शब्द का अर्थ
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मल :
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पुं० [सं०√मल्+अच्] १. मैल। कीट। जैसे—धातुओं का मल। २. शरीर से निकलनेवाली मैल या विकार। जैसे—कफ, पसीना, विष्ठा आदि। ३. गुह। विष्ठा। ४. दोष। विकार। ५. पाप। वि० १. गंदा मलीन। २. दुष्ट। अव्य० हाथियों को उठाने के लिए किया जानेवाला शब्द (महावत)। |
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मल-ज्वर :
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पुं० [सं० मध्य० स०] मल के रुकने के कारण होनेवाला ज्वर। |
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मल-दूषित :
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वि० [सं० तृ० त०] मलिन। मैला। |
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मल-द्वार :
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पुं० [सं० ष० त०] १. शरीर की वे इंद्रियाँ जिनसे मल निकलते हैं। २. गुदा। गाँड़। |
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मल-धात्री :
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स्त्री० [सं० ष० त०] बच्चों का मल-मूत्र धोनेवाली धाय। |
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मल-पतंग :
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पुं० [ष० त०] एक प्रकार का छोटा कीड़ा जो वर्षा ऋतु के आरंभ में उत्पन्न होता और प्रायः मल के छोटे-छोटे टुकड़े इधर-उधर लुढ़काता फिरता है। |
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मल-परीक्षा :
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स्त्री० [सं० ष० त०] रोगी के मल (गुह) की वह वैज्ञानिक परीक्षा या विश्लेषण जिससे यह पता चलता है कि उसके शरीर में किस किस रोग के कीटाणु हैं (स्टूल एग्जामिनेशन)। |
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मल-पृष्ठ :
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पुं० [मध्य० स०] प्राचीन भारत में पुस्तक का ऊपरी तथा पहला पृष्ठ जो जल्दी मैला हो जाता था। |
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मल-मास :
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पुं० [सं० कर्म० स०] १. वह अमांत मास जिसमें संक्राति न पड़ती हो। दो संक्रान्तियों के बीच में पड़ने वाला चांद्रमास। विशेष—चांद्रगणना के अनुसार प्रायः तीसरे या चौथे वर्ष बारह की जगह तेरह महीने भी होते हैं। यही तेरहवाँ महीना (जो वर्ष के बीच में पड़ता है) अधिमास, अधिक मास, मलमास या पुरूषोत्तम कहलाता है। इस मास में कोई शुभ काम करने का विधान नहीं है। २. क्षयमास। |
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मल-रुचि :
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वि० [स० ब० त०] १. दूषित रुचिवाला। २. पापी। |
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मल-रोधक :
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वि० [स० ष० त०] जो पेट के अन्दर के मल को रोके कब्जियत करनेवाला। काबिज। |
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मल-रोधन :
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पुं० [स० ष० त०] पेट या आतों में मल रोकना। कोष्ठबद्धता। कब्जियत। |
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मल-वासा :
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स्त्री० [ब० स०] ऋतुमती या रजस्वला स्त्री। |
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मल-विनाशनी :
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स्त्री० [स० ब० त०] १. शंखपुष्पी। २. क्षार। |
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मल-विसर्जन :
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पुं० [ष० त०] पाखाना फिरना। हगना। |
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मल-वेग :
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स्त्री० [स० ष० त०] अतीसार। |
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मल-शुद्धि :
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स्त्री० [ष० त०] पेट या आंतों में रूके मल का गुदा के रास्ते बाहर निकल आना। |
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मलकना :
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अ० [अनु०] १. हिलना-डोलना। २. मटकना। ३. इतराना। ४. चमकना। स०= मलकाना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मलकरन :
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पुं० [देश०] बरतनों पर रेखाएँ खींचने का एक उपकरण। |
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मलका :
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स्त्री० [अ० मलिकः] १. महारानी। २. रानी। ३. बहुत ही सुन्दर स्त्री। |
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मलकाछ :
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पुं० [हिं० मल्ल+काछ] देवताओं के श्रृंगार के लिए एक प्रकार की कछनी जिसमें तीन झब्बे लगे होते हैं। |
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मलकाना :
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स० [अनु०] १. हिलाना-डुलाना। जैसे—आँख मलकाना। २. बहुत ठमक ठमककर या रक-रुककर बातें करना। अ०=इतराना। पुं० [अ० मलिक] मुसलमानो की एक जाति। (पहले ये लोग राजपूत थे)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मलकीट :
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पुं० [सं० ष० त०] १. बहुत ही गन्दी चीजों या जगहों में रहनेवाला कीड़ा। ३. बहुत ही घृणित और नीच आदमी। |
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मलकुल मौत :
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पुं० =मल्कुल मौत। |
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मलकूत :
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पुं० [अ०] [वि० मलकूती] १. इस्लामी धर्म-शास्त्र के अनुसार ऊपर के नौ लोकों में से दूसरा लोक। २. फरिश्तों के रहने का लोक। देवलोक। |
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मलखंना :
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पुं० [सं० मल्ल+सेन] आल्हा-ऊदल का चचेरा भाई। पुं० दे० ‘मलकाना’। वि० [सं० मल+हिं० खाना] १. मल अर्थात् विष्ठा खाने वाला। २. बहुत ही गन्दा और मलिन (व्यक्ति)। |
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मलखंभ :
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पुं० =माल-खंभ। |
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मलखम :
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पुं० [सं० मल्ल+हिं० खंभा] १. पुरानी चाल के कोल्हू में लकड़ी का एक खूँटा जो कातर या पाट में कोल्हू से दूसरी छोर पर गाड़ा जाता है। २. दे० ‘माल-खंभ’। |
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मलखानी :
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स्त्री० [हिं० मलखम] वह ऊँचा और सीधा पतला खंभा जिस पर बेंत से मालखंभ की कसरत की जाती है। |
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मलंग :
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पुं० [फा०] १. निश्चित तथा मस्त रहनेवाले एक तरह के मुसलमान फकीरों की संज्ञा। २. निश्चिंत तथा मस्त रहनेवाला व्यक्ति। वि० १. मन-मौजी। २. निश्चित। ३. ला-परवाह। पुं० [देश] पीले रंग की चोंचवाला बगला। |
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मलगजा :
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वि० [हिं० मलना+मींजना] १. मला-दला हुआ। मरगजा। २. मैला-कुचैला। ३. किसी की तुलना में मंद और हीन। उदाहरण—सबै मरगजे मुँह करी, इहीं मरगजे चीर।—बिहारी। पुं० बेसन में लपेटकर तेल, या घी में तला हुआ बैगन का पतला टुकड़ा या फाँक। |
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मलंगा :
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पुं० १. दे० ‘मलंग’। २. दे० ‘तूतमलंगा’। वि० =मलंग। |
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मलगिरी :
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पुं० [हिं० मलयागिरि] एक प्रकार का हल्का कत्थई रंग। चन्दन की तरह का रंग। वि० उक्त प्रकार के रंग का। |
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मलंगी :
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पुं० [फा० मलंग] नमक बनाने का काम करनेवाला मजदूर। |
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मलगोबा :
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पुं० [तु० मल्गोबा] १. गीली चीजें। २. एक प्रकार की पकी हुई दाल जिसमें दही भी मिला होता है। ३. पीब। मवाद। ४. कूड़ा-करकट। ५. गंदगीपन। |
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मलघन :
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पुं० [सं० मलघ्न] एक प्रकार का कचनार, जो लता के रूप में होता है। |
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मलघ्ना :
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वि० [सं० मल√हन् (मारना)+टक, कुत्व] [स्त्री० मलघ्नी] मलनाशक। पुं० १. एक प्रकार का कचनार। २. सेमल का मुसला। |
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मलघ्नी :
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स्त्री० [सं० मलघ्न+ङीष्] नागदौना। |
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मलज :
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पुं० [सं० मल√जन् (उत्पन्न करना)+ड] पीब। मवाद। |
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मलझन :
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पुं० [देश] एक प्रकार की बेल जो बागों में लगाई जाती है। |
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मलट :
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पुं० [अं० मैलेट] लकड़ी का हथौड़ा। |
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मलता :
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वि० [हिं० मलना] [स्त्री० मलती] १. मला या घिसा हुआ। (सिक्का)। जैसे—मलता पैसा या रुपया। २. जो मले-दले जाने के कारण खराब हो गया हो। उदाहरण—मैला मलता इह संसारा।—कबीर। |
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मलद :
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पुं० [सं०] वाल्मीकीय रामायण के अनुसार एक प्रदेश जहाँ ताड़का रहती थी। |
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मलद्रावी (विन्) :
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वि० [मल√द्रु (संचलन करना)+णिच्+णिनि, वृद्धि, दीर्घ, नलोप] मल को द्रवित करने या गलानेवाला। पुं० जमालगोटा। |
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मलधारी (रिन्) :
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पुं० [सं० मल√धृ (धारण करना)+णिनि] एक प्रकार के जैन साधु जो शौच के उपरांत जल से गुदा नहीं धोते। |
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मलना :
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स० [सं० मर्दन] १. कोई पदार्थ किसी अन्य पदार्थ पर पोतने या लगाने के उद्देश्य से उस पर बार-बार कुछ जोर से रगड़ना। जैसे—(क) कपड़े पर साबुन मलना। (ख) शरीर पर तेल मलना। २. लेप करना। ३. इस प्रकार रगड़ते हुए दबाना कि चूर-चूर हो जाय। जैसे—सुरती मलना। ४. खुजलाने आदि के उद्देश्य से हाथ फेरना। जैसे—आँख मलना। ५. एक चीज को दूसरी चीज पर बार-बार आगे पीछे या इधर-उधर रगड़ते हुए ले जाना। जैसे—हाथ मलना (पश्चात्ताप आदि के समय) ६. उमेठना। मरोड़ना। जैसे—किसी का कान मलना। |
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मलनी :
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स्त्री० [हिं० मलना] आठ दस अंगुल लंबा दो अंगुल चौड़ा सुडौल और चिकना बाँस का टुकड़ा जिससे कुम्हार बरतनों की फालतू मिट्टी काटकर निकालते हैं। |
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मलपट :
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पुं० [सं० मल√हिं० पट=चित्र] १. चित्र-कला में ऐसा चित्र जिसमें केवल चेहरा दिखाया गया हो, शरीर के और अंग न दिखाये गये हों। २. दे०‘मल-पट्ट’। |
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मलपट्ट :
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पुं० [सं० ष० त०] १. किसी चीज को धूल से बचाने के लिए उस पर चढ़ाया जानेवाला कपड़ा कागज या ऐसी ही और कोई चीज। २. दे० ‘मल-पट्ट’। |
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मलपू :
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पुं० [सं० मल√पू (पवित्र करना)+क्विप्०] जंगली गूलर। कठूमर। |
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मलबा :
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पुं० [हिं० मल] १. गिरे हुए मकान की टूटी-फूटी ईंटें, मिटटी मसाला आदि जो फेंकवाया जाता है। २. भूगोल विज्ञान में चट्टानों की सतह पर से टूट-फूटकर गिरे हुए कंकड़ों का समूह। विखंड। राशि। (डेट्रटिस) ३. कूडा करकट। पुं० एक तरह का वृक्ष। |
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मलभुज् :
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पुं० [सं० मल√भुज् (खामा)+क्विप्, कुत्व] कौआ। वि० मलखानेवाला। |
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मलभेदिनी :
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स्त्री० [सं० मल√भिद् (पृथक करना)+णिनि+ङीष्] कुटकी। |
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मलमल :
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स्त्री० [सं० मलमल्लक] एक तरह का बढ़िया महीन सूती कपड़ा। |
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मलमला :
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पुं० [देश] फुलके का साग। वि० १. बहुत ही कोमल। २. उदास या खिन्न। पुं० दे० ‘मलोला’। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मलमलाना :
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स० [सं० मलना] [भाव० मलमलाहट] १. बार बार हलका स्पर्श करना। धीरे-धीरे मलना। २. (आँख या पलक) बार बार खोलना या बन्द करना। ३. बार बार गले लगाना या आलिंगन करना। ४. (मन में) पश्च्त्ताप करना। पछताना। |
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मलमलाहट :
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स्त्री० [हिं० मलमला] १. मलमले होने की अवस्था या भाव। २. उदासी। खिन्नता। ३. पश्च्ताप करना। पछताना। |
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मलमलाहट :
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स्त्री० [हिं० मलमला] १. मलमले होने की अवस्था या भाव। २. उदासी। खिन्नता। ३. पश्चाताप। पछतावा। |
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मलमा :
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पुं० १. =मलबा। २. मुलम्मा। |
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मलय :
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पुं० [सं०√मल्+कथन्] १. दक्षिणी भारत का एक प्रसिद्ध पर्वत जो पुराणों में सात कुलपर्वतों मे गिनाया गया है। २. उक्त पर्वत के आस पास का प्रदेश जो आज-कल मलाबार कहलता है। ३. उक्त देश का निवासी। ४. उक्त प्रदेश में होनेवाला सफेद चन्दन। ५. नन्दन कानन। ६. पुराणानुसार एक उप-द्वीप। ७. गरुड़ का एक पुत्र। पहाड का कोई पार्श्व प्रदेश। शैलाग्र। ९. छप्पय छन्द का एक भेद जिसके प्रत्येक चरण में २५ गुरु, १0२ लघु कुल १२७ वर्ण या १५२ मात्राएं अथवा २५ गुरु ९८ लघु कुल १२३ वर्ण या १४८ मात्राएं होती हैं। |
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मलय-गिरी :
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पुं० [सं० मध्य० स०] १. मलय नामक पर्वत जो दक्षिण में है। २. उक्त पर्वत पर होनेवाला चन्दन। ३. असम के कामरूप के आसपास का प्रदेश का पुराना नाम। ४. दार चीनी की तरह का एक वृक्ष। ५. भूरापन लिए लाल रंग। वि० भूरापन लिए हुए लाल रंग का। |
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मलय-द्रुम :
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पुं० [मध्य० स०] १. चन्दन। २. मदन या मैनी नामक का पेड़। |
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मलय-मारुत :
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पुं० [सं० मध्य० स०] १. संगीत में कर्नाट की पद्धति का एक राग। २. मलय समीर। |
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मलय-वासिनी :
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स्त्री० [सं० मलय√वस् (निवास करना)+णिनि०] दुर्गा। |
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मलय-समीर :
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पुं० [मध्य० स०] १. मलय पर्वत की ओर से आने वाली हवा जिसमें चन्दन की सुगंध मिली होती है। २. अच्छी और बढ़िया हवा। |
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मलयज :
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पुं० [सं० मलय√जन् (उत्पन्न करना)+ड०] १. चंदन। २. राहु नामक ग्रह। वि० मलय पर्वत में उत्पन्न होनेवाला। |
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मलया :
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स्त्री० [सं० मलय+टाप्] १. त्रिवृत्ता। निसोथ। २. सोमराजी। बकुची। |
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मलयागिरि :
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पुं० =मलयगिरि। |
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मलयाचल :
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पुं० [मलय-अचल, कर्म० स०] मलय पर्वत। |
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मलयानिल :
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पुं० [मलिन-अनिल, कर्म० स०] १. मलय पर्वत की ओर से आनेवाली वायु। दक्षिण की वायु। ३. शीतल और सुगंधित वायु। ३. वसंत ऋतु की वायु। |
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मलयालम :
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पुं० [ता मलय=पर्वत+अलम=उपत्यका] आधुनिक केरल राज्य का एक प्रदेश। स्त्री० उक्त प्रदेश की भाषा। |
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मलयालि :
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पुं० [ता० मलयालम] मलयालम में बसनेवाली एक पहाड़ी जाति का नाम। |
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मलयाली :
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वि० [ता० मलयालम] १. मलाबार देश का। मलाबार देश सम्बन्धी। २. मलाबार में उत्पन्न। पुं० मलाबार का निवासी। स्त्री० मलाबार की भाषा। |
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मलयुग :
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दे० [कर्म० स० या ष० त०] कलियुग। |
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मलयेशिया :
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पुं० [मलय+एशिया] दक्षिण-पूर्वी एशिया का एक नवीन संघ राज्य जिसके अन्तर्गत मलाया, सारवाक बोर्नियों और सिंगापुर है। इसकी स्थापना १६ दिसबर, १९६३ को हुई थी। |
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मलयोद्भव :
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पुं० [सं० मलय-उदभव, ब० स०] चंदन। |
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मलराना :
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स० [हिं० मल्हारना] चुमकारना। पुचकारना मल्हराना। उदाहरण—कोऊ दुलरावै मलरावै हलरावै कोउ चुटकी बजावै कोऊ देति करतारें हैं।—पद्याकर। |
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मलवा :
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वि० [?] स्वाद रहित और अरुचि उत्पन्न करनेवाला। |
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मलवाना :
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सं० [हिं० मलना का प्रे०] [भाव० मलवाई] मलने का काम दूसरे से कराना। मलने में किसी को प्रवृत्त करना। |
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मलषंकी (किन्) :
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वि० [सं० मलपंक, ष० त०+इनि] १. मलिन। मैला। २. कीचड़ आदि से बना हुआ। |
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मलसा :
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पुं० [स० मल्लक] घी रखने का एक तरह का बड़ा कुप्पा। |
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मलहंता (हंतृ) :
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पुं० [ष० त०] सेमल का मूसल। |
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मलहम :
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पुं० [अं० मर्हम] घाव पर लगाने के लिए औषध का लेप। मरहम। |
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मलहर :
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पुं० [स० ष० त०] जमालगोटा। |
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मलहारक :
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पुं० [स० ष० त०] भंगी। मेहरतर। |
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मला :
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स्त्री० [स० मल+अच्+टाप्] १. चमड़ा। २. चमड़े से बना हुआ पदार्थ। २. काँसा नामक धातु। ३. भू-आंवला। ४. बिच्छू का डंक। ५. आँवा हल्दी। |
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मलाई :
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स्त्री० [हिं० मलना] १. मलने की क्रिया या भवा। २. मलने का पारिश्रमिक या मजदूरी। स्त्री० [देश] १. वह गाढ़ा चिकना अंश जो दूध उबालने पर उसके ऊपर जमने और तैरने लगता है० दूध की साढ़ी। क्रि० प्र०—आना।—जमना। पड़ना। २. किसी चीज का उत्तम सार भाग। पुं० दूध की मलाई या साढ़ी की तरह का सफेद रंग जिसमें कुछ हलकी बादामीयत भी रहती है। |
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मलाकर्शी (र्षिन्) :
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पुं० [स०मल+आ√कृष् (घसीटना)+णिनि, दीर्घ, नलोप] [स्त्री० मलाकर्षिणी] भंगी। मेहतर। |
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मलाका :
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स्त्री० [स० अमल√अक् (जाना)+अच्+टाप्] १. कामिनी। स्त्री। २. रंडी। वेश्या। ३. दूती। ४. मादा हाथी। हथिनी। |
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मलाट :
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पुं० [स० मलपट्ट] एक प्रकार का मोटा तथा मजबूत कागज जिसमें छापे, लिखाई आदि के काम आनेवाले कागजों के दस्ते या रीम लपेटे जाते हैं। |
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मलान :
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वि० =म्यान। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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मलानि :
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स्त्री०=म्लानि। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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मलापह :
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वि० [स० मल+अप्√हन् (मारना)+ड] [स्त्री० मलापहा] १. मलनाशक। २. पापनाशक। |
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मलापोह :
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पुं० [सं०] मल या पाखाना कहीं से हटाकर दूर फेंकने का काम। |
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मलाबार :
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पुं० [सं० मलय+वार=किनारा] आधुनिक केरल राज्य का एक प्रदेश। |
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मलाबारी :
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वि० [हिं० मलाबार] मलाबार-सम्बन्धी। पुं० मलाबार का निवासी। |
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मलामत :
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स्त्री० [अ०] १. किसी के कोई बुरा कार्य करने पर की जानेवाली उसकी निन्दा या भर्त्सना। पद—लानत-मलामत। २. खिड़की। डाँट। ३. मल। गंदगी। क्रि० प्र०—निकलना। |
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मलामती :
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वि० [फा०] १. जिसकी मलामत की गयी हो। २. जो मलामत किये जाने के योग्य हो। दुतकारे या फटकारे जाने का पात्र। |
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मलायतन :
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वि० =मलिन। |
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मलायन :
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वि=मलिन। |
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मलाया :
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पुं० [सं० मलय] बर्मा के दक्षिण में स्थित एक द्वीप। |
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मलार :
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पुं० [सं० मल्लार] संगीत शास्त्रानुसार एक प्रसिद्ध राग जो वर्षा ऋतु में सायंकाल अथवा रात के समय गाया जाता है। मुहावरा—मलार गाना=बहुत निश्चित और प्रसन्न होकर कुछ कहना, विशेषतः गाना। जैसे—आप दिन भर बैठे मलार गाया करते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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मलारि :
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पुं० [स० मलअरि, ष० त०] क्षार। |
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मलारी :
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स्त्री० [सं० मल्लारी] बसंत राग की एक रागिनी (संगीत)। |
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मलाल :
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पुं० [अ०] १. मन में होनेवाला दुःख। रंज। मुहावरा—(दिल का) मलाल निकालना=कुछ कह-सुनकर अथवा बक-झककर मन में दबा हुआ दुःख कम करना। २. पश्चात्ताप। ३. उदासीनता। |
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मलावरोध :
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पुं० [सं० मल-अवरोध, ष० त०] १. मल का रुकना। २. पेट से मल का ठीक तरह से नहीं, बल्कि बहुत रुक-रुककर निकलने का रोग। कब्जियत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मलावह :
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पुं० [सं० मल-आ√वह (ढोना)+अच्] कुछ विशिष्ट प्रकार के पापों का समाहार। (मनु०) |
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समानार्थी शब्द-
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मलाशय :
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पुं० [सं० मल-आशय, ष० त०] शरीर में अँतड़ियों के नीचे का वह भाग जिसमें शौच के समय बाहर निकलने से पहले मल या गुह एकत्र होता है। (रेक्टम्)। |
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मलाह :
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पुं० =मल्लाह। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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मलाहत :
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स्त्री० [अ०] १. सलोनापन। लावण्य। सौंदर्य। २. कोमलता। |
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मलिक :
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पुं० [अ० स्त्री० मलिका] १. राजा। अधीश्वर। २. मुसलमानों की एक जाति। ३. पंजाब में रहनेवाली हिन्दुओं की एक जाति। |
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मलिका :
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स्त्री० [अ० मलिकः] १. मलका। महारानी। २. अधीश्वरी। स्त्री०=मल्लिका। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मलिकान :
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पुं० [हिं० मालिक] १. नौकर की दृष्टि से उसके मालिक का घर। २. मालिक के घर के लोग। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मलिक्ष :
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पुं० =म्लेच्छ। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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मलिंग :
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पुं० [सं० मलिंद] भौंरा। |
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मलिच्छ :
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पुं० =म्लेच्छ। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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मलित :
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पुं० [देश] सुनारों की एक छोटी कूँची। |
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मलित्व :
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पुं० ० [सं० मलिन+त्व०] मलिनता। |
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मलिन :
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वि० [सं०√मल+इनच्] [स्त्री० मलिना, मलिनी] [भाव० मलिनता] १. मल से युक्त। २. मैला-कुचैला। गंदा। ३. खराब। बुरा। ४. धुएँ या मिट्टी के रंग का। मट-मैला। ५. दुष्कर्म या पाप करनेवाला। पापी। ६. (ज्योति या प्रकाश) जिसमें उज्जवलता कम हो। धीमा। मंद। मद्धिम। ७. उदास। म्लान। पुं० १. एक प्रकार के साधु जो मैले-कुचैले कपड़े पहनते हैं। पाशुपत। २. तक्र। मठा। ३. सोहागा। ४. अगर। चन्दन। ५. गौ का ताजा दूध। ६. हंस। ७. उपकरणों आदि का दस्ता। मूठ। हत्या। ८. दोष। ९. पाप। १॰. रत्नों की चमक और रंग का फीका और धुँधला होना जो उनका दोष माना जाता है। |
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मलिन-सुख :
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पुं० [सं० ब० स०] १. अग्नि। २. बैल की दुम या पूँछ। ३. प्रेत। वि० १. विवाह मुख अर्थात् चेहरा मलिन या उदास हो। २. क्रूर। निर्दय। ३. खल। दुष्ट। |
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मलिनता :
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स्त्री० [सं० मलिन्+तल्+टाप्] मलिन होने की अवस्था या भाव। |
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मलिना :
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स्त्री० [सं० मलिन+टाप्] १. रजस्वला स्त्री। २. लाल शक्कर। ३. छोटी भटकटैया। |
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मलिनाई :
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स्त्री०=मलिनता। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मलिनाना :
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अ० [हिं० मलिन] १. मलिन या मैला होना। २. म्लान या उदास होना। स० १. मैला या मलिन होना। २. म्लान या उदास करना। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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मलिनाबुं :
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पुं० [सं० मलिन-अंबु, कर्म० स०] स्याही। |
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मलिनावास :
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पुं० [मलिन-आवास, ष० त०] मजदूरों या गरीबों की गंदी बस्तियाँ। (स्लम)। |
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मलिनिया :
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स्त्री०=मालिन (माली की स्त्री)। |
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मलिनी :
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स्त्री० [सं० मल+इनि+ङीष्] रजस्वला स्त्री। |
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मलिनीकरण :
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पुं० [सं० मलिन+च्वि, इत्व, दीर्घ√कृ (करना)+ल्युट-अन] १. मलिन करने की क्रिया या भाव। २. पापों की एक कोटि का नाम। मलावह। |
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मलिम्लुच :
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पुं० [सं० मलिन√म्लुच् (प्राप्त होना)+क] १. मलमास। २. अग्नि। आग। ३. चोर। ४. वायु। हवा। ५. वह जो पंचयज्ञ न करता हो। |
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मलिया :
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स्त्री० [सं० मल्लिक या मल्लका हिं० मरिया] १. तंग मुँह का मिट्टी का एक प्रकार का बरतन जिसमें घी, दूध, दही आदि पदार्थ रखे जाते हैं। २. गोटी के खेल में वह चौकोर या तिकोना चक्र जो गोटियाँ रखने के लिए बनाया जाता है। पद—मलिया मेट (देखें)। ३. घेरा। चक्कर। मुहावरा—मलिया बाँधना=रस्सी को मोड़कर बाँधना (लश०)। |
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मलिया-मेट :
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पुं० [हिं० मलिया+मिटाना] उसी तरह का किया जानेवाला लेप या विनाश जैसा कि लड़के मलिया बनाने के बाद उसे मिटाकर करते हैं। पूरी तरह से किया जानेवाला नाश। सर्वनाश। |
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मलिष्ठ :
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वि० [सं० मल+इष्ठन्] अत्यन्त मलिन। |
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मलिष्ठा :
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स्त्री० [सं० मलिष्ठ+टाप्] रजस्वला स्त्री। |
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मलीदा :
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वि० [फा० मालीदः] मला हुआ मर्दित। पुं० १. रोटी या पकवान को चूर-चूर करके और अच्छी तरह मल कर बनाया जानेवाला एक प्रकार का खाद्य पदार्थ जो चूरमे की तरह होता है। २. गुड़ का मला हुआ आटा जो प्रायः हाथियों को खिलाया जाता है। ३. एक प्रकार का ऊनी वस्त्र जो बहुत मुलायम और गरम होता है। |
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मलीन :
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वि० [सं० मलिन] १. मैला। २. खिन्न या दुःखी होने के कारण उदास। |
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मलीनता :
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स्त्री०=मलिनता। |
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मलीह :
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वि० [अ०] १. नमकीन। २. सलोना। |
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मलू :
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स्त्री० [सं० मालु] १. मलघन नामक कचनार। २. उक्त की छाल जो बहुत कड़ी होती है और ऊन रँगने के काम आती है। |
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मलूक :
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पुं० [?] १. एक प्रकार की कीड़ा। २. एक प्रकार का पक्षी। ३. बौद्ध शास्त्रों में एक बहुत बड़ी संख्या की संज्ञा। ४. दे० ‘अमलूक’। वि० [?] मनोहर। सुन्दर। |
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मलूल :
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वि० [अ०] १. खिन्न। दुःखी। २. उदास। |
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मलूहा :
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पुं० [?] संगीत में, एक प्रकार का राग। |
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मलूहा केदार :
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पुं० [मलूहा+सं० केदार] संगीत में बिलावल ठाठ का एक राग। |
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मलेक्ष :
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पुं० =म्लेच्छ। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मलेच्छ :
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पुं० म्लेच्छ। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मलेपंज :
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पुं० [देश] बूढ़ा घोड़ा। |
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मलेरिया :
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पुं० [अं०] एक तरह का ज्वर जो मच्छरों के काटने से उत्पन्न होता है। जूड़ी बुखार। |
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मलेशिया :
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पुं० [अ० मिलिशिया] १. एक प्रकार का कपड़ा जो विगत महायुद्ध में प्रचलित हुआ था। २. दे० ‘मलयेशिया’। |
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मलै :
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पुं० =मलय। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मलैयन :
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वि० [अ० मुलय्यिन] १. मुलायम करने या बनानेवाली। २. रेचक। पुं० १. रेचक ओषधि। २. पेट से निकलनेवाली वह हवा जिसके फलस्वरूप मल पेट से निकलता है। |
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मलोत्सर्ग :
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पुं० [सं० मल-उत्सर्ग, ष० त०] मलत्याग। हगना। |
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मलोलना :
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अ० [हिं० मलोला] मन में किसी काम या बात के लिए दुःखी होना या पछताना। उदाहरण—जानि पै गो टेक परे कौन धौं मलौलिहै।—घनानन्द। |
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मलोला :
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पुं० [अ० मलाल या मलूल] १. मानसिक व्यथा। दुःख। रंज। मुहावरा—मलोला या मलोले आना=रह-रहकर दुःख या पश्चात्ताप होना। मलोले खाना=मन ही मन कष्ट सहना। (मन) के मलोले निकालना=कुछ कह-सुनकर मन का कष्ट या व्यथा कम या दूर करना। २. मन में दबी हुई ऐसी कामना जो रह-रहकर विकल करती हो। अरमान। क्रि० प्र०—आना।—उठना। निकलना।—निकालना। |
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मल्कुल-मौत :
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पुं० [अ०] वह देवदूत जो जीवों के प्राण लेता है। |
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मल्ल :
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पुं० [सं० मल्ल+अच्] १. एक प्राचीन प्रसिद्ध जाति। विशेष—इस जाति के लोग द्वन्द्व युद्ध में बड़े निपुण होते थे, इसीलिए द्वन्द्वयुद्ध का नाम मल्लयुद्ध और कुश्ती लड़नेवालों का नाम मल्ल पड़ा है। २. पहलवान। ३. एक संकर जाति। ४. एक प्राचीन जनपद। |
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मल्ल-क्रीड़ा :
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स्त्री० [सं० ष० त०] मल्लयुद्ध। कुश्ती। |
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मल्ल-तरु :
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पुं० [सं० मध्य० स०] चिरौंजी। |
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मल्ल-ताल :
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पुं० [सं० मध्य० स०] संगीत में एक प्रकार का ताल जिसमें पहले चार लघु और तब दो द्रुत मात्राएँ होती है। |
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मल्ल-नाग :
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पुं० [सं० उपमि० स०] १. ऐरावत। २. कामसूत्र के रचयिता वास्त्यायन का एक नाम। |
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मल्ल-भूमि :
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स्त्री० [सं० ष० त०] १. मलद नामक देश। २. कुश्ती लड़ने का स्थान। अखाड़ा। |
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मल्ल-युद्ध :
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मल्लों का युद्ध। कुश्ती। |
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मल्ल-विद्या :
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स्त्री० [सं० ष० त०] कुश्ती के दाँव-पेंच। |
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मल्ल-शाला :
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स्त्री० [सं० ष० त०] मल्लभूमि। अखाड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
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मल्लक :
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पुं० [सं० मल्ल+कन्] १. दाँत। २. दीअट। ३. दीमक। दीआ। पात्र। बरतन। ५. नारियल की खोपड़ी का बना हुआ प्याला। |
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मल्लखंभ :
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पुं० =मालखंभ। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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मल्लज :
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पुं० [सं० मल्ल√जन्+ड] काली मिर्च। |
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समानार्थी शब्द-
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मल्ला :
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स्त्री० [सं० मल्ल+टाप्] १. स्त्री। २. मल्लिका। चमेली। २. पत्र-वल्ली नाम की लता। पुं० [देश] १. करघे में के हत्थे का ऊपरी भाग जिसे पकड़कर हत्था चलाया जाता है। २. एक प्रकार का लाल रंग जो कपड़े को लाल या गुलाबी रंग के माठ में बचे हुए रंग में डुबाने से आता है। |
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मल्लार :
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पुं० [सं० मल्ल√ऋ (प्राप्त होना)+अण्] वर्षा ऋतु में गाया जानेवाला एक प्रसिद्ध राग। मलार। |
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मल्लारि :
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पुं० [सं० मल्लअरि, ष० त०] १. कृष्ण। २. शिव। स्त्री०=मल्लारी। |
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मल्लारी :
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स्त्री० [सं० मल्लार+ङीष्] वर्षाऋतु में सवेरे के समय गायी जानेवाली एक रागिनी। |
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मल्लाह :
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पुं० [अ०] [स्त्री० मल्लाहिन, भाव, मल्लाही] वह जो नदी में नाव खेकर अपनी जीविका अर्जित करता हो। केवट। माँझी। |
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समानार्थी शब्द-
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मल्लाही :
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वि० [फा०] मल्लाह सम्बन्धी। मल्लाह का। स्त्री०१. मल्लाह होने की अवस्था या भाव। २. मल्लाह का कार्य, पेशा या पद। ३. तैरने के समय दोनों हाथ चलाने का एक विशेष ढंग। ४. उक्त ढंग से की जानेवाली तैराई। ५. मल्लाहों की तरह की गंदी और भद्दी गालियाँ। उदाहरण—उन्होंने घूर-घूर कर लड़कियों को मल्लाही सुनाना शुरू किया।—अजीम बेग चुगताई। क्रि० प्र०—सुनाना। |
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समानार्थी शब्द-
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मल्लि :
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पुं० [सं०√मल्ल+इन] जैनों के एक जिन। स्त्री०=मल्लिका। |
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मल्लि-गंधि :
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पुं० [सं० ब० स, इत्व] अगर। |
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समानार्थी शब्द-
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मल्लि-नाथ :
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पुं० [सं०] १. जैनियों के उन्नीसवें तीर्थकार का नाम। २. ई० १४ वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध टीकाकार। रघुवंश, कुमारसंभव, मेघदूत, नैषधचरित आदि अनेक ग्रंथों पर इन्होंने टीकाएँ लिखी थीं। |
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समानार्थी शब्द-
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मल्लिक :
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पुं० [सं० मल्लि+कन्] १. एक प्रकार का हंस जिसकी चोंच तथा टाँगे भूरे रंग की होती है। २. जुलाहों की ढरकी। ३. माघ मास। पुं० =मलिक। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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मल्लिका :
|
स्त्री० [सं० मल्लिक+टाप्] १. चमेली। २. एक प्रकार का बेला। ३. आठ अक्षरों का एक वर्णिक छन्द जिसके प्रत्येक चरण में क्रमशः एक-एक रगण, जगण गुरु और लघु होता है। ४. सुमुखी वृत्त का एक नाम। |
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समानार्थी शब्द-
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मल्लिकाक्ष :
|
पुं० [सं० मल्लिका-अक्षि, ब० स० षच्] १. एक प्रकार का घोड़ा जिसकी आँख पर सफेद धब्बे होते हैं। २. उक्त प्रकार का सफेद धब्बा। ३. एक प्रकार का हंस। मल्लिक। |
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समानार्थी शब्द-
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मल्लिकार्जुन :
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पुं० [सं०] एक शिवलिंग जो श्रीशैल पर प्रतिष्ठित है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मल्ली :
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स्त्री० [सं०√मल्ल+ङीष्] १. मल्लिका। २. सुन्दरी नामक वृत्त का दूसरा नाम। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मल्लु :
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पुं० [सं०√मल्ल (धारण करना)+उ० बा०] १. भालू। २. बन्दर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मल्हनी :
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स्त्री० [हिं० देश] एक तरह की नाव। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मल्हपंत :
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स्त्री० [हिं० मल्हपना] इठलाते हुए और नखरे से धीमे-धीमे चलने की क्रिया या भाव। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मल्हपना :
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अ० [?] कुछ कहते हुए और इठलाते हुए चलना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मल्हरना :
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अ०=मल्हाना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मल्हा :
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स्त्री० [देश] वृक्षों पर चढनेवाली एक बेल जो उन्हें बहुत अधिक हानि पहुँचाती हैं। मौला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मल्हाना :
|
स०=मल्हारना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मल्हार :
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पुं० [हिं० मल्हारना] १. मल्हारने की क्रिया या भाव। २. लाड़-प्यार। दुलार। पुं० =मलार। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मल्हारना :
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स० [सं० मल्ह=गोस्तन] [भाव० मल्हार] १. दुलार करते हुए किसी को, विशेषतः बच्चों को, कुछ समझाना या प्रेरित करना। २. चुमकारना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मल्हू :
|
वि० =मल्लू। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |