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ब्योंत  : स्त्री० [हिं० ब्योंतना] १. ब्योतने की क्रिया, ढंग भाव या व्यवस्था। जैसे—कपड़े की ब्योंत, काम की ब्योंत। पद—कपर-ब्योंत। क्रि० प्र० करना।—बैठना।—बैठाना। मुहावरा—ब्योंत खाना=शक्ति साधना सामग्री आदि के विचार से ऐसी अवस्ता या स्थिति होना जिससे काम ठीक तरह से और पूरा हो सके। जैसे—जहाँ तक ब्योंत खाये वहीं तक कोई काम (या खर्च) करना चाहिए। ब्योंत फैलना=ब्योंत खाना। २. पहनने के कपड़े बनाने के लिए कपड़े को काट-छाँटकर और जोड़ या सीकर तैयार करने की क्रिया या भाव। जैसे—इस कपड़ें में कुरते और टोपी की ब्योंत नहीं बैठती। क्रि० प्र०—बैठना।—बैठाना। ३. पहनने के कपड़ों की काट-छाँट का ढंग। तराश। जैसे—इस बार किसी और ब्योंत की कमीज सिलवानी। चाहिए। ४. कार्य-साधन की उपयुक्त प्रणाली। ढंग। तरीका। विधि। ५. उपाय। तरकीब। युक्ति। क्रि० प्र०—निकलना।—बनना।—बनाना।—बैठना।—बैठाना। ६. किसी काम या बात का आयोजन या उपक्रम। तैयारी। ७. इन्तजाम। प्रबंध। व्यवस्था। क्रि० प्र०—बाँधना। ८. कोई काम या बात होने का अवसर या संयोग। नौबत। ९. विस्तृत विवरण। ब्योरा। हाल। उदाहरण—बलि बामन को ब्योंत सुनि को बलि तुमहिं पत्याय।—बिहारी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
ब्योंताना  : स० [हिं० ब्योतना का प्रे०] दरजी के नाप के अनुसार कपड़ा काटना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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