शब्द का अर्थ
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					नाना					 :
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					वि० [सं० न०+नाञ्] [भाव० नानत्व] १. अनेक प्रकार के। बहुत तरह के। विविध। (बहु०) २. अनेक। बहुत। पुं० [देश०] [स्त्री० नानी] माता का पिता या मातामह। स० [सं० नमन] १. नवाना। झुकाना। २. प्रविष्ठ करना। घुसाना। ३. अन्दर रखना। डालना। ४. संयो० क्रि० के रूप में, पूरा करना। उदा०–अस मनमथ महेश कै नाई।–तुलसी। पुं० [अ० नऽनऽ] पुदीना। जैसे–अर्कनाना=पुदीने का अरक।				 | 
			
			
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					नानाकंद					 :
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					पुं० [सं०] पिंडालु।				 | 
			
			
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					नानात्मवादी (दिन्)					 :
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					वि० [सं० नाना-आत्मन्, कर्म० स०, नानात्मन्√वद् (बोलना)+ णिनि] सांख्य दर्शन का अनुयायी जो यह मानता हो कि व्यक्ति की आत्मा विश्वात्मा से अलग अस्तित्व रखती है।				 | 
			
			
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					नानार्थ					 :
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					वि० [सं० नाना-अर्थ, ब० स०] १. (शब्द) जिसके अनेक अर्थ हों। २. (वस्तु) जो अनेक कामों में प्रयुक्त हो सके।				 | 
			
			
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