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बी ए - एम ए >> चित्रलेखा

चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- शिक्षा राष्ट्रीयता के विकास में किस प्रकार सहायता कर सकती है?
उत्तर-
राष्ट्रीय एकता के विकास में शिक्षा की सहायता
स्वतंत्रता के पश्चात् भारत में राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता महसूस की गयी। परिणामस्वरूप देश में राष्ट्रीय एकता तथा राष्ट्रीय भावना के विकास पर अधिक बल दिया जा रहा है। चूँकि शिक्षा इसके विकास में अत्यधिक महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है, इसीलिए इसी साधन द्वारा राष्ट्रीय चेतना के विकास के कार्य को पूर्ण करने का प्रयास किया जा रहा है।
राष्ट्रीयता की दृष्टि से आज शिक्षा का लक्ष्य है, व्यक्तियों में राष्ट्रीय भावना का विकास करना एवं उनके हृदय में राष्ट्र के प्रति प्रेम उत्पन्न करना। शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए कि शिक्षा प्राप्त व्यक्ति राष्ट्रीय प्रेम से युक्त हो। राष्ट्रीयता की दृष्टि से राष्ट्र को सुदृढ़ तथा सफल बनाना नागरिकों का सबसे पुनीत कार्य समझा जाता है। अतः राष्ट्र की आवश्यकताओं, आदर्शो तथा मान्यताओं के अनुसार ही शिक्षा की व्यवस्था की जाती है। नागरिकों में राष्ट्र के प्रति अपार भक्ति, शासक की आशा का पालन, अनुशासन, आत्मत्याग व कर्त्तव्य पालन आदि की भावनाओं का उद्वेग करना शिक्षा का आदर्श होता है। गत वर्षों में नाजियों ने जर्मनी में फासिस्टस ने इटली में शिक्षा द्वारा युवकों को राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत कर दिया था। आज रूस तथा चीन भी शिक्षा के माध्यम से वहाँ के युवकों में साम्यवाद की भावना का समावेश कर रहे हैं। प्रजातंत्रीय देश प्रजातंत्रीय व्यवस्था को सुदृढ़ बनाये रखने के लिए अपने नागरिकों में राष्ट्रीय एकता की भावना का विकास कर रहे हैं।
इस प्रकार यह स्पष्ट है कि शिक्षा राष्ट्र के निर्माण में सहायक होती है। इसमें देश तथा जाति भेद को आश्रय नहीं मिलता। देश के नागरिक एकता के लिए सूत्र में बँध जाते हैं। परस्पर द्वेष-भाव एवं स्वार्थ को छोड़कर राष्ट्र की सेवा के लिए तैयार रहते हैं। वे राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्व को समझते हैं और उन्हें निभाने का भरसक प्रयत्न करते हैं। इस प्रकार देश की समस्याओं का अन्त होता है और देश समृद्धि व शक्तिशाली बनता है।

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