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खीस  : स्त्री० [?] १. पशुओं के लम्बें तथा नुकीले दाँत। खाँग। जैसे–सूअर की खीस। २. खुले हुये तथा बाहर से दिखाई देने वाले दाँत। मुहावरा–खीस या खीसे काढ़ना या निकालना=कोई भूल हो जाने पर निर्लज्जतापूर्वक हँसना या दाँत निकालना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) ३.लज्जा। शरम। स्त्री० [देश०] १. नई ब्याई हुई भैस, गाय आदि का १॰-१२ दिनों का वह दूध जो पीने योग्य नहीं होता। पेउस। २. उक्त पशुओं के स्तन के अन्दर की माँस कील। मुहावरा–खीस निकालना=नई ब्याई हुई गाय, भैस आदि के थनों में से मांस-कील निकालना। विशेष–ये मांस-कीलें गर्भकालमें थनों में दूध रुके रहने के कारण बन जाती है। वि० [सं० किष्क-वध] नष्ट। बरबाद। उदाहरण–लगे करन मरव-खीसा।–तुलसी। क्रि. वि०निरर्थक। व्यर्थ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) उदाहरण-निठुरा आगे रोइबो आँसु गारिबो-खीस।–रहीन। स्त्री० [हिं० खीज] १. अप्रसन्नता। नाराजगी। २. क्रोध। गुस्सा। स्त्री० [फा० खिसारा] १. नुकसान। हानि। २. घाटा। टोटा। ३. कमी। न्यूनता।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
खीसना  : अ० [हिं० खीस] नष्ट या बरबाद होना। उदाहरण–तुम्हरे दास जाहिं अघ खीसा।–तुलसी। स० नष्ट या बरबाद करना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
खीसा  : पुं० [फा० कीसः] [स्त्री० अल्पा० खीसी] १. छोटा थैला। थैली। २. खलीता। जेब। ३. कपड़े की वह थैली जिससे नहाने के समय बदन मलकर साफ करते हैं। पुं० खीस।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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