शब्द का अर्थ
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पौर :
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वि० [सं० पुर+अण्] १. पुर या नगर-संबंधी। पुर का। २. पुर में उत्पन्न होनेवाला। ३. पूर्वकाल या पूर्व दिशा में उत्पन्न। ४. सदा पेट भरने की चिंता में रहनेवाला। पेटू। पुं० [सं०] १. नगर-निवासी। नागरिक। २. पुरु राजा का पुत्र। ३. रोहिष या रूसा नाम की घास। ४. नखी नामक गन्ध-द्रव्य। पुं०=प्रहर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स्त्री० [हिं० पौरि] १. ड्योढ़ी। २. दरवाजा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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पौर-जन :
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पुं० [कर्म० स०] नागरिक। |
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पौर-जानपद :
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पुं० [कर्म० स०] प्राचीन भारतीय राज्य तंत्र में पुर या नगर और जनपद या बाकी देश के प्रतिनिधियों की सभाओं का सम्मिलित रूप। |
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पौर-मुख्य :
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पुं० [स० त०] नगर का प्रमुख या प्रधान। |
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पौर-लेखक :
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पुं० [ष० त०] प्राचीन भारतीय राजतंत्र में वह अधिकारी जिसके पास पुर या नगर के लेख्यों या दस्तावेजों की नकल और विवरण रहता था। |
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पौर-वृद्ध :
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पुं० [स० त०] प्रमुख और वयोवृद्ध तथा प्रतिष्ठित नागरिक। |
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पौर-सख्य :
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पुं० [स०त०] एक ही पुर या नगर में रहनेवाले लोगों में उत्पन्न होनेवाली मित्रता या सुहृदता। |
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पौरक :
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पुं० [सं० पौर√कै+क] १. पुर या नगर के समीप का बाग। २. घर के आस-पास का बगीचा। |
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पौरंदर :
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पुं० [सं० पुरन्दर+अण्] ज्येष्ठा नक्षत्र। वि० पुरन्दर-संबंधी। पुरन्दर का। |
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पौरंध्र :
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वि० [सं० पुरन्ध्री+अण्] स्त्री० संबंधी। |
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पौरव :
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वि० [सं० पुरु+अण्] [स्त्री० पौरवी] १. पुरु-संबंधी। पुरु का। २. पुरु के वंश का। पुरु से उत्पन्न। पुं० १. पुरु का वंशज या संतान। २. महाभारत के अनुसार उत्तर पूर्व दिशा का एक देश। ३. उक्त देश का निवासी। |
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पौरवी :
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स्त्री० [सं० पौरव+ङीष्] १. युधिष्ठिर की एक स्त्री का नाम। २. वासुदेव की एक स्त्री ३. संगीत में, एक प्रकार की मूर्च्छना, इसका सरगम इस प्रकार है—ध, नि, स, रे, ग, म, प। प, ध, नि, स, रे, ग, म, प, ध, नि, स, रे। |
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पौरस्त्य :
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वि० [सं० पुरस्+त्यक्] १. पूर्वी दिशा या पूर्वी देशों से संबंध रखने या उनमें होनेवाला। २. पहले का पुराना। |
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पौरस्त्री :
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स्त्री० [सं० कर्म० स०] १. पुर या नगर में रहनेवाली स्त्री। ‘ग्राम्या’ का विपर्याय। २. पढी़-लिखी या सुशील स्त्री। ३. अंतःपुर में रहनेवाली स्त्री। |
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पौरा :
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पुं० [हिं० पहरा या पैर ?] शुभाशुभ फलों के विचार से, घर में परिवार के सदस्य के रूप में किसी नये व्यक्ति का होनेवाला आगमन। जैसे—(क) बहू का पौरा अच्छा है, जब से आई है, तब से घर में बरकत दिखाई देने लगी है। (ख) इस नये शिष्य का पौरा अनर्थ-कारक सिद्ध हुआ। |
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पौराणिक :
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वि० [सं० पुराण+ठक्—इक] [स्त्री० पौराणिकी] १. पुराण संबंधी। पुराण या पुराणों का। २. जिसका उल्लेख पुराणों में हुआ हो। जैसे—पौराणिक आख्यान या कथा। ३. प्राचीन काल का। पुराना। पुं० १. वह ब्राह्मण जो पुराणों का पंडित हो, और पुराणों की कथाएँ लोगों को सुनाता हो। २. अठारह की संख्या का सूचक शब्द। |
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पौरि :
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स्त्री०=पौरी। |
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पौरिक :
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पुं० [सं० पुर+ठक्—इक] १. पुर में रहनेवाला व्यक्ति। २. पुर का प्रधान शासनिक अधिकारी। ३. दक्षिण भारत का एक प्राचीन देश। वि० पुर-संबंधी। पुर का। |
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पौरिया :
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पुं० [हिं० पौरी] द्वारपाल। ड्योढ़ीदार। दरबान। |
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पौरी :
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स्त्री० [सं० प्रतोली; प्रा० पओली] घर के मुख्य द्वार के अन्दर का वह भाग जिसमें से होकर घर के कमरों, आँगन आदि में जाया जाता है। ड्योढ़ी। |
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पौरुकुत्स :
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पुं० [सं० पुरुकुत्स+अण्] पुरुकुस के गोत्र में उत्पन्न व्यक्ति। |
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पौरुष :
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वि० [सं० पुरुष+अण्] १. पुरुष या मनुष्य से संबंध रखनेवाला। पुरुष का। पुरुष-संबंधी। २. पुरुष की शक्ति विशेषतः शारीरिक शक्ति से संबंध रखनेवाला। पुं० १. पुरुष होने की अवस्था या भाव। २. पुरुषों में सामान्य रुप से होनेवाला गुण तथा विशेषताएँ। जैसे—बल, शौर्य, साहस आदि। ३. पुरुष का कर्म। पुरुषार्थ। ४. पुरुष की लिंगेंद्रिय। ५. वीर्य। शुक्र। ६. ऊँचाई या गहराई की ‘पुरसा’ नामक माप। |
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पौरुषी :
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स्त्री० [सं० पौरुष+ङीष्] स्त्री। |
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पौरुषेय :
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वि० [सं० पुरुष+ढञ्—एय] १. पुरुष-संबंधी। पुरुष का २. पुरुष का किया, बनाया या रचा हुआ। ३. आध्यात्मिक। पुं० १. पुरुष का काम। २. पुरुषों या मनुष्यों का समूह। जन-समुदाय। ३. वह मजदूर जो दैनिक वेतन पर काम करता हो। |
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पौरुष्य :
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पुं० [सं० पुरुष+ष्यञ्]=पौरुष। |
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पौरुहूत :
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वि० [सं० पुरुहूत+अण्] इंद्र-संबंधी। |
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पौरू :
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स्त्री० [देश०] मिट्टी के विचार से भूमि का एक भेद।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पौरोगव :
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पुं० [सं० पुरस्-गो, ब० स०, पुरोगु+अण्] राजभवन की पाकशाला का प्रधान अधिकारी। |
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पौरोडाश :
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वि० [सं० पुरोडाश+अण्] पुरोडाश-संबंधी। पुरोडाश का। पुं० पुरोडाश के समर्पण के समय पढ़ा जानेवाला एक मंत्र। |
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पौरोडाशिक :
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पुं० [सं० पुरोडाश+ठक्—इक] परोडाश नामक मंत्र का पाठ करनेवाला। ऋत्विक। |
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पौरोधस :
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पुं० [सं० पुरोधस्+अण्] १. पुरोहित। २. पुरोहित का काम या पद। |
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पौरोभाग्य :
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पुं० [सं० पुरोभागिन्+ष्यञ्] १. दूसरों के दोष दिखलाना। २. ईर्ष्या या द्वेषपूर्ण भावना। ३. ईर्ष्या या द्वेष-वश किया हुआ कार्य। |
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पौरोहित्य :
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पुं० [सं० पुरोहित+ष्यञ्] १. पुरोहित होने की अवस्था या भाव। २. पुरोहित का काम, कृत्य या वृत्ति। ३. पुरोहितों का वर्ग या समाज। (प्राइस्टहुड) |
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पौर्णमास :
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पुं० [सं० पौर्णमासी+अण्] प्राचीन भारत में पूर्णिमा के दिन किया जानेवाला एक तरह का यज्ञ। वि० पूर्ण चन्द्र से संबंध रखनेवाला। |
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पौर्णमासी :
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स्त्री० [सं० पूर्णमास+अण्—ङीष्] पूर्णिमा। |
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पौर्णमास्य :
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पुं० [सं० पौर्णमासी+यत्] पूर्णिमा के दिन होनेवाले यज्ञ आदि। |
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पौर्णामासिक :
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वि० [सं० पूर्णमासी+ठञ्—इक] १. पूर्णिमा-संबंधी। २. पूर्णिमा के दिन होनेवाला। |
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पौर्वात्य :
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पुं० [सं० पूर्व+त्यक्] ‘पाश्चात्य’ के अनुकरण पर बना हुआ असिद्ध शब्द। शुद्ध रूप पौरस्त्य (पूर्व दिशा का)। |
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पौर्वाद्धिक :
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वि० [सं० पूर्वार्द्ध+ठञ्—इक] पूर्वार्द्ध-संबंधी। |
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पौर्वापर्य :
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पुं० [सं० पूर्वापर+ष्यञ्] १. पूर्व और पर अर्थात् आगे और पीछे होने की अवस्था या भाव। पूर्वापरता। २. अनुक्रम। सिलसिला। |
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पौर्वाहिणक :
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वि० [सं० पूर्वाह्ल+ठञ्—इक] [स्त्री० पौर्वाह्लिकी] पूर्वाह्ल संबंधी। पूर्वाह्ल का। |
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पौर्विक :
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वि० [सं० पूर्व+ठञ्—इक] १. जो पूर्व में अर्थात् पहले हुआ हो। २. जो पूर्व में अर्थात् पहले किया जाने को हो। |
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