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शब्द का अर्थ

मुकर  : पुं० =मुकुर। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
मुकरना  : अ० [सं० मा=नहीं+करना] कोई काम कर चुकने या बात कह चुकने पर बाद में यह कहना कि हमने ऐसा नहीं किया अथवा नहीं किया था। कहे या किये हुए से इन्कार करना। जैसे—कहकर मुकर जाना तो उसके लिए मामूली बात है। उदाहरण—नियत पड़ी तब भेंट मनाई। मुकर गये जब देनी आई। (कहा०)। संयो० क्रि०—जाना।—पड़ना। वि० कुछ करके अथवा कहकर मुकर जानेवाला। मुकरा। जैसे—ऐसे मुकरने आदमी से हम बात नहीं करते। अ० [सं० मुक्त०] मुक्त होना। छूटना।
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मुकरवा  : वि० दे० ‘मुकरा’। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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मुकरा  : वि० [हिं० मुकरना] वह जो कोई बात कहकर उससे मुकर जाता हो। अपनी बात पर दृढ़ न रहनेवाला। उदाहरण—लोभी, लौंद, मुकरवा (मुकरा) भगरू बड़ी पढौलो लूटा।—सूर।
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मुकरानी  : स्त्री० [हिं० मुकरना] मुकरी या कह-मुकरी नामक कविता। दे० ‘मुकरी’।
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मुकरावन  : वि० [हिं० मुकराना=मुक्त कराना] १. मुक्त कराने या छुड़ानेवाला। २. मुक्ति या मोक्ष दिलानेवाला।
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मुकरी  : स्त्री० [हिं० मुकरना] १. मुकरने की क्रिया या भाव। २. एक प्रकार की लोक-प्रचलित कविता जिसका रूप बहुत कुछ पहेली का सा होता है, और जिसमें पहले तो कोई वास्तविक बात श्लिष्ट रूप में कही जाती है, पर बाद में उस कही हुई बात से मुकरकर उसकी जगह कोई दूसरी उपयुक्त बात बनाकर कह दी जाती है। जिससे सुननेवाला कुछ का कुछ समझने लगता है। हिंदी में अमीर खुसरो की मुकरियाँ प्रसिद्ध हैं। इसी को ‘कह-मुकरी’ भी कहते हैं साहित्यिक दृष्टि से मुकरियों का विषय छेकापह्रुति अलंकार के अंतर्गत आता है। उदाहरण—सगरि रैन वह मो संग जागा। भोर भई तब बिछुरन लागा। वाके बिछरत फाटे हिया। क्यों सखि साजन ना सखि दिया।—खुसरो।
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मुकर्रम  : वि० [अ०] १. प्रतिष्ठित। २. पूज्य।
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मुकर्रर  : अव्य० [अ०] दोबारा। फिर से। वि० [अ० मुक़र्रर] [भाव० मुकर्ररी] १. जिसके संबंध में इकरार हो चुका हो। निश्चित। २. किसी पद या स्थान पर जिसे नियुक्त किया गया हो।
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मुकर्ररी  : स्त्री० [अ] १. मुकर्रर होने की अवस्था, क्रिया या भाव। २. मालगुजारी या लगान। ३. नियत रूप में या नियत समय पर मिलता रहनेवाला धन। जैसे—वेतन, वृत्ति आदि।
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