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बी ए - एम ए >> चित्रलेखा

चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- प्राचीन एवं मुस्लिम काल में प्राथमिक शिक्षा के विकास पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-
प्राथमिक शिक्षा का विकास मानव सभ्यता के इतिहास जितना ही पुराना है।
प्राचीनकाल में प्राथमिक शिक्षा-प्राचीनकाल में शिक्षा का परिचय गुरुकुलों में प्राप्त होता है। विद्या का आरम्भ संस्कार "ओम नमः सिद्धम" के उच्चारण से किया जाता था। उपनयन संस्कार की आयु 8,11,12 वर्ष थी। पाठ्यक्रम में वेद वेदाग, व्याकरण, साहित्य, छन्द, निरुक्त कल्पज्योतीष, गणित, चिकित्सा आदि विषय थे। याद करना व सीखना दोनों प्रणाली प्रचलित थी। गुरु दक्षिणा के रूप शुल्क दिया जाता था। कहीं-कही सहशिक्षा के बारे मे भी पता चलता है। शिक्षा के सत्र का प्रारम्भ श्रवण मास की पूर्णिमा को प्रारम्भ होता था तथा पौष के माह में छन्दमास उर्त्सजन होता था। स्त्री शिक्षा के लिए उपाध्याया होती थी। शिक्षा समापवर्तन के समय कमण्डल से जल विसर्जित किया जाता था। बाद में लगभग 450 ई. पूर्व तक तख्ती, रटन्ट, खेल आदि पद्धति का समावेश हो चुका था
मुस्लिम युग में प्राथमिक शिक्षा- मुस्लिम काल में शिक्षा का मूलभूत उद्देश्य धर्म की साधना था। मकतबों में प्रवेश से पूर्व "मकतब रस्म" की अदायगी करनी होती थी। मदरसों में प्राथमिक से प्रारम्भ होकर उच्च स्तर तक शिक्षा की व्यवस्था थी। मुस्लिम काल में अरबी तथा फारसी का प्रयोग माध्यम भाषा के रूप में होता था। मुस्लिम काल में जीवन को आध्यात्मिक व सैद्धान्तिक रूप के स्थान पर व्यावहारिक व सांसारिक बातों पर अधिक ध्यान दिया जाता है।

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