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बी ए - एम ए >> चित्रलेखा

चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- "वैयक्तिक और सामाजिक उद्देश्य एक दूसरे के पूरक हैं।' इसका वर्णन कीजिए।
उत्तर-
शिक्षा के उद्देश्य - इस शीर्षक के लिए लघु उत्तरीय प्रश्न सं. 6 देखें।
सामाजिक उद्देश्य - यह निम्न प्रकार हैं -
नेतृत्व विकास का उद्देश्य - उचित प्रशिक्षण द्वारा जनहित के कार्यों की ओर प्रेरित करना ही इस उद्देश्य की मूल भावना है। जिसमें सबको साथ लेकर चलने तथा आगे बढ़कर कार्यों को पूर्ण करने की क्षमता हो उसे इसका उत्तरदायित्व अवश्य मिलना चाहिए।
सार्वभौम शिक्षा - सभी को समान रूप से सभी शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। साथ ही शिक्षा प्राप्त करना और अपनी नई पीढ़ी को शिक्षित करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होता है।
अन्तर्राष्ट्रीय भावना का विकास करना - शिक्षा द्वारा वसुधैव कुटुम्बकम की भावना का विकास किया जाये। विद्यार्थियों में अन्तर्राष्ट्रीय भावना तथा विश्व बन्धुत्व की भावना का विकास करना आवश्यक है। शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों में अन्तर्राष्ट्रीय भावनाओं को भी जागृत करना है।
नागरिकता का विकास - किसी भी राष्ट्र का विकास उसके नागरिकों पर ही निर्भर करता है। शिक्षा द्वारा नागरिकों को आत्मनिर्भर बनाया जाये।
अवकाश काल का सदुपयोग - अवकाश के समय का उपयोग इस प्रकार किया जाये कि स्वयं को सन्तुष्टि मिले तथा उससे समाज का हित साधन भी हो, संगीत, नृत्य, सृजनात्मक क्रियायें और आविष्कार इसके उदाहरण हैं। इन सभी क्रियाओं से समाज का सांस्कृतिक विकास होता है।
समाजवादी समाज की स्थापना - भारत एक प्रजातान्त्रिक देश है और यह तभी सम्भव होगा जब यहाँ समाजवादी समाज की स्थापना की जाये।
जन शिक्षा का प्रचार-प्रसार -हमारा समाज प्रगति के पथ पर अग्रसर हो तो इसके लिये आवश्यक है कि जन-जन तक शिक्षा का प्रचार-प्रसार किया जाये।
सामाजिक क्रियाओं पर बल बालक में सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना का विकास शिक्षा के द्वारा ही सम्भव है।
शिक्षा के इन उद्देश्य के आधार पर यह कहा जा सकता है कि वैयक्तिक उद्देश्य व सामाजिक उद्देश्य एक-दूसरे के पूरक हैं। "स्वयं के हित के साथ राष्ट्र तथा विश्व का हित जोड़ सकने की क्षमता का विकास शिक्षा का ही उद्देश्य है। हमारी सोच यह होनी चाहिए कि विश्व है इसलिए राष्ट्र है व राष्ट्र है इसलिए हम हैं। यदि व्यक्ति शिक्षित होगा तो राष्ट्र व समाज शिक्षित होगा। बिना शिक्षा के व्यक्ति का न समाज का विकास नहीं हो सकता है। इसलिये शिक्षा का सामाजिक उद्देश्य व वैयक्तिक उद्देश्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

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