बी ए - एम ए >> चित्रलेखा चित्रलेखाभगवती चरण वर्मा
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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक
प्रश्न- भारत में पूर्व प्राथमिक शिक्षा का विकास बताइए।
उत्तर-
भारत में पूर्व प्राथमिक शिक्षा का विकास
भारत में पूर्व प्राथमिक शिक्षा के विकास के सम्बन्ध में मिशनरियों के द्वारा प्रमुख कदम उठाये गये। मिशनरियों ने प्रारम्भ में अपने द्वारा खोले गए कुछ विद्यालयों के साथ पूर्व प्राथमिक कक्षायें सम्बद्ध कर दीं। कुछ ने तो अलग से नर्सरी स्कूल भी खोले। नूतन बाल शिक्षण संघ ने भी इस सम्बन्ध में अपना महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया और 1920 से स्वदेशी पद्धति पर आधारित स्कूल खोले। 1939 में डॉ. मारिया मान्टेसरी भी भारत आयीं और यहाँ पर उन्होंने पूर्व प्राथमिक शिक्षा को प्रेरणा दी।
वही पर शिक्षा आयोग ने पूर्व प्राथमिक शिक्षा के विकास का उल्लेख किया और लिखा कि - "1947 से पहले पूर्व प्राथमिक शिक्षा की ओर बहुत कम ध्यान दिया जाता था और उसे राज्य की जिम्मेदारी भी नहीं समझा जाता था।' शिक्षा के इतिहास की बात की जाए तो पहली बार केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की भारत में शैक्षिक विकास सम्बन्धी रिपोर्ट में इसके महत्व पर जोर दिया गया और सिफारिश की कि पूर्व प्राथमिक शिक्षा की पर्याप्त व्यवस्था राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली का एक आवश्यक अंग मानी जाती है।
1950-51 में पूर्व प्राथमिक स्कूलों की संख्या कुल 303 थी जहाँ 866 अध्यापक थे और लगभग 28000 नामांकनों की व्यवस्था थी। कुल प्रत्यक्ष खर्च भी बढ़कर 110 लाख रु. या कुल शिक्षा व्यय का 0.2% हो गया। ये मुख्यतः संस्थायें शहरी थी और देहाती इलाकों में केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड और सामुदायिक विकास प्रकाशन ने महत्वपूर्ण काम किया जो कुल मिलाकर 20,000 बालवाड़ियाँ चलाते हैं जिनमें कुल लगभग 6,00,000 नामांकनों की व्यवस्था है।
छठी पंचवर्षीय योजना एवं पूर्व प्राथमिक शिक्षा - इस योजना के तहत ग्रामीण गन्दी बस्तियों में रहने वाले बच्चों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्राथमिक विद्यालय खोलने के लक्ष्य को निर्धारित किया गया तथा इसी के साथ यह भी निश्चित किया गया कि देश के प्रत्येक विकास खण्ड में कम से कम एक शिशु शिक्षा केन्द्र की स्थापना हो, जिसको स्वास्थ्य, पोषाहार, समाज कल्याण, ग्रामीणी विकास तथा शिक्षा कार्यक्रमों के अंग के रूप में विकसित किया गया। इसके लिए एक निर्धारित धनराशि में से ही व्यय करने की व्यवस्था की गई।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 एवं प्राथमिक शिक्षा - राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में पूर्व प्राथमिक शिक्षा पर विशेष बल दिया तथा बच्चों की शिक्षा पर पर्याप्त धन को व्यय करने की व्यवस्था थी। प्राथमिक शिक्षा के सार्वजनीकरण के अन्तर्गत शिक्षा केन्द्र खोले जायेंगे। जहाँ बच्चों की देखभाल और शिक्षा के केन्द्र पूर्णतः बाल केन्द्रित होंगे जहाँ पर बच्चों के बहुमुखी विकास हेतु खेलकूद एवं अन्य उपयोगी कार्यक्रम आयोजित होंगे
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