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उदास  : वि० [सं० उद्√आस् (बैठना)+अच्] १. जो किसी प्रकार की अपेक्षा या अभाव के कारण अथवा भावी अनिष्ट की आशंका से खिन्न और चिंतित हो और इसी लिए जिसका मन किसी काम या बात में न लगता हो। जैसे—नौकरी छूट जाने के कारण वह उदास रहता है। २. जिसका मन किसी काम, चीज या बात की ओर से हट गया हो। उदासीन। विरक्त। उदाहरण—तुम चाहहु पति सहज उदासा।—तुलसी। ३. जिसके मन में किसी बात के प्रति अनुराग या प्रवृत्ति न रह गई हो। तटस्थ। निरपेक्ष। उदाहरण—एक उदास भाय सुनि रहहीं।—तुलसी। ४. (पदार्थ या स्थान) जिसमें पहले का सा आकर्षण, प्रफुल्लता या रस न रह गया हो। जिसकी अच्छी बातें फीकी और हलकी पड़ गई हों। जैसे—(क) महीने-दो महीने में ही इस साड़ी का रंग उदास हो जायेगा। (ख) लड़कों के चले जाने से घर उदास हो गया। पुं० उदासी। उदाहरण—काहुहि सुख पै काहुहि उदास।—कबीर। पुं० [सं० उद्वासन] किसी को कही से हटाने या भगाने के लिए किया जानेवाला कार्य या प्रयोग। उदाहरण—सुरूप को देश उदास की कीलनि कीलित कै कि कुरूप नसायो।—केशव।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उदास  : वि० [सं० उद्√आस् (बैठना)+अच्] १. जो किसी प्रकार की अपेक्षा या अभाव के कारण अथवा भावी अनिष्ट की आशंका से खिन्न और चिंतित हो और इसी लिए जिसका मन किसी काम या बात में न लगता हो। जैसे—नौकरी छूट जाने के कारण वह उदास रहता है। २. जिसका मन किसी काम, चीज या बात की ओर से हट गया हो। उदासीन। विरक्त। उदाहरण—तुम चाहहु पति सहज उदासा।—तुलसी। ३. जिसके मन में किसी बात के प्रति अनुराग या प्रवृत्ति न रह गई हो। तटस्थ। निरपेक्ष। उदाहरण—एक उदास भाय सुनि रहहीं।—तुलसी। ४. (पदार्थ या स्थान) जिसमें पहले का सा आकर्षण, प्रफुल्लता या रस न रह गया हो। जिसकी अच्छी बातें फीकी और हलकी पड़ गई हों। जैसे—(क) महीने-दो महीने में ही इस साड़ी का रंग उदास हो जायेगा। (ख) लड़कों के चले जाने से घर उदास हो गया। पुं० उदासी। उदाहरण—काहुहि सुख पै काहुहि उदास।—कबीर। पुं० [सं० उद्वासन] किसी को कही से हटाने या भगाने के लिए किया जानेवाला कार्य या प्रयोग। उदाहरण—सुरूप को देश उदास की कीलनि कीलित कै कि कुरूप नसायो।—केशव।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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उदासना  : स० [सं० उद्वासन] १. तितर-बितर या नष्ट-भ्रष्ट करना। उजा़ड़ना। २. (बिस्तर) समेटना या बटोरना। अ० [हिं० उदास] उदास होना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उदासना  : स० [सं० उद्वासन] १. तितर-बितर या नष्ट-भ्रष्ट करना। उजा़ड़ना। २. (बिस्तर) समेटना या बटोरना। अ० [हिं० उदास] उदास होना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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उदासल  : वि०=उदास।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उदासल  : वि०=उदास।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उदासिल  : वि०=उदास।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
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उदासी  : स्त्री० [हिं० उदास+ई प्रत्यय०] उदास होने की अवस्था या भाव० उदासपन। पुं० [सं० उदासिन्] १. सांसारिक बातों से उदासीन, त्यागी और विरक्त व्यक्ति। संन्यासी या साधु। २. गुरु नानक के पुत्र श्री चंद्र का चलाया हुआ एक साधु संप्रदाय। ३. उक्त संप्दाय का अनुयायी, विरक्त या साधु।
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उदासी  : स्त्री० [हिं० उदास+ई प्रत्यय०] उदास होने की अवस्था या भाव० उदासपन। पुं० [सं० उदासिन्] १. सांसारिक बातों से उदासीन, त्यागी और विरक्त व्यक्ति। संन्यासी या साधु। २. गुरु नानक के पुत्र श्री चंद्र का चलाया हुआ एक साधु संप्रदाय। ३. उक्त संप्दाय का अनुयायी, विरक्त या साधु।
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उदासी-बाजा  : पुं० [हिं० उदासी+फा०बाजा] एक प्रकार का भोंपा। (बाजा)।
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उदासी-बाजा  : पुं० [हिं० उदासी+फा०बाजा] एक प्रकार का भोंपा। (बाजा)।
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उदासीन  : वि० [सं० उद्√आस्+शानच्] [भाव० उदासीनता] १. अलग या दूर बैठने या रहनेवाला। २. जिसके मन में किसी प्रकार की आसक्ति कामना आदि न हो। ३. जो सांसारिक मोह-माया आदि से निर्लिप्त या रहित हो। विरक्त। ४. जो परस्पर विरोधी पक्षों से किसी पक्ष का समर्थक या सहायक न हो। तटस्थ और निष्पक्ष। ५. जो किसी विषय (या व्यक्ति) की बातों में कुछ भी अनुरक्त न हो। विरक्त भाव से अलग रहनेवाला। (इन्डिफरेन्ट)
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उदासीन  : वि० [सं० उद्√आस्+शानच्] [भाव० उदासीनता] १. अलग या दूर बैठने या रहनेवाला। २. जिसके मन में किसी प्रकार की आसक्ति कामना आदि न हो। ३. जो सांसारिक मोह-माया आदि से निर्लिप्त या रहित हो। विरक्त। ४. जो परस्पर विरोधी पक्षों से किसी पक्ष का समर्थक या सहायक न हो। तटस्थ और निष्पक्ष। ५. जो किसी विषय (या व्यक्ति) की बातों में कुछ भी अनुरक्त न हो। विरक्त भाव से अलग रहनेवाला। (इन्डिफरेन्ट)
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उदासीनता  : स्त्री० [सं० उदासीन+तल्-टाप्] १. उदासीन होने की अवस्था, गुण या भाव। २. मन की ऐसी वृत्ति जो किसी को किसी काम या बात में अनुरक्त नहीं होने देती और उससे अलग रखती है। (एपैथी)।
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उदासीनता  : स्त्री० [सं० उदासीन+तल्-टाप्] १. उदासीन होने की अवस्था, गुण या भाव। २. मन की ऐसी वृत्ति जो किसी को किसी काम या बात में अनुरक्त नहीं होने देती और उससे अलग रखती है। (एपैथी)।
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