शब्द का अर्थ
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					नादि					 :
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					वि० [सं० नादिन] १. शब्द करनेवाला। २. गरजनेवाला।				 | 
			
			
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					नादित					 :
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					भू० कृ० [सं० नाद+इतच्] १. जो नाद से युक्त किया गया हो अथवा हुआ हो। २. शब्द करता हुआ। बजता हुआ। ३. गूँजता हूँ।				 | 
			
			
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					नादिम					 :
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					वि० [अ०] [भाव० नदामत] १. लज्जित। शर्मिंदा। २. पश्चात्ताप करनेवाला।				 | 
			
			
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					नादिया					 :
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					पुं० [सं० नंदी] १. नंदी। २. वह विकृत, विलक्षण, या अधिक अंग या अंगोवाला साँड़, जिसे जोगी अपने साथ लेकर भीख माँगने निकलते हैं।				 | 
			
			
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					नादिर					 :
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					वि० [फा० नादिर] १. विचित्र। विलक्षण। २. उत्तम। श्रेष्ठ।				 | 
			
			
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					नादिरशाह					 :
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					पुं० [अ०] पारस (फारस) देश का एक प्रसिद्ध राजा जिसने मुहम्मद शाह के समय में भारत में आक्रमण किया था। विशेष–यह अपनी क्रूरता के लिए प्रसिद्ध है। इसने एक छोटी-सी बात पर क्रुद्ध होकर दिल्ली के लाखों निवासियों की हत्या करवा डाली थी।				 | 
			
			
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					नादिरशाही					 :
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					स्त्री० [हिं० नादिरशाह] १. नादिरशाह का वह बर्बरता पूर्ण व्यवहार जो उसने दिल्ली में किया था और जिसके फल-स्वरूप लाखों आदमी मारे गए थे। २. ऐसा आचरण, व्यवहार या शासन, जो बहुत ही निर्दयतापूर्ण और मनमाने ढंग से किया जाय। वि० वैसा ही उग्र, कठोर और मनमाना, जैसा दिल्ली में नादिरशाह का आचरण या व्यवहार था। नादिरी।				 | 
			
			
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					नादिरी					 :
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					वि० [अ०] १. नादिरशाह-संबंधी। २. अत्याचार और क्रूरतापूर्ण। स्त्री० १. एक प्रकार की कुरती या सदरी जो मुगल बादशाहों के समय में पहनी जाती थी। पुं० गंजीफे का वह पत्ता जो खेल के समय निकालकर अलग रख दिया जाता है। मुहा०–(किसी पर) नादिरी चढ़ाना=बहुत बुरी तरह से मात करना या हराना।				 | 
			
			
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					नादिहंद					 :
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					वि० [फा०] जो किसी की चीज या धन लेकर जल्दी लौटाता न हो। देन लौटाने में बराबर टाल-मटोल करता रहनेवाला।				 | 
			
			
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					नादिहंदी					 :
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					स्त्री० [फा०] नादिहंद होने की अवस्था या भाव। देन लौटाने में टाल मटोल करना।				 | 
			
			
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