शब्द का अर्थ
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मौ :
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स्त्री० [हिं० मौज] १. मन की मौज। तरंग। २. युवास्था। ३. पूर्णता। ४. परिपक्वता। क्रि० प्र०—पर आना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौअत :
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स्त्री०=मौत (मृत्यु)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मौका :
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पुं० [अ० मौक़ा] १. ऐसा समय जब कोई काम ठीक तरह से होने को हो या हो सकता हो। अवसर। सुयोग। मुहावरा—मौका देखना=उपयुक्त अवसर की ताक में रहना। २. अवधि। मोहलत। ३. अवकाश। फुरसत। ४. वह स्थान जहाँ कोई घटना हुई हो अथवा जिसके सम्बन्ध में कोई विचार या विवाद उपस्थित हो। जैसे—आज अधिकारी लोग मौका देखने गये। |
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मौकुल :
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पुं० [सं०] कौआ। |
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मौकूफ :
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वि० [अ० मौकूफ] [भाव० मौकूफी] १. मुल्तवी। स्थगित। २. पदच्युत। बरखास्त। ३. रद्द। ४. अवलंबित। आश्रित। |
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मौकूफी :
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स्त्री० [अ० मौकूफी] १. मौकूफ किये जाने अथवा होने की अवस्था, क्रिया या भाव। २. प्रतिबंद। रुकावट। |
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मौके-बे-मौके :
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अव्य० [अ० मौक़ा+फा० बे] समय-कुसमय। |
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मौक्तिक :
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पुं० [सं० मुक्ता+ठक्—इक] मोती। वि० मुक्ता सम्बन्धी। मुक्ता का। |
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मौक्तिक-तंडुल :
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पुं० [सं० ष० त०] बारह अक्षरों का एक प्रकार का वर्णिक छन्द जिसके प्रत्येक चरण में दूसरा, पाँचवाँ, आठवाँ और ग्यारहवाँ वर्ण गुरु और शेष लघु होते हैं। |
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मौक्तिक-माला :
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स्त्री० [सं० ष० त०] १. मोतियों की माला। २. ग्यारह अक्षरों की एक वर्णिक वृत्ति जिसके चरण का पहला, चौथा, पाँचवाँ, दसवाँ और ग्यारहवाँ अक्षर गुरु और शेष लघु होते हैं तथा पाँचवें और छठें वर्ण पर यति होती है। |
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मौक्तिकावलि :
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स्त्री० [सं० ष० त०] मोतियों की माला। |
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मौक्य :
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पुं० [सं० मूक+ष्यञ्] मूक होने की अवस्था या भाव। मूकता। |
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मौक्ष :
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पुं० [सं० मोक्ष+अण्] एक प्रकार का साम गान। |
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मौख :
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वि० [सं० मुख+अण्] १. मुख-सम्बन्धी। मुख का। २. मुख से निकलने या होनेवाला। जैसे—अभक्ष्य पदार्थ खाना, गालियाँ बकना आदि मौख पाप है। पुं० [?] मसाले के काम आनेवाला एक पदार्थ। |
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मौखर :
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पुं० [सं० मुखर+अण्] मुखर होने की अवस्था या भाव। मुखरता। |
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मौखरी :
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पुं, ०एक प्राचीन भारतीय राजवंश। |
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मौखर्य :
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पुं० [सं० मुखर+ष्यञ्] मुखरता। वाचालता। |
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मौखिक :
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वि० [सं० मुख+ठक्-इक] १. सुख-सम्बन्धी। मुख का २. मुँह से कहा या बोला जानेवाला। जबानी। (लिखित से भिन्न) ३. संगीत में वाद्य से भिन्न कंठ से निकलनेवाला (स्वर आदि) जैसे—मौखिक संगीत। |
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मौखिक-परीक्षा :
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स्त्री० [सं०] विद्यार्थियों या शिद्यार्थियों के ज्ञान और योग्यता की वह परीक्षा जो उनसे मौखिक प्रश्न करके की जाती है। (वाइवा वोसी)। |
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मौंगा :
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वि० =मौगा। |
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मौगा :
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वि० [सं० मुग्ध] [स्त्री० मौगी] १. मूर्ख। निर्बुद्धि। २. नपुंसक। हिजड़ा। पुं० [स्त्री० मौगी] पुरुष। |
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मौंगी :
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वि० [सं० मौन] मौन। चुप। स्त्री०=मौन (चुप्पी)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मौग्ध्य :
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पुं० [सं० मुग्ध+ष्यञ्] मुग्ध होने की अवस्था या भाव। मुग्धता। |
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मौंज :
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वि० [सं० मुंज+अण्] [स्त्री० मौंजी] १. मूँज सम्बन्धी। २. मूंज का बना हुआ। |
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मौज :
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स्त्री० [अ०] १. पानी की लहर। तरंग। हिलोर। क्रि० प्र०—आना।—उठना। मुहावरा—मौज खाना=लहर मारना। हिलोरा लेना। (लश०) मौज मारना=जलाशय या नदी आदि में जोरों की लहरें उठना। २. मन में उठनेवाली कोई उमंग। लहर। क्रि० प्र०—आना।—उठना। मुहावरा—किसी की मौज पाना=किसी को अपने अनुकूल या प्रवृत्त देखना। किसी को मौज आना या किसी को मौज में आना=अचानक किसी काम की उमंग होना। धुन होना। ३. मन में उमंग में आकर दिया जानेवाला पुरस्कार या विभूति उदाहरण—जांचि निराखर हूँ, भले लै लाखन को मौज।—बिहारी। ४. मन का आनन्द। मजा। सुख। क्रि० प्र०—करना।—उड़ाना।—मारना।—मिलना।—लेना। |
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मौज-पानी :
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पुं० [हिं०] १. बहुत सुखपूर्वक और निश्चित होकर किया जानेवाला खान-पान। २. मजा। |
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मौंजकायन :
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पुं० [सं० मुंजक+फक्-आयन] मुंजक ऋषि का वंशज। |
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मौज़ा :
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पुं० [अ० मौजअ] १. गाँव। ग्राम। २. स्थान। पुं० दे० ‘मोजा’। |
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मौंजिबंधन :
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पुं० [सं० कर्म० स०] यज्ञोपवीत संस्कार। व्रतबंध जनेऊ। |
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मौंजी :
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स्त्री० [सं० मुंज+अण्+ङीष्] मूँज की बनी हुई मेखला। |
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मौजी :
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वि० [फा० मौज+हिं० ई (प्रत्यय)] १. अपने मन की मौज के अनुसार मनमाना काम करनेवाला। जब जो जी में आवे तब वही करनेवाला। २. अच्छी तरह आनन्द या सुख भोगनेवाला। मौज लेनेवाला। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मौज़ूँ :
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वि० [अ०] [भाव० मौजूँ, नियत] १. वजन किया हुआ। तुला या तौला हुआ। २. जो किसी स्थान पर ठीक बैठता या मालूम होता हो। २. जो किसी स्थान पर ठीक बैठता हो। उपयुक्त। ३. (छन्द या पद) जो काव्य के नियमों, विषय आदि की दृष्टि से उपयुक्त या ठीक हो। अव्य० ठीक-ठीक। पुं० वर्णन विचार आदि का विषय। |
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मौजूद :
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वि० [अ०] [भाव० मौजदूगी] १. उपस्थित। हाजिर। २. प्रस्तुत। ३. जीवित। विद्यमान। |
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मौजूदगी :
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स्त्री० [फा०] मौजूद होने की अवस्था या भाव। |
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मौजूदा :
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वि० [अ, ०मौजूद] १. वर्तमान काल का। जो इस समय मौजूद हो। २. आधुनिक। प्राचीन का विरुद्धार्थक। ३. जो सामने उपस्थित या प्रस्तुत हो। विद्यमान। |
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मौजूदात :
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स्त्री० [अ०] चराचर जगत्। सृष्टि। |
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मौजूनियत :
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स्त्री० [अ०] मौजूँ होने की अवस्था या भाव। उपयुक्ता। |
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मौड़ :
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पुं० =मौर (सेहरा)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मौंड़ा :
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पुं० =मुंडा (बालक)। पुं० =मोहरा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मौंड़ा :
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पुं० =मौंड़ा० पुं० =मुंडा (बालक) पुं० =मोहड़ा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मौढ्य :
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पुं० [सं० मूढ़+ष्यञ्] मूढ़ होने की अवस्था या भाव। मूढ़ता। |
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मौंत :
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स्त्री० [अ० मि० सं० मीति] १. मरने की अवस्था या भाव। मरण। मृत्यु। २. मृत्यु का देवता। यम। ३. मृत्यु का समय। क्रि० प्र०—आना।—बुलाना।—होना। पद—मौत का तमाचा=ऐसी बहुत ही घातक या भीषण घटना या बात जो किसी का अन्त कर सकती हो। मौत का पसीना=वह पसीना जो साधारणतः लोगों को मरने से कुछ ही पहले आता है। मौत के मुँह में=घोर संकट में। मुहावरा—बे-मौत मरना=ऐसे घोर संकट में पड़ना जिसमें पूर्ण विनाश दिखायी देता हो। मौत के दिन पूरे करना=ऐसे दुःख में दिन बिताना, जिसमें बहुत दिन जीना असम्भव हो। मौत (सिर पर) खेलना= (क) मरने को होना। मरने का समय बहुत पास आना। (ख) बहुत बुरे या दुर्भाग्य के दिन पास आना। (ग) जान-जोखिम का समय पास आना। अपनी मौत मरना=स्वाभाविक ढंग से मरना। प्राकृतिक नियम के अनुसार मरना। ४. ऐसा कठिन या विकट काम जिससे बहुत अधिक कष्ट हो। जैसे—तुम्हें तो वहाँ जाते मौत आती है। |
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मौताद :
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स्त्री० [अ०] औषध आदि की मात्रा। |
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मौदक :
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वि० [सं० मोदक+अण्] मोदक सम्बन्धी। मोदक का। |
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मौदकिक :
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पुं० [सं० मोदक+ठक्-इक] मोदक अर्थात् मिठाइयाँ बनानेवाला। हलवाई। |
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मौदगल्यायन :
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पुं० [सं० मौदगल्य+फक्-आयन] गौतम बुद्ध का शिष्य। |
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मौदगीन :
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पुं० [सं० मुदग+खञ्-ईन] मूँग का खेत। |
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समानार्थी शब्द-
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मौद्गल :
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पुं० [सं० मुदगल+अण्] मुदगल ऋषि के गोत्र में उत्पन्न व्यक्ति। मौदगल्य। |
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समानार्थी शब्द-
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मौद्गलायन :
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पुं० =मौद्गल्यायन। |
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समानार्थी शब्द-
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मौद्गल्य :
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पुं० [सं० मुदगल+ष्यञ्] १. मुद्गल ऋषि के पुत्र का नाम जो एक गोत्रकार ऋषि थे। २. मुदगल ऋषि के गोत्र का व्यक्ति। |
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मौध्य :
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पुं० [सं० मोघ+ष्यञ्] मोघ अर्थात् निरर्थक होने की अवस्था या भाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौन :
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पुं० [सं० मुनि+अण्] १. मुनि का भाव। २. न बोलने की क्रिया या भाव। चुप रहना। चुप्पी। क्रि० प्र०—गहना।—धारना।—रहना। मुहावरा—मौन खोलना=देर तक चुप रहने के उपरान्त बोलना। मौन तोड़ना=व्रत तोड़ देना। मौन बाँधना=मौन धारण करना। न बोलने का प्रण करना। मौन लेना या साधना=चुप रहने का व्रत करना। २. मुनियों का व्रत। मुनिव्रत। ३. फागुन मास का पहला पक्ष। वि० [सं० मौनी] जो न बोले। चुप। मौनी। पुं० [सं० मौण] १. बरतन। पात्र। २. डब्बा। ३. पिटारा। ४. टोकरा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौन-व्रत :
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पुं० [सं० ष० त०] मौन धारण करने का व्रत। चुप रहने का व्रत। |
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समानार्थी शब्द-
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मौना :
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पुं० [सं० मोण] [स्त्री० अल्पा० मौनी] १. घी, या तेल आदि रखने का एक प्रकार का बरतन। २. टोकरा। पिटारा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौनी (निन्) :
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वि० [सं० मौन+इनि] १. मौन अर्थात् चुप रहने वाला। न बोलनेवाला। २. जिसने मौन व्रत धारण किया हो। पुं० =मुनि। स्त्री० हिं० ‘मौना’ का स्त्री० अल्पा०। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौनी अमावस :
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स्त्री० [हिं०] माघ मास में पड़नेवाली अमावस। इस दिन मौन रहने का महात्म्य है। |
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समानार्थी शब्द-
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मौनेय :
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पुं० [सं० मुनि+ढक्-एय] गंधर्वों, अप्सराओं आदि का एक मातृक गोत्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौर :
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पुं० [सं० मुकुट, पा० मउड़] [स्त्री० अल्पा० मौरी] १. विवाह के समय वर को पहनाया जानेवाला ताड़-पत्र या खुखड़ी का बना हुआ एक प्रकार का शिरोभूषण। मुहावरा—मौर बाँधना=विवाह के समय सिर पर मौर पहनना। वि० सब में मुख्य या श्रेष्ठ। शिरोमणि। पुं० [सं० मुकुल, प्रा० मउल] मंजरी। बौर। जैसे—आम का मौर। पुं० [सं० मौलि=सिर] १. सिर। २. गरदन का पिछला भाग जो सिर के नीचे पड़ता है। |
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समानार्थी शब्द-
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मौर-छोराई :
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स्त्री० [हिं० मउर-छुड़ाई] १. विवाह के उपरांत मौर खोलने की रस्म। २. उक्त रसम के समय मिलनेवाला धन या नेग। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौरजिक :
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पुं० [सं० मुरज+ठक्-इक] मुरज नामक बाजा बजानेवाला। मुरज बजानेवाला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौरना :
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स० [हिं० मौर+ना (प्रत्यय)] वृक्षों पर मंजरी लगना। आम आदि के पेड़ों पर बौर लगना। बौराना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौरसिरी :
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स्त्री०=मौलसिरी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौरिक :
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वि० [सं० मुकुलित] मौर अर्थात् मंजरी से युक्त। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौरी :
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स्त्री० [मौर का स्त्री०अल्पा०] कागज आदि का बना हुआ वह छोटा मौर जो विवाह में वधू के सिर पर बाँधा जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौरुसी :
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वि० [अ०] पैतृक। जैसे—मौरुसी घर या जायदाद। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौर्ख्य :
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पुं० [सं० मूर्ख+ष्यञ्] मूर्खता। बेवकूफी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौर्य :
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पुं० [सं० मुरा+ण्य] मगध का एक प्रसिद्ध भारतीय राजवंश। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौर्वी :
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स्त्री० [सं० मूर्वा+अण्+ङीष्] धनुष की प्रत्यंचा। कमान की डोरी। ज्या। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौल :
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वि० [सं० मूल+अण्] १. मूल से सम्बन्ध रखनेवाला। २. मूल पुरुषों से मिला हुआ। पैतृक। मौरुसी। पुं० १. प्राचीन भारत में एक प्रकार का राज-मंत्री। २. जमींदार। भू-स्वामी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौल-बल :
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पुं० [सं० कर्म० स०] बड़े जमीदारों की अथवा उनके द्वारा एतत्र की हुई सेना। (कौ०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौलवी :
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पुं० [अ०] १. अरबी भाषा का पंडित। २. इस्लाम धर्म का आचार्य। ३. छोटे बच्चों को पढ़ानेवाला मुसलमान गुरु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौलसिरी :
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स्त्री० [सं० मौलि-श्री] १. एक प्रकार का बड़ा सदा बहार पेड़ जिसकी लकड़ी अन्दर से लाल और चिकनी होती है। और जिसकी मेज, कुर्सी आदि बनायी जाती हैं उसके बीजों से तेल निकलता है छाल ओषधियों के काम आती है। २. उक्त वृक्ष के छोटे सफेद सुगंधित फूल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौला :
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पुं० [देश] उत्तरी भारत में होनेवाली एक प्रकार की बेल जिसकी पत्तियाँ एक बालिश्त तक लम्बी होती है। जाड़े के दिनों में इसके आध इंच लम्बे फूल लगते हैं। मूला। मल्हा बेल। पुं० [अ०] १. स्वामी। २. ईश्वर। परमात्मा ३. वह गुलाम जिसे मुक्ति मिली हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौलाई :
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स्त्री० [अ०] १. मौला होने की अवस्था या भाव। २. स्वामित्व। ३. सरदारी। ४. प्रतिष्ठा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौलाना :
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पुं० [अ०] १. बहुत बड़ा विद्वान, विशेषतः इस्लाम के सिद्धान्तों का पंडित। २. अरबी भाषा का पंडित। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौलि :
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पुं० [सं० मूल+इञ्] १. किसी पदार्थ का सब से ऊंचा भाग। चोटी। सिरा। चूड़ा। २. मस्तक। सिर ३. किरीट। ४. नेता। सरदार। ५. अशोक वृक्ष। ६. पृथ्वी। ७. जमीन। भूमि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौलि-पट्ट :
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पुं० [सं० मध्य० स०] पगड़ी। साफा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौलि-मणि :
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पुं० [सं० मध्य० स०] शिरोमणि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौलिक :
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वि० [सं० मूल+ठञ्-इक] [भाव० मौलिकता] १. मूल या जड़ से सम्बन्ध रखनेवाला। २. मूल तत्त्व या सिद्धान्त से सम्बन्ध रखने वाला। (फन्डामेन्टल) ३. असली। वास्तविक। ४. (कृति, ग्रन्थ या विचार) जो बिलकुल नया हो तथा किसी की उदभावना से उदभूत हो। जो किसी की नकल न हो और न ही किसी की उदभावनाओं से उदभूत हो। जो किसी की नकल न हो और न ही किसी के आधार पर बना हो। मूलभूत (ओरिजिनल)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौलिकता :
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स्त्री० [सं० मौलिक+तल्+टाप्] मौलिक होने की अवस्था या भाव। २. स्वयं अपनी उद्भावना से कुछ कहने, बोलने या लिखने की शक्ति अथवा गुण। (ओरिजिनेलिटी) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौली (लिन्) :
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वि० [सं० मौलि+इनि] जिसके सिर पर मौलि या मुकुट हो। मुकुटधारी। स्त्री० [हिं० मौर] लाल रँगा हुआ मांगलिक डोरा या सूत। नारा (पश्चिम)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौलूद :
|
वि० [अ०] जन्म प्राप्त। (शिशु)। पुं० १. जन्मतिथि। २. बेटा। ३. दे० ‘मौलदू शरीफ’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौलूद-शरीफ़ :
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पुं० [अ०] १. मुहम्मद साहब के जन्म से संबंध रखनेवाली धार्मिक कथा। २. वह अवसर या समाज जिसमें सब लोगों के सामने वह कथा कही या पढ़ी जाती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौल्य :
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पुं० [सं० मूल+ष्यञ्] मूल्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौषल :
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वि० [सं० मूषल+अण्] १. मूषल-संबंधी। २. मूसल के आकार का। पुं० महाभारत का एक पर्व। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौष्टा :
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स्त्री० [सं० मुष्टि+ष्ण+टाप्] घूँसों की मार या लड़ाई। मुक्कामुक्की। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौसम :
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पुं० =मौसिम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौसर :
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वि० =मयस्सर (उपलब्ध)। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौसल :
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वि० [सं० मुसल+अण्] मूसल-सम्बन्धी। मूसल का। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौसा :
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पुं० [हि० मौसा का पुं० ] [स्त्री० मौसी, वि० मौसेरा] संबंध के विचार से माता की बहन का पति। मौसी का पति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौसिम :
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पुं० [अ] [वि० मौसिमी] १. किसी काम या बात के लिए उपयुक्त समय। अनुकूल काल। २. गरमी, बरसात, सरदी आदि के विचार से समय का विभाग। ऋतु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौसिमी :
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वि० [फा०] १. समयोंपयोगी। काल के अनुकूल। २. किसी विशिष्ट मौसिम या ऋतु में होनेवाला। स्त्री०=मुसम्मी (मीठा नींबू)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौंसिया :
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वि० =मौसेरा। पुं० =मौसा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौसियाउत :
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वि० =मौसेरा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौसिला :
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स्त्री०=मौलसिरी। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौसी :
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स्त्री० [सं० मातृष्वसा, प्रा० माउस्सिआ] [वि० मौसेरा, मौसियाउत] माता की बहन। मासी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौसूफ़ :
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वि० [अ०] [स्त्री० मौसूफा] १. वर्णित। २. प्रंशसित। पुं० विशेष्य। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौसूम :
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वि० [अ०] [स्त्री० मौसूमा] जिसका कोई नाम हो। नामधारी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौसूल :
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वि० [अ०] १. मिलाया हुआ। २. मिला हुआ। प्राप्त। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौसेरा :
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वि० [हिं० मौसा+एरा (प्रत्यय)] मौसी के द्वारा संबद्ध। मौसी के संबंध का। जैसे—मौसेरा भाई, मौसेरी बहन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौहूर्तिक :
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वि० [सं० मुहुर्त+ठक्-इक] १. मुहुर्त-सम्बन्धी। २. मुहुर्त से उत्पन्न। पुं० १. दक्ष की मुहुर्त्ता नाम की कन्या से उत्पन्न एक देवगण। २. मुहूर्त्त बतलानेवाला, अर्थात् ज्योतिषी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मौहूर्त्त :
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पुं० [सं० मुहुर्त+अण्] मुहुर्त बतलानेवाला, ज्योतिषी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |