शब्द का अर्थ
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प्रता :
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स्त्री० [सं० प्रतति] छोटी लता। उदा०—लता प्रता से मंडित कुसुमित पर्ण-कुटी में।—पन्त। |
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प्रतान :
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पुं० [सं० प्र√तन् (फैलना)+घञ्] १. पेड़-पौधे का नया कल्ला। २. झाड़ या लता विशेषतः ऐसा झाड़ या लता जो जमीन पर फैलती हो। ३. लता तंतु। रेशा। ४. विस्तार। फैलाव। ५. एक रोग जिसमें प्रायः मूर्च्छा आती है। वि० १. फैला हुआ। विस्तृत। २. रेशेदार। |
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प्रतानिनी :
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स्त्री० [सं० प्रतानिन्+ङीप्] शाखाओं-प्रशाखाओं की सहायता से दूर तक फैलनेवाली लता। |
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प्रतानी (निन्) :
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वि० [सं० प्रतान+इनि] १. झाड़, लता आदि जो दूर तक फैली हुई हो। २. फैलनेवाला। ३. रेशेदार। |
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प्रताप :
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पुं० [सं० प्र√तप्+घञ्] १. बहुत अधिक गरमी या ताप। २. ऐसा ताप जिसमें खूब चमक हो। तेज़। किसी बहुत बड़े आदमी की कर्मठता, योग्यता, नाम, यश आदि पर आश्रित ऐसा तेज, बल या महत्त्व जिसके प्रभाव से अनेक बड़े-बड़े काम अनायास या सहज में हो जाते हैं। इकबाल। जैसे—आप वहाँ नहीं गये तो क्या हुआ, आपके प्रताप से ही वहाँ का सारा काम हो गया। पद—पुण्य प्रताप=सत्कर्मों और तेज का प्रभाव। जैसे—बड़ों के पुण्य-प्रताप से सब काम बहुत अच्छा तरह हो गये। ४. पौरुष। मरदानगी। ५. बहादुरी। वीरता। ६. साहस। हिम्मत। ७. प्राचीन भारत में वह छत्र जो युवराज के सिर पर लगाया जाता था। ८. संगीत में कर्नाटकी पद्धति का एक राग। ९. आक य मदार का पौधा। |
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प्रताप-सारंग :
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पुं० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति का एक राग। |
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प्रताप-हंसी :
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स्त्री० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति का एक राग। |
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प्रतापन :
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पुं० [सं० प्र√तप+णिच्+ल्युट्—अन] १. खूब गरम करना। तपाना। २. ताप अर्थात् कष्ट या पीड़ा पहुँचाना। ३. एक नरक क नाम। ४. कुंभी-पाक नरक। ५. विष्णु। वि० १. ताप पहुँचानेवाला। २. कष्ट या पीड़ा देनेवाला। |
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प्रतापवान् (वत्) :
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वि० [सं० प्रताप+मतुप्] [स्त्री० प्रतापवती] (व्यक्ति) जिसका यथेष्ट प्रताप हो। प्रतापशाली। इकबालमंद। |
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प्रतापी (पिन्) :
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वि० [सं० प्रताप+इनि] १. प्रताप-संबंधी। २. जिसका चारों ओर प्रताप फैला हो। ३. जिसके प्रताप से सब काम होते हों। प्रतापशाली। ४. दुःख देने या सतानेवाला। |
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प्रतारक :
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वि० [सं० प्र√तृ (तैरना)+ण्वुल्—अक] १. प्रतारण करने अर्थात् ठगनेवाला। २. चालाक। धूर्त। ३. धोखेबाज। |
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प्रतारण :
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पुं० [सं० प्र√तृ+णिच्+ल्युट्—अन] १. धोखा देना या ठगना। २. धूर्तता। धोखेबाजी। |
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प्रतारणा :
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स्त्री० [सं० प्र√तृ+णिच्+युच्—अन,+टाप्] धोखा देने या ठगने की कोई क्रिया, ढंग या युक्ति। |
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प्रतारित :
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भू० कृ० [सं० प्र√तृ+णिच्+क्त] (व्यक्ति) जिसे धोखा दिया या ठगा गया हो। छला हुआ। |
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