बी ए - एम ए >> चित्रलेखा चित्रलेखाभगवती चरण वर्मा
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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न- विश्वविद्यालय सम्प्रभूता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
विश्वविद्यालय सम्प्रभुता से तात्पर्य
विश्वविद्यालय सम्प्रभुता से अभिप्राय विश्वविद्यालयों को कार्य, प्रवेश अनुसन्धान तथा प्रशासन सम्बन्धी स्वाधीनता से है।
वर्तमान समय में विश्वविद्यालयों की प्रभुसत्ता पर अनेक राजनीतिक नियन्त्रण हैं।
आयोग ने विश्वविद्यालय की प्रभुसत्ता के तीन क्षेत्र बताये हैं-
1. विद्यार्थियों का चयन।
2. अध्यापकों की नियुक्ति और पदोन्नति।
3. पाठ्यक्रमों तथा शिक्षण विधियों का निर्धारण और अनुसन्धान के क्षेत्र तथा समस्याओं का
वर्तमान समय में विश्वविद्यालयों की प्रभुसत्ता पर राजनीति छा गई है। इसके परिणामस्वरूप विद्यालय अखाड़े बन गये हैं। जातिवाद तथा क्षेत्रवाद आज विद्यालयों की पहचान बन गया है और अध्यापक तथा छात्र, दोनों ही आतंकित हो गये।
यह प्रभुसत्ता तीन स्तरों पर है-
1. विश्वविद्यालय की आन्तरिक स्वायत्तता, अर्थात् समग्र रूप से विश्वविद्यालय के सन्दर्भ में विभागों, कॉलेजों, अध्यापकों और छात्र की स्वायत्तता।
2. समग्रतः विश्वविद्यालय तन्त्र के सन्दर्भ में विश्वविद्यालय विशेष की स्वायत्तता, अर्थात् किसी अन्य विश्वविद्यालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा अन्तर्विश्वविद्यालय बोर्ड के सन्दर्भ में विश्वविद्यालय विशेष की स्वायत्तता।
3. विश्वविद्यालय तन्त्र से बाहर की एजेन्सियों और प्रभावों-जिनमें सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है, केन्द्रीय और राज्य सरकारों के सन्दर्भ समग्रतः विश्वविद्यालय तन्त्र की स्वायत्तता।
प्राय: यह दिखाई देता है कि विश्वविद्यालयों पर प्रशासकों का प्रभुत्व है और यहीं पर स्वायत्तता समाप्त हो जाती है। आयोग ने यह स्वीकार किया है कि अच्छे विचार प्रायः छोटे अधिकारियों के मस्तिष्क की उपज होते हैं और उन्हें मान मिलना ही चाहिये।
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