शब्द का अर्थ
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सती :
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वि० स्त्री० [सं०] १. अपने पति के अतिरिक्त और किसी पुरुष का ध्यान मन में न लानेवाली। साध्वी। पतिव्रता। २. अपने पति के मरने पर उसके साथ ही जल या मर जानेवाली। सहगामिनी। क्रि० प्र०—होना। स्त्री० १. दक्ष प्रजापति की कन्या जो शिव को ब्याही थी। २. विश्वामित्र की पत्नी का नाम। ३. पतिव्रता स्त्री। साध्वी। ४. वह स्त्री जो अपने पति के शव के सात चिता में जले। सहगामिनी स्त्री। मुहावरा—(पति के साथ) सती होना=मरे हुए पति के शरीर के साथ चिता में जल मरना। सहगमन करना। (किसी काम या बात के लिए) सती होना=बहुत अधिक कष्ट झेलते हुए मर मिटना। ६. मादा पशु। ७. सुगंधित या सोंधी मिट्टी। ८. एक प्रकार का छंद जिसके प्रत्येक चरण में एक नगण और एक गुरु होता है। पुं० [सं० सत्] १. वह जो सतधर्म का पालन करता हो। २. सात्त्विक वृत्तियोंवाला साधु या महात्मा। जैसा—बड़े-बड़े जोगी, जती और सती भी उसकी महिमा का पार नहीं पा सके। स्त्री० १.=शती। २.=शक्ति।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सती-चौरा :
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पुं० [सं० सती+हि० चौरा] वह बेदी या छोटा चबूतरा जो किसी स्त्री के सती होने के स्थान पर उसके स्मारक में बनाया जाता है। |
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सतीत्व :
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पुं० [सं० सती+त्व] सती होने की अवस्था, धर्म या भाव। पातिव्रत्य। मुहावरा—किसी स्त्री का) सतीत्व बिगाड़ना या नष्ट करना=किसी स्त्री से बलात्कार करना। |
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सतीत्व-हरण :
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पुं० [सं० ष० त०] किसी सच्चरित्रा स्त्री के साथ बलात्कार करके उसका सतीत्व बिगाडना। |
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सतीदोषोन्माद :
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पुं० [सं० मध्मि० स०] स्त्रियों का वह उन्माद रोग जिसका प्रकोप किसी सतीचौरे को अपवित्र करने के कारण माना जाता है। |
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सतीन :
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पुं० [सं० सती√नी (ढोना)+ड] १. एक प्रकार का मटर। २. अपराजिता या कोयल नाम की लता। |
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सतीपन :
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पुं०=सतीत्व।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सतीर्थ :
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पुं० [सं० ब० स०] १. एक ही आचार्य से पढ़नेवाले विद्यार्थी या ब्रह्मचारी। सहाध्यायी। २. सहपाठी। |
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सतील :
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पुं० [सं० अव्य० स०] १. बाँस। २. अपराजिता। २. वायु। हवा। |
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