शब्द का अर्थ
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दर्भ :
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पुं० [सं०√दृभ्+घञ्] १. एक प्रकार का कुश। डाभ। २. कुश का बना हुआ बैठने का आसन। |
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समानार्थी शब्द-
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दर्भ-केतु :
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पुं० [ब० स०] राजा जनक के भाई कुशध्वज। |
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दर्भ-पत्र :
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पुं० [ब० स०] काँस नामक घास। |
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दर्भट :
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पुं० [सं०√दृभ् (निर्माण करना)+अटन्(बा०)] घर का वह कमरा जिसमें गुप्त रूप से विचार-विमर्श आदि किया जाता हो। |
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दर्भण :
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पुं० [सं०√दृभ्+ल्युट्—अन] कुश की बनी हुई चटाई। |
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दर्भाकुर :
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पुं० [दर्भ-अंकुर, ष० त०] डाभ का नोकीला अंग। |
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दर्भासन :
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पुं० [दर्भ-आसन, मध्य० स०] दर्भ या कुश का बना हुआ आसन। कुशासन। |
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दर्भाह्रय :
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पुं० [सं० दर्भ+आ√ह्रे (बुलाना)+श] मूँज। |
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दर्भेषिका :
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स्त्री० [दर्भ-ईषिका, ष० त०] कुश का डंठल। |
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