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बी ए - एम ए >> चित्रलेखा

चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- मानव पूँजी के रूप में शिक्षा का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मानव पूँजी के रूप में शिक्षा
(Education As A Human Capital)
शिक्षा का प्रतिफल दो प्रकार का हो सकता है - एक व्यक्तिगत और दूसरा सामाजिक शिक्षा के कारण व्यक्ति की आय में वृद्धि हो जाती है। ज्यादा पढ़े-लखे व्यक्ति का वेतन अधिक होता है किस स्तर की शिक्षा से कितना प्रतिफल होता है यह ठीक-ठीक जानने का प्रयत्न किया जा रहा है। इस प्रतिफल का एक अंश नौकरी रखने वाले अभिकरण या पूरे समाज को भी होता है। से सामाजिक प्रतिफल कहते हैं। शिक्षा पर लगाये जाने वाले धन को निवेश या विनियोग माना जाता है क्योंकि इससे बाद में इससे लाभ मिलता है। शिक्षा के इस विनियोग पक्ष को आजकल बड़ा महत्व दिया जा रहा है। आज शिक्षा और वित्त के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध स्थापित हो गया है। शिक्षा देश की वित्त व्यवस्था पर निर्भर करती है. वित्त व्यवस्था आर्थिक विकास पर निर्भर करती है, आर्थिक विकास मानवीय साधनों की निपुणता पर निर्भर करता है और मानवीय साधनों की निपुणता शिक्षा पर निर्भर करती है। यह एक ऐसा चक्र बन गया है जोकि आज शिक्षा और वित्त के सम्बन्धों को स्पष्ट करता है। इन्हीं के परिप्रेक्ष्य में हम शैक्षिक नियोजन का अध्ययन करते हैं। इस प्रकार हम यह सरलता से कह सकते हैं कि शैक्षिक नियोजन में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। बिना शिक्षा की सक्रिय भूमिका के शिक्षा का नियोजन अप्रभावी होगा।
आज मानव को पूँजी के रूप में देखा जा रहा है। वह देश की पूँजी में वृद्धि करता है अतः वह स्वयं भी पूँजी के रूप में देखा जाता है। शिक्षित व्यक्ति देश की पूँजी है। उसे मानव पूँजी (Human Capital) कहा जाता है।

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