शब्द का अर्थ
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वीज :
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पुं० [सं० वि√जन् (उत्पन्न होनेवाला)+ड, दीर्घ, वि√ईज् (गमन)+अच्] १. मूल कारण। असल वजह। २. वनस्पति आदि की वह गुठली या दाना जिससे उस जाति की और वनस्पतियाँ उत्पन्न होती है। बीज। बीआ। ३. वीर्य। शुक्र। ४. अंकुर। ५. फल। ६. आधार। ७. निधि। खजाना। ८. तेज। ९. तत्त्व। १॰. मज्जा। ११. तांत्रिकों के अनुसार एक प्रकार के मंत्र जो बड़े-बड़े मंत्रों के मूल तत्त्व के रूप में माने जाते हैं। प्रत्येक देवी या देवता के लिए मंत्र अलग-अलग होते हैं। १२. दे० ‘बीज-गणित’। स्त्री० बिजली। (विद्युत)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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वीज-कर :
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पुं० [सं० वीज√कृ (करना)+अच्] उड़द की दाल जो बहुत पुष्टकारी मानी जाती है। |
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वीज-गणित :
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पुं० [सं० तृ० त०] गणित की वह शाखा जिसमें सांकेतिक अक्षरों की सहायता से राशियाँ निकाली जाती है और गणना की जाती है। |
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वीज-मार्गी :
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पुं० [सं० वीज√मार्ग (खोजना)+णिनि; वीजमार्गिन्] एक प्रकार के वैष्णव जो निर्गुण के उपासक होते हैं, और देवी-देवताओं का पूजन नहीं करते। |
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वीजक :
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पुं० [सं० बीज+कन, वीज√कै+क] १. बीज। बीआ। २. विजयमार या पियासाल नामक वृक्ष। ३. बिजौरा। नीबू। ४. सफेद सहिजन। ५. दे० ‘बीजक’। |
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वीजकृत :
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वि० [सं०वीज√कृ+क्विप्] शक्र बढ़ाने तथा पुष्ट करनेवाला (पदार्थ)। |
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वीजकोश :
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पुं० [सं०ष०त०] १. फलों पौधों आदि का वह अंग जिसके अन्दर बीज रहते हैं। २. कमलगट्टा। ३. सिंघाड़ा। |
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वीजधान्य :
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पुं० [सं० मध्यम० स०] धनियाँ। |
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वीजन :
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पुं० [सं० वि√ईज् (गमन)+ल्युट—अन] १. पंखा झलना। हवा करना। २. पंखा। चँवर। ३. चादर। ४. चकोर पक्षी। ५. लोध। |
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वीजपुरुष :
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पुं० [सं० कर्म० स०] वह पुरुष जिससे किसी वंश की परम्परा चली हो। |
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वीजपूर :
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पुं० [सं० ब० स०] १. बिजौरा नीबू २. चकोतरा। ३. गलगल। |
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वीजलि :
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स्त्री०=बिजली (डि०)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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वीजसार :
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पुं० [सं० ब० स०] बायबिडंग। |
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वीजसू :
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स्त्री० [सं० वीज√सू (उत्पन्न करना)+क्विप्] पृथ्वी। वि०=दूजा। (दूसरा)। पुं० [अं०] पार-पत्र पर लिखा जानेवाला वह लेख जिसके आधार परविदेशी यात्री को किसी दूसरे देश में प्रवेश और घूमने-फिरने का अधिकार प्राप्त होता है। द्रष्टांक (वीजा)। |
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वीजाध्यक्ष :
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पुं० [सं० वीज-अध्यक्ष] शिव। |
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वीजित :
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भू० कृ० [सं० वीज+इतच्] १. बोया हुआ। २. पंखा झलकर ठंडा किया हुआ। ३. सींचा हुआ। |
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वीजी :
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वि० [सं० वीज+इनि] जिसमें वीज हों। बीजोंवाला। पुं० १. पिता। बाप। २. चौराई का साग। |
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वीजोदक :
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पुं० [सं० वीज+उदक, उपमि० स०] आकाश से गिरनेवाला ओला। बिनौरी। |
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वीज्य :
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वि० [सं० वि√ईज्+यत्, बीज+यत् वा] १. जो बोया जा सकता हो। बोया जाने के योग्य। २. जो अच्छे बीज से उत्पन्न हुआ हो। ३. कुलीन। |
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