लोगों की राय

बी ए - एम ए >> चित्रलेखा

चित्रलेखा

भगवती चरण वर्मा

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :128
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 19
आईएसबीएन :978812671766

Like this Hindi book 0

बी.ए.-II, हिन्दी साहित्य प्रश्नपत्र-II के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार पाठ्य-पुस्तक

प्रश्न- भारतीय संस्कृति के आधुनिक स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
भारतीय संस्कृति का आधुनिक स्वरूप
(Modern Face of Indian Culture)
भारतीय संस्कृति का एक नया स्वरूप स्वतन्त्रता प्रात होने के पश्चात् हमारे सामने आया। 1947 से लेकर आज तक का समय किसी संस्कृति के लिए लम्बा नहीं है वो इसलिए क्योंकि संस्कृति का निर्माण सदियों के अनुभव से होता है फिर भी इस समय कम से कम तीन पीढ़ियाँ नवीन परिवर्तनों का अनुभव कर लेती है।
स्वतन्त्रता प्राति के तहत ही हमें भारतीय संस्कृति के समन्वित रूप के दर्शन हुए। आजादी को पाने के लिए सभी जातियों ने अपने भेदभाव को भुलाकर अंग्रेजों से कड़ा मुकाबला किया और अपनी आजादी को हासिल किया। भारत राष्ट्र का उद्भव तब से ही माना जा सकता है परन्तु धर्म के आधार पर देश के विभाजन ने सम्पूर्ण जनता को आन्तरिक रूप से प्रभावित किया। यहाँ तक कि लोगों ने भारत को एक हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की भी मांग की।
स्वतन्त्रता के पश्चात् हमारे संविधान ने एक नए समाज की रूपरेखा प्रस्तुत की जो स्वतन्त्रता समानता व न्याय पर आधारित एक धर्मनिरपेक्ष प्रजातान्त्रिक गणतन्त्र हो। ऐसे समाज की संस्कृति एक समन्वय संस्कृति हो सकती है जिसके अन्तर्गत हिन्दू, इस्लाम, सिख व इसाई संस्कृति के सार्वभौमिक तत्व भी विद्यमान हों। वास्तव में भारत में इस्लाम या इसाई धर्म के आने से पहले हिन्दू धर्म ही था।
वर्तमान समय में भारतीय संस्कृति की पहचान अधिकारों व अवसरों की समानता, धर्मनिरपेक्षता, सकल नागरिकता व सभी नागरिको के लिए मूल अधिकार आदि से होती है। आज भारत में धर्म के आधार के अतिरिक्त जाति व वर्ग के आधार पर अनेक समूह हैं, जिसमें अ[सर देखा जाए तो संघर्ष की स्थिति आ ही जाती है। जैसे - पिछड़ी व उच्च जातियों में। जनजातियों की बात की जाए तो उनकी अपनी अलग समस्या है। अपनी सांस्कृतिक पहचान के खो जाने के भय से वह संघर्षरत हैं। भारतीय संविधान ने राज्यों को उनके संरक्षण का निर्देश दिया।
उपरोक्त विवेचन के अनुसार यह स्पष्ट है कि वर्तमान भारत में एक ऐसी समन्वित भारतीय संस्कृति का निर्माण हो रहा है जो कि अनेक प्रकार की संस्कृतियों, भाषाओं व धर्मों आदि को समाहित किए हुए हैं। देश का जितना आर्थिक और शैक्षिक विकास होगा संस्कृति भी उतनी ही उदार होगी।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book