शब्द का अर्थ
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प्रयत :
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वि० [सं० प्र√यम् (नियंत्रण)+क्त] १. पवित्र। २. संयत। ३. दीन। नम्र। ४. प्रयत्नशील। |
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समानार्थी शब्द-
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प्रयतात्मा (त्मन्) :
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वि० [सं० प्रयत-आत्मन्, ब० स०] जितेंद्रिय। संयमी। |
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प्रयति :
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स्त्री० [सं०√सं प्र√यम्+क्तिन्] संयम। |
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प्रयत्न :
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पुं० [सं० प्र√यत्+नङ्] १. वह शारीरिक या मानसिक चेष्टा जो कोई उदेश्य या कार्य पूरा करने के लिए की जाती है। २. किसी कठिन कार्य की सिद्धि अथवा किसी चीज की प्राप्ति के लिए आदि में अंत तक अध्यवसायपूर्वक किये जानेवाले सभी उद्योग, कृत्य या चेष्टाएँ। कोशिश। चेष्टा। प्रयास। (एफर्ट) ३. न्याय दर्शन के अनुसार जीव या प्राणी के छः गणों में से एक जो उसकी सक्रिय चेष्टा का सूचक होता है। यह प्रकृति, निवृत्ति और जीवन-कारण या जीवन योनि के भेद से तीन प्रकार का माना गया है। ४. क्रियाशीलता। सक्रियता। ५. सतर्कता। सावधानी। ६. भाषाविज्ञान और व्याकरण में, गले और मुख के अन्दर की वह क्रिया या चेष्टा जो ध्वनियों के उच्चारण के लिए होती है और जिसमें जीभ आस-पास के किसी भीतरी अवयव को छूकर तथा श्वास को रोक या विकृत करके ध्वनियों का उच्चारण कराती है। इसके आभ्यंतर और बाह्य ये दो भेद कहे गये हैं। |
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प्रयत्न-शील :
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वि० [सं० ब० स०]=प्रयत्नवान्। |
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प्रयत्नवान् (वत्) :
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वि० [सं० प्रयत्न+मतुप्, वत्व] [स्त्री० प्रयत्नवती] किसी प्रकार के प्रयत्न या उद्योग में लगा हुआ। |
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