शब्द का अर्थ
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खेल :
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पुं० [सं० केलि] १. समय बिताने तथा मन बहलाने के लिए किया जानेवाला कोई काम। विशेष-खेल कई दृष्टियों से खेले जाते है। कुछ मनोविनोद के लिए जैसे–ताश या शतरंज का खेल; कुछ व्यायाम के लिए जैसे–कबड्डी, गेंद, तैराई आदि; कुछ दूसरों को मनोविनोद करके धन उपार्जन करने के लिए, जैसे–कठपुतली का जादू खेल, आदि आदि। मुहावरा–(किसी को) खेल खिलाना=व्यर्थ की बातों में फँसाकर तंग करना। खेल बिगाड़ना=(क) किसी का बना हुआ काम खराब करना। (ख) रंग-भंग करना। २. बहुत साधारण या तुच्छ काम। ३. कोई अद्भुत या विचित्र काम। जैसे–कुदरत या भाग्य का खेल। पुं० [?] वह छोटा कुंड जिसमें चौपायें पानी पीते हैं। |
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खेलक :
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पुं० [हिं० खेलना] खिलाड़ी। |
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खेलना :
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अ० [सं० खेलन; प्रा० खेलई; अप० खेड़ण; पं० खेड़ना; मरा० खेड़णें, उ० खेलिबा, बं० खेला] १. मन बहलाने या समय बिताने के लिए फुरती से उछलना-कूदना, दौड़ना-धूपना, हँसना-बोलना और इसी प्रकार की दूसरी हल्की शारीरिक क्रियाएँ करना। जैसे–बच्चों के खिलने के लिए कुछ समय मिलना चाहिए। पद-खेलना-खाना=अच्छी तरह खाना पीना और निश्चित होकर आनंद और सुख-भोग करना। जैसे–लड़कपन की उम्र खेलने-खाने के लिए होती है। २. कोई ऐसा आचरण करना जिसमें कौशल, धूर्तता, फुरती साहस आदि की आवश्यकता हो। जैसे–किसी के साथ चालाकी खेलना। ३. किसी चीज को तुच्छ या साधारण समझकर अनुचित रूप से अथवा मर्यादा का उल्लंघन करते हुए उसका इस प्रकार उपयोग करना अथवा उसके प्रति आचरण करना कि वह दुष्परिणाम उत्पन्न कर सकता या हानिकारक सिद्ध हो सकता हो। खेलवाड़ या मजाक समझकर और परिणाम का ध्यान छोड़कर कोई काम करना। जैसे–आग या पानी से खेलना, जंगली जानवरों से खेलना, किसी के मनो भावों से खेलना। उदाहरण-स्वर्ग जो हाथों को है दूर खेलता उससे भी मन लुब्ध-दिनकर। मुहावरा–जान या जी पर खेलना=ऐसा काम करना जिसमें जान जाने की आशंका या सम्भावना हो। जान जोखिम का काम करना। सिर पर मौत खेलना-मृत्यु का इतना समीप होना कि जीवित बच्चे की बहुत ही थोड़ी सम्भावना रहे। ४. किसी के साथ ऐसा कौशलपूर्ण आचरण या व्यवहार करना कि वह थककर परास्त या शिथिल हो जाए। जैसे–बिल्ली या चूहे के साथ खेलना अर्थात् बार-बार पंजे मारकर उसे इधर-उधर दौड़ाना और परेशान करना। ५. तृप्ति या सुख प्राप्त करने के लिए सहज और स्वाभाविक रूप से इधर-उधर संचार करना या हटते बढ़ते रहना। क्रीड़ा करना। जैसे– उसके चेहरे पर मुस्कराहट खेल रही थी। उदाहरण–उसके चेहरे पर लाज की लाली उसके सहज गौर वर्ण से खेलती रही। अमृतलाल नागर। ६. किसी के साथ संभोग करना। (बाजारू) पद-खेला खाया-(देखें) सं० १. मन बहलाने या समय बिताने के लिए किसी खेल या खिलवाड़ में सम्मलित होना। जैसे–कबड्डी, गेंद, ताश या शतरंज खेलना। २. कौशल दिखाने के लिए कोई अस्त्र या शस्त्र हाथ में लेकर चालाकी और फुर्ती से उसका संचालन करना अथवा प्रयोग या व्यवहार दिखलाना। जैसे–तलवार, पट्टा, बनेठी या लाठी खेलना। ३. नाटक आदि में योग देते हुए अभिनय करना। जैसे–महाराज प्रताप या सत्य हरिशचन्द्र खेलना। ४. धन लगाकर हार-जीत की बाजी में सम्मिलित होना। जैसे– जूआ या सट्टा खेलना। विशेष–खेलने के उद्देश्य, प्रकार आदि जानने के लिए देखें खेल के अन्तर्गत उसका ‘विशेष’। |
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खेलनि :
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स्त्री०=खेल। |
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खेलनी :
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पुं० [सं०√खेल(खेलना)+ल्युट्+अन+ङीप] शतरंज का खिलाड़ी। स्त्री० वे चीजें जिनसे कोई खेल खेला जाता हो। |
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खेलवना :
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पुं० [हिं० खेलना] १. पुत्र के जन्म के समय गाये जाने वाले उन गीतों की संज्ञा जिनमें शिशु के रोदन, माता पिता और परिवार के अन्य लोगों के आन्नदमंगल और इस आनन्दमंगल के उपलक्ष्य में किये जाने वाले कार्यों का वर्णन होता है। ‘सोहर’ से भिन्न। २. सोहर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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खेलवाड़ :
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पुं० [हिं० खेल+वाड़(प्रत्यय)] १. केवल खेल या क्रीड़ा के रूप में बच्चों की तरह किये जाने वाला काम। २. बहुत ही तुच्छ या सामान्य काम। |
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खेलवाड़ी :
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वि० [हिं० खेल+वार(प्रत्यय)] १. प्रायः या सदा खेलवाड़ में लगा रहनेवाला। २. दे० ‘खिलाड़ी’। |
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खेलवाना :
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स० [हिं० खेलना] १. किसी को खेलाने में प्रवृत्त करना। २ अपने साथ किसी को खेलने देना। |
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खेलवार :
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पुं० [हिं० खेल+वारा] १. खेलनेवाला। खिलाड़ी। २. शिकारी। उदाहरण–मानो खेलवार खोली सीस ताज बाज की।–तुलसी। पुं० दे० ‘खेलवाड़’। |
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खेला :
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स्त्री० [सं०√खेल्+अ-टाप्] १. खेल। २. जादू। |
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खेला-खाया :
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वि० [हिं० खेलना+खाना] [स्त्री० खेली-खाई] जिसने किसी के साथ विलासिता या संभोग के सुख का अनुभव और ज्ञान प्राप्त कर लिया हो। |
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खेलाई :
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स्त्री० [हिं० खेल] १. खेलने या खिलाने की क्रिया या भाव। जैसे–आज कल वहाँ शतरंज की खूब खेलाई हो रही है। २. खेलने या खिलाने के बदले में दिया जानेवाला पारिश्रमिक। स्त्री० दे० ‘खिलाई’। |
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खेलाड़ी :
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वि० [हिं० खेल+वार(प्रत्यय)] १. प्रायः या बराबर खेलता रहनेवाला। खेलवाड़ी। जैसे– खेलाड़ी लड़का। २. दुश्चरित्रा या पुंश्चली (स्त्री)। पुं० १. खेल में किसी पक्ष में सम्मिलित होनेवाला व्यक्ति। २. कुछ विशिष्ट प्रकार के खेल तमाशे करने या दिखानेवाला व्यक्ति। जैसे–महुअर या साँप का खेलाड़ी, गेंद का खिलाड़ी। |
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खेलाना :
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स० [हिं० खेलना का प्रे०] १. किसी को खेलने में प्रवृत्त करना। २. अपने साथ खेले या खेलने में सम्मिलित करना। ३.तरह-तरह की बातें करके इधर-उधर दौड़ाते रहना अथवा किसी काम या बात की झूठी आशा में फँसाये रखना। ४. किसी को त्रस्त, दुःखी या परास्त करने के लिए उसके साथ ऐसा आचरण या व्यवहार करना कि वह बिलकुल विवश और शिथिल हो जाए। जैसे–बिल्ली का चूहे को खेलाना। मुहावरा–खेला-खेलाकर मारना-दौड़ा-दौड़ाकर बहुत तंग, दुःखी या परेशान करना। उदाहरण–हतिहौं तोहिं खेलाई खेलाई।–तुलसी। |
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खेलार :
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पुं०=खेलवार। (खिलाड़ी) |
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खेलि :
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स्त्री० [सं० खे√अल्(गति)+इन] खेल। क्रीड़ा। पुं० १. पशु-पक्षी आदि जीव-जन्तु। २. सूर्य। ३. तीर। वाण। ४. गीत। |
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खेलुआ :
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पुं० [हिं० खिलना या खिलाना] चमड़ा रंगनेवालों का एक औजार जो थाली की तरह का होता है। |
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खेलौना :
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पुं०=खिलौना। |
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