बी ए - एम ए >> चित्रलेखा चित्रलेखाभगवती चरण वर्मा
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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक
22
एम. एच. आर. डी. एवं यूनेस्को
(M.H.R.D. and UNESCO)
प्रश्न- मानव विकास संसाधन मंत्रालय का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मानव विकास संसाधन मन्त्रालय (M.H.R.D.)
मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार का एक मंत्रालय है जो शिक्षा पर राष्ट्रीय नीति के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है। शिक्षा के विभिन्न स्तरों व क्षेत्रों में चलने वाली विभिन्न योजनायें मनुष्य को वह सम्पूर्ण ज्ञान व कौशल प्रदान करती हैं जो कि देश को उसके आर्थिक विकास के मार्ग पर ले जाता है। इसको दो भागों में मुख्य रूप से विभाजित किया गया है - स्कूली शिक्षा तथा साक्षरता विभाग जो प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा आदि से सम्बन्धित है। प्राथमिक शिक्षा की अगर हम बात करें तो यह शिक्षा व्यवस्था की नींव है, यह मानव शिक्षा का वह आधार तैयार करती है जिस पर आर्थिक विकास के भवन का निर्माण होता है। इससे साक्षरता आती है। वहीं पर माध्यमिक शिक्षा की बात करें तो विश्व के अधिकांश देशों में माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् अधिकांश छात्र आर्थिक क्रियाओं में लग जाते हैं। इसका स्वरूप भिन्न-भिन्न होता है। इसे प्राप्त करने के पश्चात् छात्र उच्च शिक्षा में प्रवेश करता है। उच्च शिक्षा दो प्रकार की होती है - सामान्य व विशिष्ट। सामान्य शिक्षा के द्वारा तैयार व्यक्ति प्रशासनिक व संगठन के कार्यों की देखभाल करता है, जबकि विशिष्ट शिक्षा द्वारा तैयार व्यक्ति यान्त्रिक होते हैं। आर्थिक विकास के लिए विशिष्ट शिक्षा पर बल दिया जाता है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग हैं जो कि इस प्रकार हैं-
(1) शिक्षा विभाग,
(2) संस्कृति विभाग,
(3) कला विभाग.
(4) युवा और खेल विभाग,
(5) महिला शिक्षा विभाग।
मानव विकास संसाधन मंत्रालय भूमिका
इनमें शिक्षा विभाग मानव संसाधन विकास मंत्रालय के घटक में से एक है जो कि मानव संसाधन विकास मंत्री के समग्र प्रभार के साथ ही राज्य मंत्री के अधीन कार्य को करता है। शिक्षा के क्षेत्र में इसके द्वारा विशेष रूप से भूमिकायें निभाई जाती हैं -
(1) योजना - केन्द्र सरकार अपना लक्ष्य निर्धारित करती है तथा देश के द्वारा लागू शैक्षिक योजनाओं को समग्र रूप से तैयार करती है।
(2) संगठन - देश के अन्तर्गत शैक्षिक योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए संगठन की एक महत्वपूर्ण भूमिका है जो कि शिक्षण संस्थान के सुचारू तथा कुशल संचालन के लिए एक साधन है। इसलिए ऐसा भी कह सकते हैं कि संगठन ऐसा होना चाहिए जो कि उद्देश्य की प्राप्ति के लिए शिक्षण, सीखने की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाली व शैक्षिक सेवा, गतिविधि और कार्य के सुधार में और इसी के साथ समायोजन में मदद करेगा।
(3) शैक्षिक सुधार आयोगों और समितियों का गठन सरकार के द्वारा होता है। भारत में समय- समय पर और विभिन्न मूल्यवान सिफारिशें और इसी के साथ विभिन्न स्तरों पर शिक्षा के विकास के लिए सरकार द्वारा सुझाव भी दिए जाते हैं।
(4) दिशा मानव संसाधन और विकास मंत्रालय के अन्तर्गत शिक्षा विभाग की भूमिका शैक्षिक योजनाओं और नीतियों को पूरा करने के लिए उचित दिशा जरूरी है। जहाँ केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों और निजी उद्यम को निर्देशित करती है ताकि शिक्षा को सही मार्ग पर ले जाया जा सके। यह मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा केन्द्रीय सलाहकार बोर्ड ऑफ ऐजुकेशन के द्वारा किया जाता है। (5) नियन्त्रण - केन्द्र सरकार राज्यों के द्वारा किए गए शैक्षिक कार्यक्रमों के विकास के लिए राज्यों, निजी एजेंसियों और स्थानीय निकायों को आवंटित करती है और आवंटित करके शिक्षा पर काफी नियंत्रण रखती है।
(6) पायलट प्रोजेक्ट्स - मंत्रालय का उद्देश्य देश के अन्तर्गत एक समतावादी समाज की स्थापना करना है। एम. एच. आर. डी. के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय ग्रामीण विश्वविद्यालय, क्षेत्री संस्थानों, पाठ्यक्रम में सुधार और पाठ्य पुस्तकों आदि की एक बड़ी संख्या में पायलट परियोजनायें संचालित करती है। '
(7) केन्द्रीय संस्थान खोजना इसके लिए शिक्षा मंत्रालय सीधे जिम्मेदार होता है। कुछ विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय पुस्तकालयों, संग्राहलय और केन्द्रीय विद्यालयों को चलाने के लिए, इसके लिए मंत्रालय ने कई सलाहकार निकायों को स्थापित भी किया जो कि शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करते हैं। (8) यूनेस्को के साथ सम्पर्क को स्थापित किया जाना - यूनेस्को के सहयोग के द्वारा शिक्षा मंत्रालय कुछ कार्य को करता है। इतना ही नहीं बल्कि यूनेस्को के साथ बाहर के सांस्कृतिक सम्पर्को के प्रसार के लिए भी उपयुक्त कदम आगे बढ़ाता है।
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