शब्द का अर्थ
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चिट :
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स्त्री० [हिं० चिट्ठी से?] १. कागज का वह छोटा टुकड़ा जिस पर कोई बात लिखी जाय। छोटा पत्र। रुक्का। २. कागज कपड़े आदि का फटा हुआ कोई छोटा लंबा टुकड़ा। धज्जी। |
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चिटक :
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वि०=चिक्कट या चीकट (बहुत गंदा और मैला)। |
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चिटकना :
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अ० [अनु० चिट चिट+ना (प्रत्यय)] १. कड़े तलवाले पदार्थ का चिट शब्द करते हुए टूटना अथवा उसमें पतली दरार पड़ना। जैसे–लालटेन की चिमनी चिटकना। २. लकड़ी का जलते समय चिट चिट शब्द करते हुए चिगारियाँ छोड़ना। ३. चिट शब्द करते हुए खिलना। जैसे–कलियों का चिटकना। ४. अपनी इच्छा के अनुसार कोई कार्य न होते देख अथवा अपने विरूद्ध कोई कार्य या बात होते देखकर सहसा कुछ बिगड़ खड़े होना। ५. चिढ़ना। |
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चिटकनी :
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स्त्री०=सिटकनी। |
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चिटका :
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पुं०=चिता। |
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चिटकाना :
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स० [अनु०] १. किसी चीज को चिटकने में प्रवृत्त करना। २. किसी व्यक्ति को खिझाना या चिढ़ाना। |
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चिटनवीस :
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पुं० [हिं० चि+फा० नवीस] मध्ययुग में दक्षिण भारतीय दरबारों आदि में चिट्ठी-पत्री या हिसाब-किताब लिखनेवाला कर्मचारी। मुहर्रिर। लेखक। |
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चिटनीस :
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पुं०=चिटनवीस। |
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चिटी :
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स्त्री० [सं०√चिट् (प्रेरणा)+क-ङीष्] चांडाल वेष धारिर्णी योगिनी, जिसकी उपासना वशीकरण के लिए की जाती है। (तंत्रशास्त्र)। |
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चिटुकी :
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स्त्री०=चुटकी। |
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चिट्ट :
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स्त्री०=चिट। |
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चिट्टा :
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वि० [सं० सित, प्रा० चित] [स्त्री० चिट्टी] जिसका रंग या वर्ण सफेद हो। जैसे–कपड़ा धोने से चिट्ठा हो जाता है। पुं० १. कुछ विशेष प्रकार की मछलियों के ऊपर का सीप के आकार का बहुत सफेद छिलका या पपड़ी जिससे रेशम के लिए माँड़ी तैयार की जाती है। २. रुपया। (दलालों की बोली)। पुं० [चटचट शब्द से अनु?] वह उत्तेजना जो किसी को कोई ऐसा काम करने के लिए दी जाय जिसमें उसकी हानि या हँसी हो। झूठा बढ़ावा। क्रि० प्र०–देना। मुहावरा–चिट्टा लड़ानाउक्त प्रकार की उत्तेजना देकर किसी को कुछ अनुचित काम करने में प्रवृत्त करना। |
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चिट्ठा :
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पुं० [हिं० चिट्ठी का पुं० रूप] १. आय-व्यय या लेन-देन का वह हिसाब जो मुख्यतः एक ही कागज पर लिखा गया हो। उदाहरण–दिया चिट्ठा चाकरी चुकाई।–कबीर। मुहावरा–चिट्ठा बाँटना-(क) दैनिक मजदूरी पर काम करनेवाले मजदूरों की मजदूरी चुकाना। जैसे–अब मंगल के दिन चिट्ठा बँटेगा। (ख) चिट्ठे पर लिखे हुए आदमियों को अन्न या रसद बाँटना। चिट्ठा बाँधना=आय व्यय आदि का लेखा तैयार करना। २. वह कागज जिस पर नियमित रूप से किसी निश्चित अवधि के आय-व्यय आदि का मोटा हिसाब लिखा रहता है और जिससे यह पता चलता है कि इस काम में कितना आर्थिक लाभ या हानि हुई। जैसे–कोठी या दूकान का छमाही या सालाना चिट्ठा। ३. वह कागज जिस पर प्राप्य धनराशि का विवरण लिखा रहता है। मुहावरा–चिट्ठा उतारना (क) चिट्ठा तैयार करना या बनाना। (ख) चिट्ठे पर लिखी हुई रकम वसूल करना। (ग) लोगों से रकम वसूल करते हुए चिट्ठे पर क्रमशः लिखते या लिखाते चलना। ४. किसी प्रकार के काम में लगनेवाले धन का विवरण। खरच के मदों की सूची। जैसे–ब्याह का चिट्ठा मकान की मरम्मत का चिट्ठा। ५. किसी काम या बात का पूरा ब्योरा या विस्तृत विवरण। पदृ-कच्चा चिट्ठा (क) आय-व्यय आदि का वह आरंभिक विवरण जो अभी पूरी तरह से जँचा न हो अथवा ठीक और पक्का न माना जा सकता हो। जैसे–पहले कच्चा चिट्ठा तैयार कर लो फिर रोकड़ चढ़ाना। (ख) किसी आदमी के आचरण, व्यवहार आदि का अथवा घटना के संबंध की ऐसी बातों का विवरण जो अभी तक पूरी तरह से सबके सामने न आया हो अथवा जिसमें कुछ ऐसी बातें हों जो अनुचित होने के कारण साधारणतः सब लोगों के सामने आने योग्य न हो। जैसे–अब तुम चुपचाप बैठे रहो नहीं तो वह तुम्हारा सारा कच्चा चिट्ठा खोलकर रख देगा। क्रि० प्र०–खोलना। |
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चिट्ठी :
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स्त्री० [सं० चिट् (?) चिट्टीका-चिट्टी, फा० चिट, उ० बँ० मरा० सिं० चिठी, पं० चिट्ठी] १. एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जानेवाला कागज का वह टुकड़ा जिस पर सूचना आदि के लिए कुछ समाचार लिखे हों। खत। पत्र। २. मध्ययुग में किसी के नाम लिखा हुआ वह पत्र जिसमें किसी को कुल रुपए देने का आग्रह या आदेश होता है। मुहावरा–(किसी के नाम) चिट्टी करना=किसी के नाम इस आशय का पत्र लिखना कि अमुक व्यक्ति या पत्र-वाहक को हमारे हिसाब में इतने रुपए दे दो। (किसी की) चिट्ठी भरना=(क) किसी के लिखे हुए पत्र के अनुसार कुछ रुपए देना। (ख) किसी प्रकार की विवशता के कारण किसी दूसरे का ऋण, देन आदि चुकाना या और किसी तरह का खरच करना। जैसे–नानी खसम करे, दोहता चिट्ठी भरे।–कहा०। ३. कागज का कोई छोटा टुकड़ा या पुरजा जिस पर कुछ लिखा हो। जैसे–निमंत्रणा या ब्राह्मण भोजन की चिट्ठी। ४. वह कागज या पत्र जिस पर कहीं भेजे जानेवाले माल की तालिका मूल्य विवरण आदि लिखे रहते हैं। ५. एक क्रियात्मक प्रणाली जिसके अनुसार कुछ नाम या समस्या के नहिक और सहिक सूचक संकेत कागज के छोटे-छोटे टुकड़ों पर अलग-अलग लिखकर उन कागजों की छोटी गोलियाँ बनायी जाती हैं; और तब उनमें से कोई गोली उठाकर यह निश्चय किया जाता है कि अमुक काम कौन करे, अमुक चीज किसे मिले अथवा अमुक काम किया जाना चाहिए या नहीं। गोटी। (बैलट) क्रि० प्र०–उठाना।–डालना।–निकलना।-पड़ना। |
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चिट्ठी-पत्री :
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स्त्री० [हिं० चिट्ठी+पत्री] १. एक स्थान से दूसरे स्थान पर आने-जानेवाला खत। पत्र। २. आपस में चिट्ठियाँ या पत्र भेजने-मँगाने आदि का व्यवहार। पत्र-व्यवहार। पत्रालाप। (कारेस्पान्डेन्स) |
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चिट्ठीरसाँ :
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पुं० [हिं० चिट्ठी+फा० रसाँ] डाकखाने में आई हुई चिट्ठियाँ बाँटनेवाला कर्मचारी। डाकिया। |
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