बी ए - एम ए >> चित्रलेखा चित्रलेखाभगवती चरण वर्मा
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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न- प्राथमिक शिक्षकों की प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
अध्यापकों की समस्या-
प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में अध्यापकों को भी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यथा -
1. योग्यता सम्बन्धी समस्या,
2. विद्यालयों की खराब दशा,
3. समानता की समस्या,
4. वेतन की समस्या।
योग्यता के सम्बन्ध में समस्या इस प्रकार है कि प्राथमिक शिक्षा के लिए हाईस्कूल तथा प्रशिक्षण निम्नतम योग्यता है परन्तु बहुत से अध्यापक इस योग्यता को भी पूरा नहीं करते हैं। इस प्रकार अयोग्य शिक्षकों के शिक्षण कार्य में लिप्त होने के कारण स्वाभाविक रूप से शिक्षा का स्तर गिरता है। विद्यालयों में जर्जर भवन तथा मूलभूत सुविधाओं का अभाव भी शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। विपरीत मौसम में शिक्षक इन दीवार, छतविहीन विद्यालयों में किस प्रकार रह सकते हैं? इसी प्रकार राज्य के द्वारा संचालित तथा निजी क्षेत्रों के द्वारा संचालित अध्यापकों के वेतनमान में भी बहुत अन्तर देखने को मिलता है तथा इससे भी अध्यापकों के अन्दर हीन भावना पैदा होती है। इस सम्बन्ध में प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों के सम्बन्ध में कोठारी आयोग ने निम्न सुझाव दिये हैं-
1. प्राथमिक स्कूलों में अध्यापन कार्य प्रशिक्षित अध्यापकों के द्वारा हो तथा उन्हें 10 वर्ष पढ़ाने का अनुभव प्राप्त हो।
2. प्राथमिक विद्यालय के अध्यापक को कम-से-कम दो वर्ष का शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पूर्ण किया हुआ हो।
3. अप्रशिक्षित अध्यापकों के लिए सेवाकालीन पाठ्यक्रम तथा डाक द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त करने की सुविधा मिलनी चाहिये।
पाठ्यक्रम की समस्या - हमारी शिक्षण प्रणाली में सुव्यवस्थित पाठ्यक्रम का अभाव है। कहीं यह इतना कम है कि छात्र तथा अध्यापक दोनों खाली रहते हैं कहीं इतना अधिक है कि विद्यार्थी किताबों के बोझ से दबा रहता है। हमें अपनी शिक्षा व्यवस्था में पाठ्यक्रम को आकर्षक बनाना चाहिये। पाठ्यक्रम केवल सैद्धान्तिक ही न हो अपितु व्यावहारिकता से पूर्ण हो जो मानवता, राष्ट्रीय लक्ष्य को पूर्ण रूप से समझ सकें।
स्थान की समस्या - प्राथमिक शिक्षा में स्थान की समस्या भी प्रमुख है। अधिकतर विद्यालय किराये के पुराने भवनों में चल रहे हैं जो बिल्कुल जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं, उनमें न तो प्रकाश की व्यवस्था है और न ही हवा की। इस प्रकार के वातावरण में न तो मानसिक विकास ठीक प्रकार से हो पाता है और न ही शारीरिक विकास। खराब मौसम में ये विद्यालय कब गिर जायें कुछ कहा नहीं जा सकता। इन परिस्थितियों में अध्यापक तथा छात्र दोनों को तकलीफों का सामना करना पड़ता है।
साधनों का अभाव - प्राथमिक विद्यालय में साधनों का अभाव सबसे प्रमुख समस्या है। शिक्षा के समुचित संचालन में बैठने के आसन, फर्नीचर, ब्लैक बोर्ड, चॉक तथा जन सुविधायें, जैसे-मूत्रालय, शौचालय, साफ पानी। आदि की आवश्यकता होती है परन्तु अनेक विद्यालयों में छात्रों के बैठने के आसन भी नहीं हैं। भवन खराब हैं। ब्लैक बोर्ड, चॉक का अभाव रहता है प्रयोगशाला, लाइब्रेरी, खेल के मैदान व अन्य सुविधाओं का तो अर्थ भी छात्र नहीं जानते हैं। इन समस्याओं के दो प्रमुख कारण हैं। प्रथम तो यह कि धन की कमी रहती है तथा द्वितीय यह कि उपलब्ध धन का प्रयोग सही ढंग से नहीं होता है।
सहायक सेवाओं की समस्या-सहायक सेवाओं में 1. दोपहर का भोजन, 2. निःशुल्क पाठ्य-पुस्तकें, 3. निःशुल्क वस्तुयें, 4. निवास व्यवस्था, 5. चिकित्सा सम्बन्धी सुविधायें आदि आती हैं। दोपहर के भोजन के लिए कुछ ही विद्यालयों में व्यवस्था है परन्तु बहुत से विद्यालय ऐसे हैं जहाँ बालक अपने घर से दो या तीन किमी. की दूरी तय करके विद्यालय आते हैं। गर्मियों में यह कार्य और भी कठिन होता है। विद्यालय समस्त होने के बाद ही बच्चे अपने घर भोजन ग्रहण करते हैं। इससे बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। आस-पास के समुदाय को चाहिये कि वे अनाज एकत्र करके स्कूल को सौंप दे जिससे बालकों को दोपहर में भोजन प्राप्त हो सके। कुछ स्थानों पर पूर्ण भोजन के स्थान पर अल्पहार देने का प्रावधान भी किया गया। राज्य सरकार व केन्द्र सरकार का यह कर्त्तव्य है कि विद्यार्थियों को विशेषकर प्राथमिक कक्षाओं के विद्यार्थियों को निःशुल्क शिक्षा तथा पाठ्य-पुस्तकें उपलब्ध करायें निर्धन छात्रों को वस्त्रों आदि की सहायता भी देनी चाहिये।
अन्य समस्यायें- अन्य समस्याओं में लड़कियों की शिक्षा, अध्यापकों का प्रशिक्षण, उनका स्तर, अच्छी पाठ्य-सामग्री जो अध्यापक तथा छात्रों दोनों के लिये हो आदि समस्यायें आती हैं। लड़कियों की शिक्षा के सम्बन्ध में कोठारी आयोग ने कहा है कि इनके लिए कुछ अलग विद्यालय हों तथा अधिकतर सह-शिक्षा प्रयोग हो। अध्यापकों के प्रशिक्षण के लिए ग्रीष्मकालीन पाठ्यक्रम तथा डाक प्रशिक्षण की व्यवस्था हो। अच्छे स्तर के साहित्य का भी निर्माण होना चाहिये तथा विज्ञान विषय को पढ़ाने के लिए आधारभूत सुविधायें, प्रयोगशाला, उपकरण आदि की व्यवस्था होनी चाहिये।
अनुसन्धान की समस्या - प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में अनेक प्रकार की समस्यायें हैं। इन समस्याओं को अनेक प्रकार के बुनियादी अनुसन्धान करने पर हल किया जा सकता है।
सामान्य रूप से अनुसन्धान निम्न क्षेत्रों में हो सकते हैं -
1. प्राथमिक विद्यालय को बुनियादी विद्यालय बनाना।
2. अनिवार्य व निःशुल्क शिक्षा को लागू करना।
3. निरक्षर अभिभावकों के दृष्टिकोण।
4. बहुकक्षा शिक्षण प्रक्रिया।
5. विद्यालय के समय में समायोजन।
6. अपव्यय व अवरोधन।
7. विद्यालय भवन।
8. विदेशों में अनिवार्य शिक्षा का अध्ययन।
9. विद्यालय भवन का निर्माण।
10. शिक्षा के सस्ते शिक्षण साधन।
इनके अलावा बहुत से क्षेत्र इसी प्रकार के हैं जिनमें अनुसन्धान की आवश्यकता है।
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