शब्द का अर्थ
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प्राची :
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स्त्री० [सं० प्राच्+ङीष्] १. पूर्व दिशा। पूरब। २. अपने अथवा देवता के सामने की दिशा। ३. जल-आँवला। |
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प्राची-पति :
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पुं० [सं० ष० त०] इन्द्र। |
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प्राचीन :
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वि० [सं० प्राच्+ख—ईन] [भाव० प्राचीनता] १. पूर्व दिशा में होनेवाला अथवा उससे संबंध रखनेवाला। २. जो पूर्व अर्थात् पहलेवाले समय में बना, रहा या हुआ हो। बहुत दिनों का। (एशेन्ट) ३. पुराना। पुं०=प्राचीर। |
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प्राचीन-पनस :
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पुं० [सं० कर्म० स०] बेल (पेड़)। |
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प्राचीन-योग :
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पुं० [सं० ब० स०] एक गोत्र-प्रवर्तक ऋषि। |
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प्राचीनता :
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स्त्री० [सं० प्राचीन+तल्+टाप्] प्राचीन होने की अवस्था, गुण या भाव। पुरानापन। |
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प्राचीनत्व :
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पुं०=प्राचीनता। |
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प्राचीनबर्हि(स्) :
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पुं० [सं०] इंद्र। |
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प्राचीना :
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स्त्री० [सं० प्राचीन+टाप्] १. पाठा। २. रास्ता। ३. दे० ‘नित्यप्रिया’ (गोपियाँ)। वि० स्त्री० प्राचीन का स्त्री० रूप। |
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प्राचीर :
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पुं० [सं० प्र+आ√चि+क्रन्, दीर्घ] ऐसी ऊँची तथा पक्की दीवार जो किले, नगर आदि के रक्षार्थ उसको चारों ओर बनाई गई हो। चहारदीवारी। परकोटा। |
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