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चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

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बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक


8
कौशल अधिग्रहण
(Acquisition of Skills)

प्रश्न- कौशल अधिग्रहण क्या है? कौशल अधिग्रहण के तीन चरणों के बारे में बताइए।
उत्तर-
कौशल अधिग्रहण
कौशल का अधिग्रहण कहा जाए तो यह एक प्रकार का शिक्षण है जिसमें किसी विशेष कार्य को करने के लिए किसी व्यक्ति की क्षमता में परिवर्तन के परिणामस्वरूप पुनरावृत्ति होती है। इसे इस तरह से भी कह सकते है कि किसी भी व्यवहार को सीखने की आवश्यकता होती है। शिक्षा मनोविज्ञान के अन्तर्गत 'सीखना एक अति महत्त्वपूर्ण विषय है, अतः मनोवैज्ञानिकों ने सीखने को वैज्ञानिक ढंग से परिभाषित करने का प्रयास किया है। इसीलिए सामान्यतः सीखने का आशय है 'व्यवहार में परिवर्तन, जो कि अभ्यास से बेहतर होता है। उसे एक कौशल माना जाता है। अधिगम या सीखना एक कौशल हैं कुछ लोग जल्दी सीखते हैं और कुछ देर में सीखते हैं। सीखने का विषय शीघ्र अधिग्रमित कर लेते हैं यही कुशलता है। इन कौशलों में नवीन ज्ञान, नवीन क्रिया. आदत, अनुभवों का उपयोग, ज्ञान तथा स्थानान्तरण, स्मृति तथा अनुकूलन यह सभी देखें तो अधिगम कौशल ही है।
कौशल अधिग्रहण के चरण निम्नलिखित हैं-
(1) संज्ञानात्मक चरण - इस प्रारम्भिक चरण के अन्तर्गत लक्ष्य कौशल की समग्र समझ को विकसित किया जाता है। इसीलिए सीखने वाले को यह निर्धारित करना चाहिए कि कौशल का आखिर उद्देश्य है क्या।
जब एक विद्यार्थी एक विशिष्ट प्रकार के कार्य के लिए नया होता है तो सबसे पहले प्राथमिक विचार की ही प्रक्रिया शुरू होती है कि क्या किया जाना चाहिए? विचारशील संज्ञानात्मक गतिविधि जरूरी है जिससे कि विद्यार्थी अपने वांछित लक्ष्य को पर्याप्त रूप से प्रतिबिम्बित करने के लिए उपयुक्त रणनीति को निर्धारित कर सके।
(2) साहचर्य चरण - इस अवस्था के अन्तर्गत सीखने वाला अभ्यास के माध्यम से अपने प्रदर्शन को करना शुरू करता है। जब वह कुछ अभ्यास को कर लेता है और इसी के साथ ही विभिन्न उत्तेजनाओं की पहचान कर लेता है तो वह अपने पहले चरण में "क्या करें" से लेकर आगे बढ जाता है।
(3) स्वायत्त चरण सीखने के इस अंतिम चरण में सीखने के इस स्तर तक प्रगति सीखने वाले को पहले की तुलना में बहुत कम संज्ञानात्मक भागीदारी के साथ किसी भी वातावरण में कौशल का प्रदान करने की अनुमति देती है।
अतः देखा जाए तो सीखने की प्रक्रिया हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग होती है और इसकी प्रगति विभिन्न प्रकार के कारकों पर निर्भर हो सकती है। जैसे प्रेरणा, प्रतिक्रिया, अभ्यास, पर्यावरण आदि।

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