शब्द का अर्थ
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धून :
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वि० [सं०√धू+क्त, नत्व] कंपित। पुं०=दून।a |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
धूनक :
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वि० [सं०√धू+णिच्, नुक्+ण्वुल्—अक] १. हिलाने-डुलानेवाला। २. चालाक। धूर्त। पुं० सरल या साल का गोंद। राल। |
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धूनन :
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पुं० [सं०√धू+णिच्, नुक्+ल्युट्—अन] १. हवा। २. कंपन। ३. क्षोभ। |
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धूनना :
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स० [हिं० धूनी] १. आग में कोई ऐसी वस्तु छोड़ना जिसके जलने से सुगंधित धूआँ निकले। २. उक्त प्रकार के धूएँ से कमरा, घर आदि सुवासित करना। धूनी देना। स० दे० ‘धुनना’। |
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धूना :
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पुं० [हिं० धूनी] आसाम आदि की पहाड़ियों पर होनेवाला एक तरह का गुग्गुल की जाति का बड़ा पेड़। इसकी छाल आदि से वारनिश बनाई जाती है। |
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धूनी :
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स्त्री० [सं०√धू+क्तिन्, नत्व] हिलने की क्रिया। कंपन। |
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धूनी :
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स्त्री० [हिं० धूआँ या धूईं] १. वह आग जो साधु लोग या तो ठंढ से बचने के लिए शरीर को तपाकर कष्ट पहुँचाने के लिए अपने सामने जलाए रखते हैं। मुहा०—धूनी जगाना, रमाना या लगाना=(क) साधुओं का अपने सामने धूनी जलाकर तपस्या करना। (ख) अपना शरीर तपाने या अपना वैराग्य प्रकट करने के लिए साधु होकर या साधुओं की तरह अपने सामने धूनी जलाये रखना। २. सुगंधित धुआँ उठाने के लिए गूगल, धूप, लोबान आदि गंध दृव्य जलाने की क्रिया। जैसे—ठाकुर जी की मूर्ति के आगे की धूनी। क्रि० प्र०—जलाना।—देना। ३. धूआँ उठाने के लिए कोई चीज जलाने की क्रिया। जैसे—मिरचों की धूनी देकर किसी के सिर पर चढ़ा हुआ भूत भगाना। क्रि० प्र०—देना। |
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धूनी-नाथ :
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पुं० [ष० त०] धुनी (नदी) के स्वामी, सागर। |
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