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मँझा  : वि० [सं० मध्य; पा० मंझ] १. जो दो के बीच में हो। बीचवाला। २. दे० ‘मँझला’। पुं० [सं० मध्य०; पा० मज्झ] १. सूत कातने के चरखे में वह मध्य का अवयव जिसके ऊपर माल रहती है। मुँडला। २. अटेरन के बीच की लकड़ी। स्त्री० [सं० मध्य०; पा० मज्झ] वह भूमि जो गोयंड और पालों के बीच में पड़ती हो। पुं० [सं० मंच] १. पलंग। खाट। (पंजाब) २. चौकी। ३. मचिया। मुहा०—मंझा बैठना=एक ही आसन से या स्थिति में अच्छी तरह जम कर बैठना। पुं० [हिं० माँजना] वह पदार्थ जिससे रस्सी या पलंग की डोर माँजते हैं। माँझा। मुहा०—माँझा देना=डोरी, रस्सी आदि पर मंझा या माँझा लगाना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
मंझाना  : स० [हिं० माँझ=बीच] बीच में डालना, रखना या लाना। अ० बीच में पड़ना या होना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
मँझार  : स्त्री०, अव्य०=मँझधार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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