहीं कर सकती है। उसे समय तथा स्थान की आवश्यकतानुसार सन्तुलित करना पड़ेगा।
पॉल एच. हेनस के कहे शब्दों के अनुसार - "शिक्षा का उद्देश्य पूर्ण जीवन के लिए तैयार करना है तथा पूर्ण जीवन व्यतीत करने का तात्पर्य है - यथासम्भव उपयोगी और सुखी होना, उपयोगिता का अर्थ है कोई भी कार्य जो मानव जाति के भौतिक या आध्यात्मिक हितों की वृद्धि करता हो।'

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