शब्द का अर्थ
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खत :
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पुं० [अ० खत०] १. रेखा। सकीर। २. अक्षर लिखने का ढंग। लिखावट। ३. वह जो कुछ लिखा जाए। लेख। ४. चिट्ठी। पत्र। ५. वह पत्र जिस पर कुछ हिसाब-किताब, लेन-देन आदि लिखा हो। उदाहरण–जनम-जनम के खत जु पुराने, नामहिं लेत फटै रे।–मीराँ। ६. कनपटी और दाढ़ी पर के बाल मुहावरा–खत आना या निकलना |
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खत-कश :
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पुं० [सं० खत+फा. कश] बढ़इयों का लकड़ी पर रेखा खींचने का एक उपकरण या औजार। |
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खत-किताबत :
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स्त्री० [अ०] १. चिट्ठी-पत्री। पत्र-व्यवहार। पत्रालाप। २. लिखा-पढ़ी। |
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खतकशी :
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स्त्री० [अ०+फा.] १. चित्रकला में चित्र बनाने के लिए रेखाएँ खींचना। २. खूब बना-बनाकर लिखने का काम या ढंग। |
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खतखोट :
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स्त्री० [सं० क्षत+हिं० खुड्ड] क्षत या घाव सूखने पर जमने वाली झिल्ली। खुरंड।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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खतंग :
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पुं० [फा.खडंग] १. एक विशिष्ट प्रकार का तीर। २. तरकश। तूणीर। उदाहरण–तरकस पंच किरयं, तीर प्रति खतंग तीन सय।–चन्द्रबरदाई। ३. दे. ‘खदंग’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [?] एक प्रकार का कबूतर। |
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खतना :
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पुं० [अ० खतना] मुसलमानों की एक रस्म, जिसमें बच्चों के लिंग के अगले भाग का ऊपरी चमड़ा काट दिया जाता है। सुन्नत। मुसलमानी। स० काटना। काटकर अलग करना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) अ० [हिं० खाता] खाते में चढ़ाया जाना या लिखा जाना। |
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खतम :
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वि० [अ० खत्म] १. (काम या बात) जो पूरा या पूर्ण हो चुकी हो। जिसमें और कुछ करने को बाकी न रह गया हो। २. जिसका अंत हो चुका हो। जो अस्तित्व में न रह गया हो। मुहावरा–(किसी को) खतम करना–मार डालना। |
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खतमा :
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पुं० [अ० खुतबः] १. प्रशंसा। तारीफ। २. दे. ‘खुतबा’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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खतमी :
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स्त्री० [अ०] गुलखैरू की जाति का एक पौधा, जिसकी पत्तियों और फूलों का उपयोग, हकीमी दवाओं में होता है। |
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खतर :
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पुं०=खतरा। |
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खतरनाक :
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वि० [अ०] १. (काम) जो खतरे से भरा हो। जोखिम का। २. जो किसी प्रकार खतरे का कारण बन सकता हो। जैसे–खतरनाक आदमी, खतरनाक बीमारी। |
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खतरम्मा :
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पुं० [हिं० खत्री] १. खत्रियों का समाज। २. वह मुहल्ला जिसमें खत्री लोग रहते हों। |
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खतरा :
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पुं० [अ० खतरः] १. अनिष्ट, संकट आदि की आशंका या संभावना से युक्ति स्थिति। २. डर। भय। |
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खतरेटा :
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पुं० [हिं० खत्री+एंटा (प्रत्य.)] खत्री। (उपेक्षासूचक शब्द)। |
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खता :
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पुं० [ अ०] [ वि० खतावार] १. अपराध। कसूर। २. चूक। भूल। ३.धोखा। मुहावरा–खता खाना=धोखे में पड़कर हानि उठाना। खता खिलाना=धोखा देकर किसी की हानि करना। उदाहरण–तीनि बार रुँधे एक दिन में, कबहुँक खता खवाई।–कबीर। पुं० [सं० क्षत] घाव। जखम। स्त्री० [सं० क्षिति] पृथ्वी। (डिं.)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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खताई :
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पुं० [ अ०] उत्तरी चीन के खता नामक स्थान का बना हुआ कागज जिस पर मध्ययुग में चित्र अंकित होते थे। स्त्री० दे. ‘नान खताई’। |
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खताकार :
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पुं०=खतावार। |
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खतावार :
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वि० [अ० खता+फा.वार] जिसने कोई भूल, दोष या अपराध किया हो। अपराधी। दोषी। |
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खतिया :
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स्त्री०=खाती।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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खतियाना :
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स० [हिं.खाता] १. खाते में लिखना या चढ़ाना। २. विभिन्न मदों को विभिन्न खातों में चढ़ाना। |
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खतियौनी :
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स्त्री० [हि. खतियाना] १. वह बही जिसमें विभिन्न मदों के अलग-अलग खाते हों। २. इन अलग-अलग खातों में विभिन्न मदों के विवरण भरने का काम। ३.पटवारी की वह पंजी, जिसमें यह लिखा जाता है कि कौन सा खेत किसकी जोत में है। उस पर कितना लगान है और कितनी वसूली हुयी है। |
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खतीब :
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पुं० [ अ०] १. किसी बादशाह के सिंहासन पर बैठने के समय खुतबा पढ़नेवाला व्यक्ति। २. इस्लाम अर्थात् मुसलमानी धर्म का उपदेशक। |
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खतौनी :
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स्त्री० दे. ‘खतियौनी’। |
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खत्ता :
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पुं० [सं० खात] [स्त्री० खत्री] १. जमीन में किसी कार्य के लिए खोदा हुआ गड्ढा। जैसे–नील या शोरा बनाने का खत्ता। २. गड्ढा। ३.कोठा या बड़ा पात्र जिसमें अन्न या गल्ला रखा जाता हो। |
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खत्त्र :
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पुं०=क्षत्रिय। (डिं)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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खत्म :
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वि०=खतम। |
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खत्रवट :
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स्त्री० [हिं० खत्री+वट (प्रत्यय)] १.खत्री (क्षत्री) होने का भाव। उदाहरण–खत्र बेचिया अनेक खत्रियाँ, खत्रवट थिर राखी खुम्माण।–पृथ्वीराज। २. क्षत्रियधर्म। बहादुरी। वीरता। |
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खत्रवाट :
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स्त्री०=खत्रवट। |
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खत्रिय :
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पुं०=क्षत्रिय। (डिं.) |
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खत्री :
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पुं० [सं० क्षत्रिय, प्रा खत्तिय] [स्त्री० खतरानी, भाव.खत्रीपन] १. पंजाब में रहने वाले क्षत्रियों की संज्ञा। ये लोग प्रायः व्यापार करते हैं। २. क्षत्री |
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खत्रीवाट :
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स्त्री०=खत्रवट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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