बी ए - एम ए >> चित्रलेखा चित्रलेखाभगवती चरण वर्मा
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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न- वैदिक काल में प्रचलित शिक्षा के मुख्य दोष क्या थे?
उत्तर-
वैदिक शिक्षा के प्रमुख दोष
वैदिककालीन शिक्षा में यद्यपि अनेक गुण विद्यमान थे, इसके बावजूद इस शिक्षा प्रणाली में निम्नलिखित दोष भी पाए जाते थे-
1. वैदिककालीन शिक्षा में राज्य का नियन्त्रण या उत्तरदायित्व नहीं था। तत्कालीन शिक्षा व्यवस्था पूर्णत: व्यक्तिगत नियन्त्रण में थी जो पूर्णतः गुरुकुलों तक सीमित थी अतः इससे जन शिक्षा की अवहेलना होती थी।
2. वैदिककालीन शिक्षा में आय की सुनिश्चित एवं विधिवत् व्यवस्था नहीं थी। यद्यपि वैदिककालीन शिक्षा का व्यय राजा, धनी लोग, भिक्षाटन तथा गुरु दक्षिणा से पूरा किया जाता था किन्तु इस सबका कोई निश्चित समय, मात्रा के न होने से असमंजस की स्थिति रहती थी।
3. वैदिककालीन शिक्षा की संरचना अमनोवैज्ञानिक थी। प्राथमिक तथ्य उच्च स्तर की शिक्षा में विभाजित शिक्षा व्यवस्था का वर्गीकरण मनोवैज्ञानिक ढंग से नहीं किया गया था।
4. वैदिककालीन शिक्षा की पाठ्यचर्या अव्यवस्थित तथा अलग-अलग थी। यद्यपि शिक्षा की पाठ्यचर्या अत्यन्त व्यापक थी किन्तु भिन्न-भिन्न गुरुकुलों की पाठ्यचर्या भी भिन्न-भिन्न थी।
5. वैदिककालीन शिक्षा में रटने पर विशेष बल दिया जाता था। यद्यपि उस समय उत्तम शिक्षण विधियों का विकास हो चुका था किन्तु लिखने की समुचित व्यवस्था का अभाव होने के कारण रटने पर विशेष बल दिया जाता था।
6. वैदिककालीन शिक्षा की अनुशासन व्यवस्था अत्यन्त कठोर थी। उस समय अनुशासन से तात्पर्य शारीरिक, मानसिक और आत्मिक तीनों प्रकार के संयम से लिया जाता था। आहार-विहार तथा आचार-विचार की शुद्धता तथा ब्रह्मचर्य व्रत के पालन पर विशेष जोर दिया जाता था।
7. वैदिककालीन शिक्षा में स्त्री शिक्षा की समुचित शिक्षा का अभाव था। यूँ तो वैदिककाल में स्त्रियों की शिक्षा पर रोक नहीं थी तथा कुछ विदुषी महिलाएँ भी थीं किन्तु उनकी संख्या अत्यन्त न्यून थी।
8. वैदिककालीन शिक्षा में धार्मिक शिक्षा पर विशेष बल दिया जाता था। वैदिककालीन शिक्षा धर्म प्रधान एवं कर्मकाण्ड पर आधारित थी जिसे एक वर्ग विशेष के लोगों का एकाधिकार माना जाता था।
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