बी ए - एम ए >> चित्रलेखा चित्रलेखाभगवती चरण वर्मा
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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न- उच्च शिक्षा के उद्देश्य भारत के सन्दर्भ में क्या होने चाहिए? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
उच्च शिक्षा के उद्देश्य
भारत में विभिन्न स्तरों की शिक्षा के उद्देश्य निश्चित करने का कार्य सर्वप्रथम वुड के घोषणा-पत्र (1854) में किया गया। इसके बाद भारत में जो भी शिक्षा आयोग गठित किए गए सभी ने विभिन्न स्तरों की शिक्षा के उद्देश्य स्पष्ट करने का कार्य जारी रखा। 15 अगस्त 1947 को देश की स्वन्त्र के उपरान्त 1948 में भारत सरकार ने राधा कृष्णनन आयोग का गठन किया। आयोग ने उच्च शिक्षा के कुछ निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण उद्देश्य निर्धारित किए-
1. ऐसे व्यक्तियों का निर्माण करना जो शारीरिक दृष्टि से स्वस्थ तथा मानसिक दृष्टि से प्रबुद्ध हों।
2. व्यक्तियों के अनुवांशिक गुणों को पहचान कर उनका विकास करना।
3. ऐसे व्यक्तियों का निर्माण करना जो राजनीति, प्रशासन, व्यवसाय, उद्योग और वाणिज्य के क्षेत्र में नेतृत्व कर सकें।
4. ऐसे व्यक्तियों का निर्माण करना जो दूरदर्शी, बुद्धिमान और बौद्धिक दृष्टि से श्रेष्ठ हों और समाज सुधार के कार्यों में सहयोग दे सकें।
5. ऐसे विवेकशील नागरिक तैयार करना जो प्रजातन्त्र को सफल बनाने के लिए शिक्षा का प्रसार, करें, ज्ञान की सदैव खोज करें, व्यवसाय का प्रबन्ध करें तथा देश में भौतिक अभावों की पूर्ति करें।
6. ऐसे नवयुवकों का निर्माण करना जो अपनी सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करें तथा उसमें योगदान दें।
7. विद्यार्थियों का चारित्रिक निर्माण करना तथा उनमें राष्ट्रीय अनुशासन एवं अन्तर्राष्ट्रीय सद्भाव का विकास करना।
8. विद्यार्थियों में प्रजातान्त्रिक मूल्यों-समानता, स्वतन्त्रता, भ्रातृत्व तथा न्याय का संरक्षण एवं संवर्द्धन करना।
9. विद्यार्थियों में विश्व बन्धुत्व की भावना का विकास करना।
10. विद्यार्थियों के नैतिक तथा वैचारिक उत्थान के लिए उनका आध्यात्मिक विकास करना। तदुपरान्त कोठारी आयोग (1964-66) ने राधाकृष्णनन के द्वारा प्रतिपादित उच्च शिक्षा के उद्देश्यों को अपेक्षाकृत संशोधित एवं संक्षिप्त रूप में व्यक्त किया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में उच्च शिक्षा के उद्देश्यों के विषय में कहा गया है कि उच्च शिक्षा उच्च ज्ञान की प्राप्ति और नवीन ज्ञान की खोज, राष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों के लिए विशेषज्ञों की तैयारी, युवकों में विस्तृत दृष्टिकोण के विकास और राष्ट्र के बहुमुखी विकास का साधन है।
आज भारत के सम्बन्ध में उच्च शिक्षा के उद्देश्यों को निम्न रूप में क्रमबद्ध कर सकते हैं-
1. युवकों को उच्च ज्ञान की प्राप्ति कराना और नए ज्ञान की खोज करने और सत्ता की पहचान करने की योजना बनाना।
2. राष्ट्र के विभिन्न क्षेत्रों के लिए विशेषज्ञों, प्रशासकों, संगठनकर्त्ता, डाक्टर, वकील, वैज्ञानिक, अध्यापक, तकनीशियन, कलाकार, दार्शनिक इत्यादि को तैयार करना।
3. युवकों में जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने की कुशलता और नेतृत्व प्रदान करने की क्षमता का विकास करना।
4. युवकों में विस्तृत दृष्टिकोण सामाजिक समानता, सांस्कृतिक एवं धार्मिक सहिष्णुता और अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध का विकास करना।
5. युवकों को राष्ट्र के बहुमुखी विकास के लिए तैयार करना।
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