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फास्टर नोट्स-2018 बी. ए. प्रथम वर्ष शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र

यूनिवर्सिटी फास्टर नोट्स

प्रकाशक : कानपुर पब्लिशिंग होम प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 307
आईएसबीएन :0

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बी. ए. प्रथम वर्ष (सेमेस्टर-1) शिक्षाशास्त्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-प्रश्नोत्तर

प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना (पिछड़) को समझाइए।

अथवा

भौतिक एवं अभौतिक संस्कृति में सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

सांस्कृतिक विलम्बना या पिछड़

सर्वप्रथम 1923 ई. में संस्कृति और सामाजिक परिवर्तन का सम्बन्ध स्पष्ट करने के लिए ऑगबर्न ने अपनी कृति में कहा कि, "संस्कृति का अर्थ मानव द्वारा निर्मित समस्त प्रकार के भौतिक और अभौतिक तत्वों से होता है तथा विलम्बना का अर्थ पीछे रह जाना है।'
अतएव संस्कृति के भौतिक तत्व की तुलना में इसका अभौतिक तत्व पीछे रह जाता है तब संस्कृति में असन्तुलन या फिर असामंजस्य की स्थिति उत्पन्न होती है। उसी असन्तुलन की स्थिति को सांस्कृतिक विलम्बना कहते हैं। समाज में यही स्थिति सामाजिक परिवर्तन का एक मूलभूत सांस्कृतिक कारक होती है।
ऑगबर्न के अनुसार, संस्कृति को दो भागों में विभाजित किया गया। भौतिक संस्कृति और अभौतिक संस्कृति। इन दोनों का मानव जीवन से अत्यन्त घनिष्ठ सम्बन्ध होता है तथा दोनों संस्कृतियों के दायरे में ही मानव अपना सामाजिक जीवन-यापन करता है। अतः जब कभी एक संस्कृति में किसी भी प्रकार का परिवर्तन होता है तो निश्चित तौर पर इसका प्रभाव इसी संस्कृति पर पड़ता है जिसके फलस्वरूप दूसरे में भी कुछ परिवर्तन होता ही है। परिवर्तन एक प्राकृतिक नियम है जिसका प्रभाव संस्कृति पर पड़ता है। ये प्रभाव भौतिक पक्षों पर पहले पड़ता है और अभौतिक पक्षों पर उसके बाद पड़ता है जिसके फलस्वरूप भौतिक संस्कृति पहले तीव्र गति से परिवर्तित होने लगती है और अभौतिक संस्कृति बाद में परिवर्तित होती है जिससे अभौतिक संस्कृति के परिवर्तन की गति धीमी होती है। अतएव भौतिक संस्कृति आगे की ओर बढ़ती जाती है और अभौतिक संस्कृति पीछे रह जाती है ऐसी स्थिति में दोनों संस्कृतियों के बीच असन्तुलन की स्थिति निर्मित हो जाती है और यही स्थिति सांस्कृतिक विलम्बना कहलाती है।
भौतिक और अभौतिक संस्कृति का एक-दूसरे से घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। दोनों एक-दूसरे पर आश्रित होते हैं तथा सामाजिक जीवन संस्कृति पर आधारित होता है। अतएव एक-दूसरे से पिछड़ जाने पर जो असन्तुलन उत्पन्न हो जाता है वो सामाजिक जीवन में असन्तुलन उत्पन्न करता है। इस स्थिति को दूर करने के लिए अभौतिक संस्कृति को भौतिक संस्कृति तक लाने का पूर्ण प्रयास किया जाता है लेकिन दोनों के बीच सामंजस्य तथा समायोजन होने में बहुत देर लगती है। इसलिए इसे सांस्कृतिक विलम्बना कहते हैं। उदाहरण के स्वरूप आज भौतिक संस्कृति में तीव्र गति से परिवर्तन हो रहा है। हमारे पास भौतिक सुख के अपार साधन हैं वहीं दूसरी ओर अभौतिक संस्कृति में बड़ी मन्दगति से परिवर्तन हो रहा है। आज भी देखा जाए तो हम परम्पराओं तथा रूढ़ियों पर अटूट विश्वास करते हैं। घर के बाहर जाते हुए छींक हो जाए या खाली घड़ा दिख जाए या फिर बिल्ली रास्ता काट जाए तो भी आज हमारे समाज में शिक्षित एवं प्रगतिशील व्यक्ति इसे अपशगुन या अशुभ मानते हैं। इसी तरह टूटा दर्पण रखने को अशुभ माना जाता है। इस प्रकार हमारी भौतिक और अभौतिक संस्कृति के परिवर्तन की दर में अन्तर है। इस अन्तर या फिर असन्तुलन को सास्कृतिक विलम्बना कहा जाता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- वैदिक काल में गुरुओं के शिष्यों के प्रति उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा में गुरु-शिष्य के परस्पर सम्बन्धों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- वैदिक शिक्षा व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु यह किस सीमा तक प्रासंगिक है?
  4. प्रश्न- वैदिक शिक्षा की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा के कम से कम पाँच महत्त्वपूर्ण आदर्शों का उल्लेख कीजिए और आधुनिक भारतीय शिक्षा के लिए उनकी उपयोगिता बताइए।
  6. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे? वैदिक काल में प्रचलित शिक्षा के मुख्य गुण एवं दोष बताइए।
  7. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
  8. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के प्रमुख गुण बताइए।
  9. प्रश्न- प्राचीन काल में शिक्षा से क्या अभिप्राय था? शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे?
  10. प्रश्न- वैदिककालीन उच्च शिक्षा का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा में प्रचलित समावर्तन और उपनयन संस्कारों का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  12. प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का विकास तथा आध्यात्मिक उन्नति करना था। स्पष्ट कीजिए।
  13. प्रश्न- आधुनिक काल में प्राचीन वैदिककालीन शिक्षा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
  14. प्रश्न- वैदिक शिक्षा में कक्षा नायकीय प्रणाली के महत्व की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- वैदिक कालीन शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न सम्प्रत्ययों का उल्लेख करते हुए उसके वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- शिक्षा का अर्थ लिखिए।
  18. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
  19. प्रश्न- शिक्षा के दार्शनिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- शिक्षा के राजनीतिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- शिक्षा के आर्थिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  23. प्रश्न- शिक्षा के मनोवैज्ञानिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- शिक्षा के वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
  25. प्रश्न- क्या मापन एवं मूल्यांकन शिक्षा का अंग है?
  26. प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए। आपको जो अब तक ज्ञात परिभाषाएँ हैं उनमें से कौन-सी आपकी राय में सर्वाधिक स्वीकार्य है और क्यों?
  27. प्रश्न- शिक्षा से तुम क्या समझते हो? शिक्षा की परिभाषाएँ लिखिए तथा उसकी विशेषताएँ बताइए।
  28. प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
  29. प्रश्न- शिक्षा का 'शाब्दिक अर्थ बताइए।
  30. प्रश्न- शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसकी अपने शब्दों में परिभाषा दीजिए।
  31. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
  32. प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
  33. प्रश्न- शिक्षा की दो परिभाषाएँ लिखिए।
  34. प्रश्न- शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- आपके अनुसार शिक्षा की सर्वाधिक स्वीकार्य परिभाषा कौन-सी है और क्यों?
  36. प्रश्न- 'शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  37. प्रश्न- 'शिक्षा भावी जीवन की तैयारी मात्र नहीं है, वरन् जीवन-यापन की प्रक्रिया है। जॉन डीवी के इस कथन को उदाहरणों से स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- शिक्षा विज्ञान है या कला या दोनों? स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- शिक्षा की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  41. प्रश्न- शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ को स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- शिक्षा और साक्षरता पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए। इन दोनों में अन्तर व सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
  43. प्रश्न- शिक्षण और प्रशिक्षण के बारे में प्रकाश डालिए।
  44. प्रश्न- विद्या, ज्ञान, शिक्षण प्रशिक्षण बनाम शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- विद्या और ज्ञान में अन्तर समझाइए।
  46. प्रश्न- शिक्षा और प्रशिक्षण के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।

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